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गप्पू यादव हत्याकांड : इसलिए बरी हो गए सात आरोपी और एक को मिली आजीवन कैद

locationउज्जैनPublished: Jun 15, 2022 01:29:44 pm

नीमच कोर्ट ने बहुचर्चित प्रेम यादव हत्याकांड में सुनाया फैसला, जमीन विवाद को आधार मानते हुए मुख्य आरोपी अजीत सेंगर को सुनाई आजीवन कैद की

Gappu Yadav murder case: one got life imprisonment.

नीमच कोर्ट ने बहुचर्चित प्रेम यादव हत्याकांड में सुनाया फैसला, जमीन विवाद को आधार मानते हुए मुख्य आरोपी अजीत सेंगर को सुनाई आजीवन कैद की

उज्जैन। आगर रोड पर नगर निगम कैंपस में १० साल पहले पूर्व पार्षद व अभिभाषक प्रेम कुमार यादव (गप्पू यादव) हत्याकांड प्रकरण में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए आठ में से सात आरोपियों को बरी कर दिया है। वहीं एक आरोपी का आजन्म कैद की सजा सुनाई है। बरी किए गए आरोपियों के पीछे तत्कालीन एसपी के बयान ,साक्ष्य की कमी और रिपोर्ट में झूठे नाम लिखाना सामना आया है। यही नहीं पुलिस ने बाद में जिन दो शार्प शूटरों को आरोपी बनाया था वे भी इस हत्याकांड में बरी हो गए हैं। पूरे मामले को कोर्ट ने जमीन विवाद मानते हुए महज एक आरोपी को ही सजा सुनाई है।
बहुचर्चित प्रेम कुमार यादव हत्याकांड पर नीमच कोर्ट ने विशेष न्या्रयाधीश विवेक श्रीवास्तव ने फैसला सुनाया है। आरोपी पक्ष की ओर से अभिभाषक विरेंद्रसिंह परिहार ने बताया कि प्रेम यादव की हत्या में कोतवाली पुलिस ने मनोज यादव की रिपोर्ट पर अजीत सेंगर, गोविंद कुशवाह, समय कुशवाह, प्रणय कुशवाह, देवीलाल बसंल, मनोज बसंल व यदू बसंल के खिलाफ प्रकरण दर्ज करवाया था। बाद में पुलिस ने गोली मारने वाले इंदौर के विक्की व सलमान को भी आरोपी बनाया था। कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान बताया गया कि घटना के वक्त तत्कालीन एसपी अनुराग ने बयान दिए थे कि दो अज्ञात लोगों ने गोली मारी है। वहीं मौके पर पहुंचे हेडकांस्टेबल ने भी अपने बयान में कहा था कि हत्या में दो लोगों की जानकारी थी। कोर्ट में सवाल उठाया गया कि जब एसपी कह रहे है कि दो लोगों ने हत्या है तो फिर आठ लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज क्यों किया। कोर्ट में बताया गया कि रिपोर्ट में झूठे नाम लिखाए गए हैं। इस मामले में पूर्व में भी दो हत्याएं हो चुकी है, जिसके पीछे जमीन विवाद है। कोर्ट ने इन्हीं आधारों पर सुनवाई करते हुए साक्ष्य में कमी पाई और पूरे विवाद को जमीन से जोड़ते हुए अजीत सेंगर को आजीवन कैद की सजा सुनाई। वहीं अन्य सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इसमें प्रणय कुशवाह को चार साल पहले ही बरी कर दिया गया था।
अभिभाषक होने के कारण नीमच कोर्ट में सुनवाई
प्रेम कुमार यादव कांग्रेस नेता के साथ अभिभाषक भी थे। लिहाजा इस मामले में उज्जैन में सुनवाई नहीं किए जाने की मांग न्यायालय से की गई थी। अभिभाषक परिहार के मुताबिक इस प्रकरण में अन्य अभिभाषक पैरवी करने को तैयार नहीं थे। उज्जैन में ही सुनवाई होना उचित नहीं था। लिहाजा पूरे प्रकरण को नीमच कोर्ट को स्थानांतरित किया गया।
एक जमीन के विवाद में हुई तीन हत्याएं
विद्यापति नगर क्षेत्र में जमीन विवाद को लेकर यादव एवं सेंगर परिवार में तीन हत्याएं हो चुकी है। इनमें यादव परिवार से गोपाल यादव (कालू भैय्या) व प्रेम कुमार यादव (गप्पू भैय्या) की हत्या हुई। वहीं अजीत सेंगर के भाई अभय सेंगर की गोली मारकर हत्या की गई थी। एक समय दोनों परिवारों के बीच गैंगवार चल रहा था। इसी के नतीजे में लगातार हत्याएं हुई। बड़ी बात यह कि जिस जमीन विवाद में तीन हत्याएं हुई उनमें किसी का भी सीधे जमीन से कोई लेना-देना नहीं था।
भाई पर ही लगा था हत्या का आरोप
कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिभाषक वीरेंद्रसिंह परिहार ने यह तर्क रखा था कि प्रेम कुमार यादव के भाई विनोद यादव ने ही संपत्ति विवाद में हत्याएं करवाई है। अभिभाषक ने कोर्ट को बताया कि पूर्व में भी विनोद यादव ने रिपोर्ट लिखवाई और फिर मुकर गया था। इनके बीच ही आपसी विवाद है, जिसके फलस्वरूप यह हत्या हुई। हालांकि यह तर्क कोर्ट रिकॉर्ड तक ही सीमित रहा।
इनका कहना
प्रेम कुमार यादव हत्याकांड में ९ में से सात आरोपियों को कोर्ट ने बरी करते हुए अजीत सेंगर को आजन्म कैद की सजा सुनाइ है। इसमें एक आरोपी को पूर्व में ही बरी कर दिया था। कोर्ट में तत्कालीन एसपी के दो लोगों द्वारा हत्या करने, झूठे नाम दर्ज कराने और साक्ष्य के अभाव के चलते आरोपियों को बरी किया है।
– वीरेंद्रसिंह परिहार, अभिभाषक

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