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शहर की 381 आंगनवाडिय़ों में सरकारी रिकॉर्ड दिखा रहा है 45500 बच्चे, एवरेज के दस गुना से भी कम उपस्थिति

locationउज्जैनPublished: Jun 12, 2022 03:13:17 pm

Submitted by:

atul porwal

– आंगनवाडिय़ों में शून्य से 6 वर्ष के बच्चों को मिलता है स्कूली शिक्षा का सलीका, कुल आंगनवाडिय़ों की संख्या से बच्चों की संख्या पर प्रत्येक आंगनवाड़ी के खाते में एवरेज 119 बच्चे, कम उपस्थिति की नहीं होती समीक्षा

Government records are showing 45500 children in 381 Anganwadis of the

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डाटा स्टोरी
उज्जैन.
आंगनवाड़ी केंद्र बाल विकास और वृद्धि में सहायता प्रदान करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। आंगनवाड़ी में दी जाने वाली प्रमुख सेवाओं में अनुपूरक आहार, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, स्वास्थ्य एवं पोषण शिक्षा के साथ तीन से 6 वर्ष तक के बच्चों को दी जाने वाली विद्यालय पूर्व की शिक्षा शामिल है। महिला बालविकास विभाग के आंकड़ों में उज्जैन जिले में 2127 आंगनवाडिय़ां संचालित हो रही है, जिनमें उज्जैन शहर की 381 आंगनवाडिय़ां शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक शहर की 381 आंगनवाडिय़ों में शून्य से 6 वर्ष की उम्र वाले 45501 बच्चे दर्ज हैं, लेकिन उपस्थिति 25 प्रतिशत भी नहीं है। आंगनवाडिय़ों का निरीक्षण भी यदा-कदा होता है, लेकिन कम उपस्थिति की समीक्षा के नाम पर कागजी खानापूर्ति की जा रही है। पत्रिका टीम जब योगेश्वर टेकरी स्थित आंगनवाड़ी पहुंची तो यहां एक भी बच्चा नहीं था। बावजूद इसके बच्चों का खाना आया तो बताया कि गर्मी ज्यादा होने से बच्चों को ज्यादा देर बैठा नहीं सकते, लेकिन उन्हें मध्याह्न भोजन के लिए बुलाते है।
यह है शहर की आंगनवाडिय़ों का डाटा
आंवा की संख्या- 381
उम्र बालिकाएं बालक
0-6 माह 2031 1978
6 माह से 3 वर्ष 9510 9778
3 से 6 वर्ष 11053 11151

गंदगी का त्रास झेल रही कई आंगनवाडिय़ां
आंगनवाड़ी संचालन में स्थान को प्राथमिकता देना चाहिए थी, लेकिन अफसरों की नजरअंदाजी का आलम यह है कि शहर की कई आंगनवाडिय़ां संकरी गलियों में संचालित हो रही है। कुछ आंगनवाडिय़ां तो गंदगी के बीच चल रही है, जहां आने वाले जरा-जरा से बच्चे बीमारी का शिकार हो रहे हैं। स्वास्थ्य जांच के नाम पर भी अधिकांश आंगनवाडिय़ों में कागजी खानापूर्ति चल रही है।
पत्रिका की खबर पर बदली शराब दुकान की जगह
मक्सी रोड स्थित एक आंगनवाड़ी देशी शराब दुकान व अहाते के पीछे संचालित हो रही थी, जहां आने वाले बच्चों को शराब की बदबू और नशाखोरों के मुंह से निकले वाले अपशब्द झेलना पड़ रहे थे। पत्रिका पड़ताल में जब यह सामने आया और समाचार प्रकाशित हुआ तो तत्काल शराब दुकान की जगह बदली और बच्चों को इससे निजात मिल सकी।
कुछ में 20, कुछ में दो-चार, कुछ खाली
शहर में संचालित आंगनवाडिय़ों में कुछ की स्थिति 15 से 20 बच्चों की उपस्थिति से चहलकदमी वाली दिखी तो कुछ में दो-चार बच्चे ही नजर आए। कुछ की स्थिति तो खाली मिली, जहां की सहायिकाओं का कहना था कि आज बच्चे जल्दी चले गए।
यह कहते हैं जिम्मेदार
मैं अपाको क्या बताऊं, मैं तो बस ऑर्डिनेटर हूं। अभी वैसे भी चुनाव में व्यस्त हूं। आप डीपीओ सर से बात कर लिजिए।
गुरुदत्त पांडे, उप संचालक महिला बाल विकास

इधर जिला कार्यक्रम अधिकारी(डीपीओ) गौतम अधिकारी के दोनों नंबर बंद मिले।
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