दीपक लगाने से हर मन्नत पूरी होती है
यहां बने दीप स्तंभों पर दीपक लगाने से हर मन्नत पूरी होती है। मंदिर के गर्भगृह में अति सौम्य देवी की प्रतिमाएं मौजूद हैं, जिनके दर्शन मात्र से ही सुख-समृद्धि और वैभव प्राप्त होता है। मंदिर में दीप स्तंभों की स्थापना विक्रमादित्य ने करवाई थी। दोनों स्तंभों में लगभग 1 हजार 11 दीपक हैं।
नवरात्र के समय होते हैं धार्मिक आयोजन
यह अद्भुत शक्तिपीठ हरसिद्धि के नाम से प्रसिद्ध है। हर समय यहां भक्तों की भीड़ रहती है। नवरात्र के समय धार्मिक व सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। रात्रि को आरती में उल्लासमय वातावरण होता है। यह मंदिर महाकाल मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
तंत्र साधनाओं के लिए प्रसिद्ध
यह मंदिर तंत्र साधना और विशिष्ट सिद्धियां प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। महाकाल वन क्षेत्र में होने के कारण यहां सिद्धियां शीघ्र प्राप्त होती हैं, यही वजह है कि भक्त गुप्त साधनाओं में लीन रहकर चमत्कारिक सिद्धियां प्राप्त करते देखे जा सकते हैं। श्रीसूक्त और वेदोक्त मंत्रों के साथ होने वाली तांत्रिक साधनाओं का महत्व बहुत ज्यादा है। भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए यहां विशेष तिथियों पर भी पूजन करवाया जाता है।
पहली बार कटोरी में देंगे खीर प्रसाद ताकि स्वच्छता बनी रहे
नवरात्र की पंचमी पर 3 अक्टूबर को मां चामुंडा के दरबार में 56 भोग लगाए जाएंगे। माता का अद्भुत श्रृंगार होगा तथा सुबह खीर प्रसादी का वितरण होगा, जो रात तक चलेगा। स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए पहली बार माता के दरबार से खीर प्रसाद कटोरी में दी जाएगी। रवि राय ने बताया पं. शरद चौबे के आचार्यत्व में हरिसिंह यादव के संयोजन में मां चामुंडा को 56 भोग अर्पित किए जाएंगे। प्रसाद वितरण कार्य दिन भर चलेगा। भव्य शृंगार होगा। शाम को महाआरती होगी।