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मैदान बना न दुकानें आवंटित

locationउज्जैनPublished: Nov 03, 2019 07:56:26 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

कार्तिक मेला को ८ दिन शेष : निगम प्रशासन की कम रुचि के कारण तैयारियों में लेतलाली, जनता को लुभाने कोई नवाचार भी नहीं किया
 
 

मैदान बना न दुकानें आवंटित,

कार्तिक मेला को ८ दिन शेष : निगम प्रशासन की कम रुचि के कारण तैयारियों में लेतलाली, जनता को लुभाने कोई नवाचार भी नहीं किया

उज्जैन. राष्ट्रीय स्तर पर पहचान रखने वाला नगर निगम का पारंपरिक कार्तिक मेला इस बार भी बेरूखी का शिकार हो सकता है। मेला शुभारंभ में महज ८ दिन शेष हैं और अभी मेला ग्राउंड पर समतलीकरण व ले-आउट डालने का कार्य ही चल रहा है। प्रारंभिक तैयारियों के बीच निगम को दुकान आवंटित सहित कई व्यवस्थाएं जुटाना शेष हैं।
निगम प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा किनारे कार्तिक मेले का आयोजन करता है जो एक महीने तक चलता है। इस बार कार्तिक मेला ११ नवंबर से प्रारंभ होने वाला है। पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव के चलते निगम प्रशासन ने मेले के आयोजन में उल्लेखनीय व्यवस्था नहीं की थी लेकिन इस बार भी आयोजन को भव्य बनाने के लिए कोई खास रुचि नहीं दिखाई जा रही है। लेतलाली की स्थिति यह है कि कुछ दिन पूर्व ही समितियों का गठन किया गया और हाल में मेला स्थल तैयार करने की सुध ली गई है। प्रारंभिक तैयारियों में गिने जाने वाले जमीन समतलीकरण, ले-आउट जैसे कार्य ही अभी पूरे नहीं हो पाए हैं। यही नहीं आयोजनों की रूपरेखा तैयार करने, भूमि आवंटन आदि को लेकर समितियों की बैठक तक नहीं हुई है। एेसे में भले ही निगम ११ नवंबर को मेले का शुभारंभ कर दे लेकिन आयोजन को गरीमामयी और भव्यवता प्रदान करने के लिए जरूरी तैयारियां पूरी हो जाएंगी, इसको लेकर संशय है।
अधूरे निर्माण के बीच होगा मेला
स्थायी मंच, पॉथ-वे, ले-आउट सहित अन्य सुविधाओं के लिए नगर निगम करीब ५ करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य कर रहा है। योजना को एक वर्ष पूर्व ही मंजूरी मिल गई थी और प्रयास था कि इस बार का कार्तिक मेला नई व्यवस्था व सुविधाओं के साथ आयोजित होगा। विकास कार्य में भी लेतलाली हुई और कुछ महीने पहले ही निर्माण कार्य शुरू हो सके। इसकी चाल भी धीमी रही और वॉल बाउंड्री का निर्माण हुआ है।
अधिकारियों ने बनाई दूरी
नगर निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने करीब २० दिन पूर्व समितियों के सचिव नियुक्त कर दिए थे। इसके बावजूद अधिकांश प्रमुख अधिकारियों ने मेला आयोजन में कोई रुचि नहीं ली है। वरिष्ठ अधिकारियों ने भी तैयारियों को लेकर प्रभावी दौरे-निरीक्षण आदि नहीं किए। इसके पीछे प्रमुख कारण स्वच्छता सर्वेक्षण को माना जा रहा है। लगभग सभी प्रमुख अधिकारी स्वचछता मिशन में लगे हैं। स्थिति यह है कि मेले की तैयारियों का जिम्मा छोटे कर्मचारियों पर छोड़ दिया गया है।
सीमा के अंदर लगेंगी दुकानें
नए विकास कार्य अंतर्गत मेला ग्राउंड की बाउंड्री वॉल का निर्माण किया गया है। इस बार दुकानें बाउंड्री वॉल के अंदर ही लगवाई जाएंगी। हालांकि कुछ ठेले-गुमटी जरूर अस्थायी रूप से बाहर लग सकते हैं।
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अभी स्थल के ये है हाल
– मेला ग्राउंड के एक क्षेत्र में भूमि समतलिकरण हो चुका है जबकि ६० फीसदी से अधिक होना शेष है।

– दुकानों के लिए बल्ली-पतरे लगना शुरू किए गए हैं।
– ले-हाउट का कार्य प्रचलन में ही है।
– झूला व्यवसायी सामग्री लेकर आना शुरू हो गए हैं लेकिन मैदान तैयार नहीं होने से झूला कसाना शुरू नहीं हो पाए।
यह मुख्य कार्य होना बाकी

– दुकानों का पूरा निर्माण व आवंटन
– बिजली व्यवस्था
– पानी की व्यवस्था
– प्रवेश द्वार निर्माण

– सांस्कृतिक आयोजनों का निर्धारण
– सभी समितियों की बैठक व आवश्यक व्यवस्था निर्धारण

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