मालवांचल में अफीम की पेदावार बढ़ने का अनुमान है, हालांकि मंदसौर और नीमच जिले में बीते कुछ दिनों के दौरान हुए मौसमी बदलाव के बाद उत्पादन में कमी की आशंका भी जताई जा रही थी, लेकिन इसकी जद कुछ ही इलाकों तक सीमित रहने की संभावना है। इस बीच, अफीम पौधों की चोरी होने पैदावार के दौरान उपज की रखवाली को लेकर भी किसान सक्रिय हो गए हैं। कुछ जगहों पर खेत को कपड़ों या नेट से चौतरफा बांध दिया गया है, लेकिन यह विकल्प ज्यादा सुरक्षित नहीं रहता। ऐसे में कुछ किसानों ने सीसीटीवी संचालकों से खेतों की रखवाली के लिए आसमानी नजर रखने के संबंध में पूछताछ की है।
कई जगह लग रहे सीसीटीवी
जावरा क्षेत्र में फोटोग्राफी से जुड़ी फर्मो ने कुछ खेतों में सीसीटीवी लगाए हैं, यहां अफीम का उत्पादन होता है। इसी तरह अब नीमच जिले में भी अफीम उत्पादक किसानों ने कैमरा संचालकों की मदद के लिए लोकेशन की जानकारी दी है। सीसीटीवी संचालक धर्मेश सोनी ने बताया कि कुछ फॉर्म हाउस पर हमने पूर्व में सीसीटीवी लगाए थे, अब अफीम के खेतों के लिए किसान इस बारे में पूछताछ कर रहे हैं। आधा दर्जन से ज्यादा किसानों की अफीम लोकेशन के आधार पर तैयारी कर रहे है, कुछ दिन में कैमरे लगेंगे।
40 हजार से ज्यादा किसान सीधे जुड़े
अफीम की पैदावार के लिए मध्यप्रदेश के प्रमुख जिलों मंदसौर, नीमच, रतलाम एवं आगर-मालवा, शाजापुर और उज्जैन से हर साल किसान आवेदन करते हैं, हालांकि केन्द्रीय नीति के अनुसार पट्टों का वितरण किया जाता है। प्रमुख तौर पर मंदसौर, नीमच और राजस्थान से लगे मेवाड़ इलाकों के जिलों को उत्पादन का पट्टा मिलता है। इसके लिए करीब 40 हजार किसानों का सीधा जुड़ाव माना जाता है। मंदसौर-नीमच में तीन खंडों में उत्पादकों को बांटकर अफीम के पट्टों का वितरण कर उत्पादन की अनुमति देते हैं।
निगरानी बहुत जरूरी
अफीम उत्पादक किसान रामेश्वर नागदा बताते हैं कि अफीम उत्पादन काफी मुश्किल हो गया है, मौसम के साथ ही इसे लोगों और पशुओं से भी बचाना पड़ता है। पकने के दौरान ते परिवार दिनभर खेत ही रहता है, गांव के कुछ किसान सीसीटीवी लगाकर अपने अपने खेतों की निगरानी की व्यवस्था बना रहे है। वहीं, अफीम काश्तकार संगठन के कई किसान भी अपने अपने खेतों में सीसीटीवी के जरिए अफीम की रखवाली की तैयारी में है, जावरा से लगे क्षेत्रों में बीते वर्ष यह प्रयोग किया गया था, इसे आगे बढ़ा रहे हैं।