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#election 2018 : घट्टिया-महिदपुर विधानसभा : दावेदारों की भीड़, बाहरी प्रत्याशी भी मांग रहे टिकट

locationउज्जैनPublished: Sep 06, 2018 10:21:06 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घट्टिया विधानसभा में टिकट के लिए घमासान है। महिदपुर में मतदाता हर पांच वर्ष में बदलाव कर देते हैं।

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उज्जैन. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घट्टिया विधानसभा में टिकट के लिए घमासान है। यहां स्थानीय से ज्यादा बाहरी प्रत्याशी के साथ केंद्रीय मंत्री के रिश्तेदार तो सांसद भी चुनाव लडऩे के इच्छुक हैं। वहीं कांग्रेस में हर दावेदार किसी बड़े नेता से जुड़े होकर आपसी गुटबाजी में उलझे हुए हैं। सीट को लेकर स्थानीय उम्मीदवार और पैराशूट प्रत्याशियों को लेकर पशोपेश में है। इधर, महिदपुर विधानसभा में विधायक के चलते भाजपा के लिए सीट बरकरार रखना चुनौती है। कांग्रेस से बागी हुए नेताओं ने फिर से पार्टी का दामन थामा है। कांग्रेस में यहां भी बाहरी व्यक्ति के प्रत्याशी खड़े होने को लेकर चर्चा है।

घट्टिया : भाजपाइयों में रार
वर्तमान विधायक सतीश मालवीय फिर से चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। हालांकि उनके दोबारा टिकट को लेकर भाजपा नेताओं में ही रार है। पिछली बार टिकट कटने के बाद डॉ. नारायण परमार यहां से टिकट मांग रहे हैं। भाजपा से बाहरी लोग नया चेहरा बताकर टिकट के लिए प्रयासरत है। कांग्रेस में रामलाल मालवीय दावेदारी कर रहे हैं पर युवाओं को टिकट देने की मांग है।

2013 के वोट
भाजपा – सतीश मालवीय 74092
कांग्रेस – रामलाल मालवीय 56723

भाजपा के मजबूत दावेदार
रामसिंह सोलंकी – जपं सदस्य
जगदीश बोकड़े- पूर्व राज्यमंत्री
संजय कोरट – पार्षद

कांग्रेस के मजबूत दावेदार
जगदीश ललावत- सरपंच
सुरेंद्र मरमट- सरपंच
करण कुमारिया – जिपं सदस्य

ये हैं चार मुद्दे
स्वास्थ्य सेवा में कमी, बांदका में उद्योग नहीं लगे, दुरुस्थ गांव में सड़कें नहीं, बेरोजगारी

ये भी ठोक रहे ताल
भाजपा से- रामनारायण चौहान, पूर्व जनपद सदस्य, प्रताप करोसिया, गोविंद शर्मा, शंकरलाल अहिरवार।

कांग्र्रेस से- नरेंद्र कछवाय- पूर्व सरपंच, मदन गुजराती पूर्व सरपंच, तेजकरण मालवीय।

जातिगत समीकरण
यहां से तीन-तीन बार बलाई और बैरवा समाज से विधायक रहे हैं। रविदास और बैरवा समाज के एकजुट व राजपूत समाज का समर्थन जीत में निर्णायक रहता है।

चुनौतियां
विधायक की अपनी पार्टी के लोग नाराज। कांग्रेस में गुटबाजी हावी, हर नेता टिकट का दावेदार, भितरघात की समस्या।

विधायक की परफॉर्मेंस
एसडीएम कार्यालय सहित विभिन्न निर्माण करवाए। गुस्से पर काबू नहीं और व्यवहार के चलते विवादों में। समाज में छवि पर असर।

ग्रामीण क्षेत्र में उम्मीद के मुताबिक विकास नहीं हो पाया। सड़क, पेयजल जैसी समस्या बरकरार है।

– मोहन शर्मा, व्यापारी

महिदपुर विधानसभा : हर पांच वर्ष में बदलाव
महिदपुर विधानसभा में मतदाता हर पांच वर्ष में बदलाव कर देती है। विधायक बहादुरसिंह चौहान के विवादों के चलते पार्टी के चुनाव समीकरण बदले हुए हैं। हालांकि वे दोबारा से चुनाव लडऩे की तैयारी में हैं। वहीं कांग्रेस से इस बार नए चेहरे के मैदान में उतरने के आसार हैं। कांंग्रेस के दावेदारों में कुछ विवादों में घिरे हुए हैं। पार्टी यहां से बाहरी प्रत्याशी भी खड़ा कर सकती है।

2013 के वोट
भाजपा – बहादुरसिंह चौहान 71096
कांग्रेस – कल्पना परुलेकर 7058

ये हैं चार मुद्दे
महिदपुर को जिला बनाना, शुगर मिल शुरू नहीं होना, नए उद्योग नहीं, सड़क

भाजपा के मजबूत दावेदार
कैलाशपुरी गोस्वामी – मंडी अध्यक्ष
भगवानसिंह पंवार -अभिभाषक

कांग्रेस के मजबूत दावेदार
प्रतापसिंह गुर- पूर्व जिपं सदस्य
सरदारसिंह चौहान- जिपं सदस्य

ये भी ठोक रहे ताल
भाजपा से – मीता नवलखा, पूर्व नगर मंडल अध्यक्ष पत्नी, सुधीर मूणत संयोजक जिला व्यापारी प्रकोष्ठ, भगवती जोशी।

कांग्रेस से- पूर्व विधायक डॉ. कल्पना परुलेकर, दिनेश जैन बोस, हेमंतसिंह चौहान, हीरालाल आंजना, कय्यूम नागोरी- नपा अध्यक्ष, आम आदमी पार्टी से भगवती प्रसाद पुरोहित

जातिगत समीकरण
विधानसभा के ग्रामीण में राजपूत, ब्राह्मण, सौंधिया व आंजना व शहर में जैन व मुस्लिम समाज की अधिकता है। मतदाता जाति देखकर वोट नहीं डालते।

चुनौतियां
पट्ठावाद से कार्यकर्ता नाराज।
कांग्रेस गुटबाजी की शिकार। संगठन रूप से कमजोर।

विधायक की परफॉर्मेंस
क्षेत्र में आधारभूत विकास कार्य नहीं। विवादों के चलते जनता में छवि ठीक नहंीं। पार्टी संगठन के सदस्यों को दरकिनार करने से नाराजी।

उम्मीद के मुताबिक काम नहीं हो पाया। उद्योग नहीं लगे। विधायक पूरे समय विवादों में घिरे रहे।

– अनूपसिंह चौहान, किसान

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