करीब 30 वर्ष से गंभीर डैम ही शहर में जलापूर्ति का मुख्य स्रोत है। पहले इसमें एकत्र होने वाला पानी आसानी से पूरे वर्ष शहर की प्यास बुझा पाता था लेकिन कुछ वर्षों से यह गर्मी के सूखने की कगार पर पहुंचने लगा है। इसका बड़ा कारण पानी चोरी, सीपेज, लाइनों से लीकेज, डेम में उथलापन के साथ ही शहर की जरूरत बढऩा भी है। स्पष्ट है कि शहर का कंठ जितना बड़ा हो रहा है, गंभीर के घड़े की क्षमता उतनी ही कम पड़ती जा रही है। ऐसे में जानकार भी मानते हैं कि अब शहर के लिए एक और डैम होना, बेहद जरूरी हो गया है। इसके लिए सेवरखेड़ी को अच्छा विकल्प माना जा रहा है।
क्षिप्रा पर डैम बनने से पेयजल भी उपलब्ध
क्षिप्रा नदी पर उज्जैन जिले में कोई बड़ा बांध नहीं है। ऐसे में बारिश के दौरान नदी में आने वाले पानी को अधिक मात्रा में सग्रहित नहीं किया जा सकता है। कुछ 15-18 फीट तक के छोटे स्टॉप डैम से ही नदी में पानी उपलब्ध रखने का प्रयास किया जाता है। नर्मदा का पानी उपलब्ध न हो गर्मी में क्षिप्रा लगभग सूख जाती है। क्षिप्रा पर बांध बनता है तो नदी की जलसंग्रहण क्षमता बढ़ेगी । इससे नदी को प्रवाहमान बनाने में मदद मिलेगी वहीं दो-तीन महीने जलप्रदाय करने जितना पानी भी अतिरिक्त जमा किया जा सकेगा। बता दें कि अभी शहर में होने वाले जलप्रदाय में अधिकांश उपयोग गंभीर डैम के पानी का होता है। आवश्यकता पडऩे पर दस प्रतिशत तक पानी क्षिप्रा का मिला लिया जाता है। डैम बनता है तो यह प्रतिशत काफी बढ़ाया जा सकता है।
962 एमसीएफटी पानी जमा हो सकेगा: क्षिप्रा पर सेवरखड़ी में डैम बनाने की योजना है। पूर्व में इसको लेकर सर्वे भी हो चुका था लेकिन ग्रामीणों विरोध के चलते प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया था। अब फिर इसकी जरूरत महसूस हो रही है। प्रस्तावित प्रोजेक्ट की लागत करीब 455 करोड़ रुपए है। कुल 962 एमसीएफटी जल संग्रहण क्षमता का डैम बनाया जाएगा। इसमें से 122 एमसीएफटी पानी का उपयोग पीने के लिए व शेष सिंचाई आदि के लिए उपयोग होगा। यदि यह डेम बनता है तो शहर के पास गंभीर के रूप में 2250 व सेवरखेड़ी के रूप में 962, इस तरह कुल 3212 एमसीएफटी क्षमता के दो स्रोत उपलब्ध हो जाएंगे।
गंभीर की क्षमता बढ़ाना संभव नहीं
गंभीर डैम में बारिश के पानी का बड़ा हिस्सा बहाना पड़ता है। स्थिति यह बनती है कि जितना पानी (2250 एमसीएफटी) स्टोर किया जाता है, उससे कई गुना ज्यादा पानी गेट खोलकर आगे बहाना पड़ता है। इसलिए यह मांग भी उठती है कि गंभीर डैम की ऊंचाई बढ़ाकर इसकी स्टोरेज क्षमता बढ़ाई जाए। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि डेम के स्ट्रक्चर के अनुसार इसकी ऊंचाई बढाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है। क्षमता बढ़ाने के लिए इसकी जगह नया बांध ही बनाना होगा जो कि काफी खर्चीला प्रोजेक्ट होगा। यही कारण है कि अब क्षिप्रा पर नया बांध बनाने को ज्यादा बेहतर विकल्प माना जा रहा है।
गंभीर में सिर्फ 50 दिन का पानी
गंभीर डैम में रविवार को 634 एमसीएफटी पानी शेष था। इसमें से 100 एमसीएफटी डेड स्टोरेज हटाने के बाद 534 एमसीएफटी पानी सप्लाई के लिए उपलब्ध होगा। रोज औसत करीब 10 एमसीएफटी पानी कम हो रहा है। ऐसे में वर्तमान स्थिति के मान से डैम में सप्लाई के लिए 50 का पानी ही शेष है। बीते वर्षों की तुलना में इस बार पानी अधिक उपलब्ध है। पूर्व के कुछ वर्षों में पानी की कमी के चलते महीनों तक एक दिन छोडक़र जलप्रदाय करना पड़ता था। वर्तमान में ही डैम गर्मी के दिनों में साथ छोडऩे लग रहा है तो फिर भविष्य में सिर्फ इसके सहारे शहर की प्यास बुझाना संभव नहीं होगा