दो महीने से केंद्रीय दल का इंतजार
सिविल सर्जन डॉ.राजू निदारिया ने बताया कि चार महीने पहले ही ब्लड सेपरेटर मशीन को शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। केंद्रीय दल ने पिछले निरीक्षण के दौरान १४ कमियां बताई थीं, जिन्हें पूरा कर लिया गया है। २१ मार्च को सेंट्रल टीम को निरीक्षण के लिए पत्र भेज दिया था। हमारी तरफ से तैयारी पूरी है। सेंट्रल टीम के निरीक्षण के बाद लाइसेंस जारी होगा। इसके बाद ये सुविधा आरंभ कर दी जाएगी।
हो सकेगा अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार
ब्लड सेपरेटर मशीन रक्त के चारों तत्व प्लाज्मा, आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स को पृथक कर देती है। इन सभी तत्वों का उपयोग डेंगू, सिकल सेल मलेरिया, थैलीसीमिया सहित अन्य गंभीर बीामारियों के उपचार में किया जाता है। ब्लड सेपरेटर मशीन आरंभ होने के बाद इन मरीजों का उपचार जिला अस्पताल में ही हो सकेगा।