कमलेश पिता कृष्ण राव काले निवासी मालनवासा बताते हैं उनके पिता विक्रम विश्वविद्यालय के फिजिक्स डिपार्टमेंट में काम करते थे। वे भी गणेशोत्सव में पीली मिट्टी से गणेश प्रतिमा निर्माण कर नि:शुल्क वितरित करते थे। दादा वाबनराव काले शिक्षा विभाग में थे। उनके द्वारा निर्मित गणेश प्रतिमा धार राजघराने में विराजित की जाती थीं। तभी से ये सिलसिला चला आ रहा है। करीब 100 साल से ये परंपरा निभा रहे हैं। इसके लिए उनके परिवार सदस्यों में भी उत्साह रहता है। एक से डेढ़ महीने पहले से ही इसकी तैयारी शुरू कर देते हैं। पत्नी जयश्री, बेटा यश, बेटी अदिति और अपूर्वा मिट्टी के गणेश निर्माण में उनका सहयोग करती हैं। इसके लिए पीली मिट्टी को छानकर उसमें कपास मिलाई जाती है। इसके बाद इस मिट्टी की कुटाई की जाती है। तब जाकर मिट्टी प्रतिमा निर्माण के लिए तैयार होती है। करीब सवा फिट की मूर्ति निर्माण में पूरा दिन लग जाता है। ईष्ट मित्रों और परिचितों को ये मूर्ति नि:शुल्क वितरित करते हैं, ताकि घर-घर में इको फ्रेंडली गणपति बप्पा विराजित हो सके।
व्यापार के कारण अड़चन
कमलेश बताते हैं कि व्यापार की खींचतान के चलते उन्हें मूर्ति निर्माण में अड़चन आती है। जिससे वे बीते कुछ वर्षाें से कम संख्या में मूर्ति निर्माण कर पा रहे हैं। इस वर्ष उन्होंने 18 गणेश प्रतिमाओं का निर्माण किया है। परिवार के सहयोग के बगैर वे मूर्ति निर्माण नहीं कर सकते हैं। उनके बेटे में भी मूर्ति निर्माण को लेकर उत्साह रहता है, इसलिए अब अगले वर्ष से अधिक मूर्ति निर्माण करेंगे।
भारत विकास परिषद हरसिध्दि शाखा ने बनाए मिट्टी के गणेश
भारत विकास परिषद हरसिद्धि शाखा ने गुरुवार को मिट्टी के गणेशजी की प्रतिमा निर्माण का प्रशिक्षण लिया। शाखा सचिव मोनिका चित्तौड़ा के अनुसार प्रशिक्षण समाजसेवी राजीव पाहवा द्वारा दिया गया। जिसमें प्रशिक्षणार्थी लता अग्रवाल, माधुरी शर्मा, अनिता श्रीवास, मोनिका चित्तोड़ा आदि सदस्यों ने मिट्टी की प्रतिमाएं बनाई इसी के साथ मिट्टी के बीज भी तैयार करवाए।