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थैलेसीमिया मरीजों के लिए अच्छी खबर… अब नहीं जाना पड़ेगा निजी अस्पताल, क्योंकि

locationउज्जैनPublished: May 07, 2018 09:52:43 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

थैलीसीमिया के मरीजों के लिए आएगी ब्लड सेपरेटर मशीन, बस केंद्रीय दल आने का इंतजार

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थैलीसीमिया के मरीजों के लिए आएगी ब्लड सेपरेटर मशीन, बस केंद्रीय दल आने का इंतजार

उज्जैन. गंभीर बीमारी थैलीसीमिया के मरीजों को अब निजी अस्पतालों की राह नहीं पकडऩा पड़ेगी। जिला अस्पताल में ही उनका उपचार हो सकेगा। इसके लिए जिला अस्पताल में ब्लड सेपरेटर मशीन को शुरू करने की तैयारियां पूरी कर ली गई है। जिला अस्पताल प्रशासन को अब केंद्रीय दल का इंतजार है। इसके बाद यह सुविधा आरंभ हो जाएगी।
थैलीसीमिया जन्मजात बीमारी है। यह ब्लड डिस्आर्डर है जिसमें मरीज की रीढ़ में मौजूद मेरूरज्जू रक्त निर्माण नहीं करती है इसके साथ ही रक्त का थक्का जमना बंद हो जाता है। इसके मरीज को बार-बार खून की कमी होती है। मरीज के रक्त में मौजूद लाल रक्त कणिकाएं टूटने की वजह से कम हो जाती है। इसके मरीजों को रक्त का आरबीसी चढ़ाया जाता है। जिला अस्पताल में २५६ थैलीसीमिया के मरीज रजिस्टर्ड है। जिन्हें जिला अस्पताल में ब्लड सेपरेटर की सुविधा आरंभ नहीं होने की वजह से मेडिकल कॉलेज या निजी चिकित्सालयों में जाना पड़ता है। जिला अस्पताल को शासन ने सात साल पहले ब्लड सेपरेटर मशीन दी थी, लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के चलते आज तक इस सुविधा को आरंभ नहीं किया जा सका है। इससे थैलीसीमिया की मरीजों की परेशानी बरकार है।

दो महीने से केंद्रीय दल का इंतजार
सिविल सर्जन डॉ.राजू निदारिया ने बताया कि चार महीने पहले ही ब्लड सेपरेटर मशीन को शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ की गई है। केंद्रीय दल ने पिछले निरीक्षण के दौरान १४ कमियां बताई थीं, जिन्हें पूरा कर लिया गया है। २१ मार्च को सेंट्रल टीम को निरीक्षण के लिए पत्र भेज दिया था। हमारी तरफ से तैयारी पूरी है। सेंट्रल टीम के निरीक्षण के बाद लाइसेंस जारी होगा। इसके बाद ये सुविधा आरंभ कर दी जाएगी।

हो सकेगा अन्य गंभीर बीमारियों का उपचार
ब्लड सेपरेटर मशीन रक्त के चारों तत्व प्लाज्मा, आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और प्लेटलेट्स को पृथक कर देती है। इन सभी तत्वों का उपयोग डेंगू, सिकल सेल मलेरिया, थैलीसीमिया सहित अन्य गंभीर बीामारियों के उपचार में किया जाता है। ब्लड सेपरेटर मशीन आरंभ होने के बाद इन मरीजों का उपचार जिला अस्पताल में ही हो सकेगा।

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