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अनूठा संकल्प : मजदूर दिवस पर 72 श्रमिकों को करा दी गिरिराज परिक्रमा

locationउज्जैनPublished: May 03, 2019 12:50:05 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

सनातन धर्म का पालन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का तीर्थ या धार्मिक यात्रा पर जाने का सपना रहता है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण यात्रा पर जाना केवल सपना बन कर रह जाता है।

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उज्जैन@शैलेश व्यास. सनातन धर्म का पालन करने वाले प्रत्येक व्यक्ति का तीर्थ या धार्मिक यात्रा पर जाने का सपना रहता है, लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण यात्रा पर जाना केवल सपना बन कर रह जाता है। एेसे लोगों को कम से कम एक धार्मिक स्थल की यात्रा कराने का संकल्प एक समाजसेवी युवा ने लिया है। इसी क्रम में मजदूर दिवस के अवसर पर एक साथ 72 श्रमिकों को गिरिराज परिक्रमा कर दी।

800 से अधिक गरीब व्यक्तियों को गिरिराज परिक्रमा करा चुके

इंदौर रोड़ स्थित ग्राम निनोरा के सोनू शर्मा ने कुछ समय पहले एक निर्णय लिया था कि वे अपने खर्च से गरीब वर्ग के लोगों को प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक चलने वाली गोवर्धन पर्वत को गिरिराज परिक्रमा कराएंगे। करीब 3 वर्ष से चल रहें इस क्रम में 800 से अधिक गरीब व्यक्तियों को गिरिराज परिक्रमा करा चुके है। इसमें यात्रा आने-जाने का खर्च वहन कर बकायदा रेल का रिजर्वेशन कराते है। यात्रियों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था बाबा रामदास त्यागी टाटम्बरी सरकार होशंगाबाद के वृंदावन स्थित आश्रम में रहती है। इस अनुठे संकल्प में सोनू शर्मा ने इस बार मजदूर दिवस के अवसर पर उनके वहां काम करने वालों के साथ ही निनोरा क्षेत्र के ७२ श्रमिकों को उनकी सहमति लेकर गिरिराज परिक्रमा पर भेजा है।

 

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मन में आस्था और जीवन के संतोष के लिए

अनेक लोगों को अपने खर्च पर गोवर्धन पर्वत को गिरिराज परिक्रमा करा चुके सोनू शर्मा का कहना वे और उनके परिवार के अनेक सदस्यों के अलावा निनोरा के अनेक साथी अक्सर मित्रों एवं परिवारजन के साथ भगवान गिरिराज की परिक्रमा को जाते है। इस दौरान की विचार आया कि जो सक्षम नहीे है,उनके लिए तो यात्रा सपना ही है। इसके बाद गरीबों को गिरिराज की परिक्रमा कराने का संकल्प लिया था। शर्मा का कहना यदि कोई भी व्यक्ति या संस्था बुलंदी के शिखर पर पहुंचते है, तो उसकी नींव में मजदूर का ही योगदान रहता है। मजदूर का मतलब हमेशा गरीब से नहीं होता हैं। मजदूर वह ईकाई हैं, जो हर सफलता का अभिन्न अंग हैं, फिर चाहे वो ईंट गारे में सना इन्सान हो या ऑफिस में काम करने वाला कर्मचारी। इसी क्रम में भाव आया कि क्यो न मजदूर दिवस पर मजदूर के चेहरे की मुस्कान बढ़ाई जाएं। इस भाव के साथ मजदूर को परिवार का सदस्य मानकर मथुरा-वृंदावन धाम की तीर्थ यात्रा एवं गिरिराज की परिक्रमा कराने निर्णय लिया था। इसमें उनके वहां काम करने वालों के साथ क्षेत्र के ईट भट्टे में कार्य करने वाले मजदूरों को भगवान कृष्ण के पवित्र धाम मथुरा, वृंदावन एवं गिरिराज परिक्रमा की यात्रा कराने का निर्णय लिया है। यात्रा के लिए 72 श्रमिकों का रेल के स्लीपर क्लास में रिजर्वेशन करवाया गया। इनके भोजन-विश्राम की व्यवस्था बाबा रामदास त्यागी टाटम्बरी सरकार होशंगाबाद के वृंदावन स्थित आश्रम में की गई है।

रामअर्चन के साथ अनेक धार्मिक आयोजन

निनोरा में सोनू शर्मा और शर्मा परिवार द्वारा अनके धार्मिक आयोजन किए जा चुके है। बीत तीन वर्षो रामअर्चन का आयोजन तो किया जाता है। बीते वर्ष रामअर्चन के अलावा भगवत कथा,रामकथा का आयोजन एक की पांडाल के नीचे किया गया था। अन्य धार्मिक कार्यक्रम तो बगैर प्रचार-प्रसार के हो जाता है।

क्या है गिरिराज परिक्रमा

गोवर्धन पर्वत उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के अंतर्गत एक नगर पंचायत है। गोवर्धन व इसके आसपास के क्षेत्र को ब्रज भूमि भी कहा जाता है। मथुरा जिले से 22 किमी की दूरी पर स्थित गोवर्धन पर्वत को गिरिराज महाराज भी कहा जाता है। मान्यता है कि ब्रज में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र के बजाय इसकी पूजा करने की बात कही थी,तब इंद्र देव नाराज हो गए थे और ब्रज भूमि पर जमकर वर्षा कर दी। कृष्ण ने अपनी अंगुली पर गोवर्धन को धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की। इंद्र को अपनी भूल का अहसास हुआ और तब से ही इस देवता तुल्य पर्वत गिरिराज महाराज की पूजा की जाने लगी। भक्त इनके चारों तरफ परिक्रमा देकर अपनी श्रद्धा दिखाते है। गोवर्धन की परिक्र मा का पौराणिक महत्व है। प्रत्येक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक लाखों भक्त यहां पहुंचकर गिरिराज जी महाराज की सप्तकोसी परिक्रमा करते हैं। मान्यता है की इस तपस्या रूपी समर्पण से उनकी सभी इच्छाएं गोवर्धन महाराज पूरी करते है। पूरी परिक्रमा 7 कोस अर्थात लगभग 21 किलोमीटर है। परिक्रमा मार्ग में पडऩे वाले प्रमुख स्थल आन्यौर, जातिपुरा, मुखार्विद मंदिर, राधाकुंड, कुसुम सरोवर, मानसी गंगा, गोविन्द कुंड, पूंछरी का लौठा, दानघाटी इत्यादि हैं। गोवर्धन में सुरभि गाय, ऐरावत हाथी तथा एक शिला पर भगवान कृष्ण के चरण चिह्न हैं। कुछ भक्तों की श्रद्धा इतनी होती है कि वे जमीन पर लौटते हुए या साष्टांग दण्डवत करते-करते परिक्रमा करते हैं।

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