उज्जैन

2 लाख की सरकारी बोली पहुंच गई 8 लाख तक

मामला सरकारी अस्पताल के पुराने भवन को डिस्मेंटल करने का

उज्जैनNov 24, 2021 / 12:22 am

Mukesh Malavat

मामला सरकारी अस्पताल के पुराने भवन को डिस्मेंटल करने का

नागदा. सरकारी अस्पताल के पुराने भवन को डिस्मेंटल करने का पुराना ठेका निरस्त होने के बाद मंगलवार को नए सिरे से नीलामी प्रक्रिया हुई। सरकारी अस्पताल के पुराने भवन के समीप बने टीन शेड में दोपहर 2.30 से 4 बजे तक चली नीलामी में 65 ठेकेदार शामिल हुए। इनमें मुख्य रुप से चार ठेकेदारों ने बोली लगाई। अंत तक चली राशि बढ़ाने की रस्साकस्सी के बीच अंतत: नागदा के ठेकेदार शांतिलाल सिंगोटिया को 8 लाख 78 हजार में भवन तोडऩे का ठेका मिला। इधर नीलामी शुरू होने से पहले अधिकारियों द्वारा बताएं गए नियमों से नाराज होकर कुछ ठेकेदार नीलामी छोड़कर जा रहे थे। हालांकि गुजारिश पर वे वापस बैठ गए। इसके बाद नीलामी शुरू हुई।
बता दें कि पिछली नीलामी में रतलाम की आयशा ट्रेडर्स फर्म के संचालक मुदस्सर मुल्तानी ने 10 लाख 11 हजार में ठेका अपने नाम किया था। मगर समय सीमा में ठेकेदार द्वारा राशि जमा नहीं करने से ठेका निरस्त कर दिया गया। जिससे काम भी करीब एक महीना प्रभावित हुआ। प्रशासन ने संबंधित ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड करनेे बाद नए सिरे से नीलामी की प्रक्रिया की। इस बार अमानत राशि 9 हजार 500 से बढ़ाकर 50 हजार रुपए की गई। नागदा सहित अलग-अलग शहरों के 67 ठेकेदारों ने पंजीयन कराया। जिसमें से 65 ने डीडी जमा कराई। नीलामी के दौरान मुख्य रूप से एसडीएम आशुतोष गोस्वामी, पीआईयू से जतिनसिंह चुड़ावत, पीआईयू से केबीसिंह, पीडब्ल्यूडी कार्यपालन यंत्री जीपी पटेल, पीडब्ल्यूडी से गौतम अहिरवार, बीएमओ डॉ. कमल सोलंकी, नगर पालिका से सीएल पंचोली मौजूद थे।
रतलाम और नागदा के ठेकेदारों में बोली लगाने का कांटाकश मुकाबला
कुल 65 ठेकेदारों में से रतलाम की मंसूरी ट्रेडर्स, नागदा के शांतिलाल सिंगोटिया, रतलाम के फैजल व खंडवा के जुबैर बोली लगाते नजर आए। राशि बढ़ते-बढ़ते 8 लाख रुपए तक पहुंच गई। राशि बढऩे पर बोली लगाने में सिर्फ मंसूरी ट्रेडर्स, शांतिलाल व फैजल ही रह गए। राशि 8 लाख 50 हजार पार होने के बाद मंसूरी ट्रेडर्स के संचालक भी बैठ गए। इस दौरान बाकी ठेकेदार भी कुर्सियां छोड़कर चले गए। अंतिम कांटाकश बोली रतलाम के फैजल व नागदा के शांतिलाल के बीच चली। दोनों एक-एक हजार रुपए बढ़ाकर ठेका अपने नाम करने की कोशिश में थे। अंतत: 8 लाख 78 हजार में भवन तोडऩे का ठेका शांतिलाल सिंगोटिया ने अपने नाम किया। ठेका मिलने के बाद सिंगोटिया से कुल राशि का 25 प्रतिशत यानी 2 लाख 19 हजार 500 रुपए जमा कराए गए। बाकी राशि ठेकेदार को तीन दिन में जमा कराना होगी।
ठेकेदार की बजाय प्रतिनिधि ने बोली लगाई, एसडीएम ने निरस्त कराई
पिछली नीलामी में हुए हंगामे से सबक लेते हुए अधिकारियों ने नीलामी शुरू होने से पहले नियम बताते हुए स्पष्ट कर दिया था कि सिर्फ ठेकेदार ही बोली लगाएगा,उसके प्रतिनिधि को बोली लगाने की अनुमति नहीं होगी। इस दौरान नीलामी स्थल पर मौजूद ठेकेदारों को बाहर जाने या किसी अन्य ठेकेदार से बातचीत करने की अनुमति नहीं थी। विवाद की स्थिति नहीं बने इसलिए पुलिस तैनात की गई। इस दौरान अफसरों को ठेकेदारों की नाराजगी का भी सामना करना पड़ा। फिर बोली शुरू हुई। शासकीय बोली 2 लाख 8 हजार 420 रुपए थी। राशि धीरे-धीरे बढ़ती रही। बोली पांच लाख रुपए पहुंचते ही राजा पाटीदार नामक ठेकेदार के नाम से उनके प्रतिनिधि ने 7 लाख रुपए की बोली लगा दी। जबकि ठेकेदार पीछे खड़ा हुआ था। संबंधित ठेकेदार को बुलाकर आईडी प्रूफ देखा गया। असमंजस की स्थिति बनने पर एसडीएम ने उक्त बोली निरस्त करवाते हुए 5 लाख रुपए से बोली आगे बढ़वाई।
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