scriptअनूठा मिलन : हरि का हुआ हर से मिलन, पूरा प्रशासन बना साक्षी | Hari's meeting with Hara, the entire administration becomes a witness | Patrika News

अनूठा मिलन : हरि का हुआ हर से मिलन, पूरा प्रशासन बना साक्षी

locationउज्जैनPublished: Nov 11, 2019 06:32:50 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

हरिहर मिलन : पालकी में सवार होकर महाकाल पहुंचे गोपाल मंदिर, धारा 144 लागू होने से चप्पे-चप्पे पर रही पुलिस तैनात

अनूठा मिलन : हरि का हुआ हर से मिलन, पूरा प्रशासन बना साक्षी

हरिहर मिलन : पालकी में सवार होकर महाकाल पहुंचे गोपाल मंदिर, धारा 144 लागू होने से चप्पे-चप्पे पर रही पुलिस तैनात

उज्जैन. बैकुंठ चतुर्दशी पर रविवार को हरिहर मिलन हुआ। बाबा महाकाल मनमहेश स्वरूप में पालकी में विराजित होकर गोपाल मंदिर पहुंचे। यहां हरिहर का मिलन हुआ।आमने-सामने बैठे भगवान शिव (हर) द्वारा भगवान भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण (हरि) को विधि विधान से सृष्टि का भार सौंप दिया।
कानून-व्यवस्था के मद्देनजर प्रशासन ने महाकाल से गोपाल मंदिर तक हर वर्ष?की तरह निकलने वाले जुलूस को निरस्त कर दिया था, लेकिन पुरातन परंपरा का पालन विधि विधान के अनुसार किया गया। बाबा की पालकी को पंडे-पुजारी की मौजूदगी में ही गोपाल मंदिर लेकर आए।इस दौरान पूरे मार्ग पर सुरक्षा इंतजाम सख्त कर दिए गए थे।नगर में धारा १४४ लागू होने के कारण न तो हर वर्ष?की तरह पटाखे भी नहीं फोड़े गए और न ही श्रद्धालुओं की भीड़ को एकत्र होने दिया गया।सादगी के साथ बाबा महाकाल की पालकी गोपाल मंदिर पहुंची। यहां दोनों का मिलन हुआ और फिर एक दूसरे की प्रिय वस्तुओं की भेंट अर्पित हुई। बाबा महाकाल को अर्पित होने वाली आंकड़े के फूल की माला भगवान श्रीकृष्ण को तो श्रीकृष्ण को प्रिय तुलसी की माला बाबा महाकाल को पहनाई गई। करीब पौन घंटे चली पूजा-अर्चना के बाद बाबा महाकाल की पालकी वापस सुरक्षा इंतजामों के बीच महाकाल मंदिर पहुंची।इस दौरान पूरे मार्ग?पर बड़ी संख्या में पुलिस फोर्स?तैनात रहा।
चार माह भार संभालते हैं भगवान शिव
उज्जैन में कई वर्षों से हरिहर मिलन का अनूठा आयोजन होता है। मान्यता है कि देव शयन एकादशी से लेकर देव प्रबोधिनी एकादशी तक भगवान विष्णु धरती का भोलेनाथ को सौंपकर क्षीर सागर में शयन के लिये चले जाते हैं। इस दौरान भगवान भोलेनाथ ही धरती और धरतीवासियों को संभालते है। संभवत: यही कारण है कि इन चार माह के दौरान पूरा शिव परिवार पूजा जाता है। चाहे श्रावण हो या फिर चाहे गणेश चतुर्थी या शिव नवरात्रि ही क्यों न हो, शिव परिवार के सदस्यों का उत्सव मनाए जाते हैं। इन दिनों में शुभ कार्य नहीं होते। उस समय सृष्टि का भार शिव के पास होता है और वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह भार विष्णु को सौंप कर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं। सृष्टि का भार भगवान विष्णु जी के पास आते ही शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं। इसी दिन को हरिहर मिलन कहते हैं।
देव प्रबोधिनी एकादशी के बाद आने वाली चौदस तिथि पर उज्जैन में हरिहर मिलन होता है। बैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन सवारी निकाली जाती है। रात को ठाठ-बाट से भगवान शिव पालकी में सवार होकर भगवान भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण से मिलने पहुंचते हैं। प्रतिवर्ष वैकुंठ चतुर्दशी पर हरिहर मिलन भव्यता के साथ होता है, लेकिन इस वर्ष विशेष स्थिति के चलते कानून-व्यवस्था के मद्देनजर हरिहर मिलन की परंपरा को सदगी से पूर्ण किया गया।
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