यहां परीक्षा फॉर्म जांचने के नाम ये हो रही गड़बड़ी
चपरासी से लेकर सफाईकर्मी तक के नाम
चपरासी से लेकर सफाईकर्मी तक के नाम
उज्जैन. विक्रम विश्वविद्यालय में परीक्षा फॉर्म जांचने के नाम पर एक बार फिर ८ लाख रुपए की बंदरबाट की तैयारी शुरू हुई। इस सूची में करीब ५४ कर्मचारियों के नाम हैं। इसमें सहायक कुलसचिव, अधीक्षक, तकनीकी अधिकारी, उच्च और निम्न श्रेणी लिपिक, भृत्य और सफाईकर्मी तक के नाम शामिल हैं। अधिकारियों के करीबी होने के अनुसार ९ हजार से लेकर २१ हजार रुपए तक इन कर्मचारियों को बांटे जा रहे हैं। यह पैसा पूर्व की परीक्षाओं के फॉर्म जांचने के नाम पर है। हालांकि यह पहली बार नहीं है। इससे पहले भी परीक्षा फॉर्म जांचने के नाम पर कर्मचारियों को इस तरीके का भुगतान होता रहा है। इस भुगतान पर पूर्व में कई बार ऑडिट विभाग ने आपत्ति ली, लेकिन अधिकारियों के दबाव में फाइलों को आगे बढ़ा दिया गया।
बिना रिकॉर्ड हो
रहा भुगतान
विक्रम विवि में आर्थिक अनियमिताओं को अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि परीक्षा फॉर्म जांच के नाम पर पद के अनुरूप पैसा बांट दिया जाता है। इसमें २१ हजार, १२ हजार, ९ हजार, ५ हजार रुपए की स्लैब बना रखी है। बड़ी बता यह है कि एक परीक्षा फॉर्म जांचने का कितनी राशि दी जाती है, उक्त अवधि में कितने परीक्षा फॉर्म जांचे गए, यह रिकॉर्ड विवि के पास नहीं है।
धारा ५२ में भी नहीं रुकी अनियमिताएं
विक्रम विवि में प्रशासनिक और आर्थिक अनियमिताओं के चलते धारा ५२ लगाई गई। सरकार ने विवि की व्यवस्था सुधारने के लिए बड़ी कार्रवाई की, लेकिन इसके बावजूद आर्थिक अनियमिताएं नहीं रुक रही। बता दंे कि पूर्व में कार्यपरिषद की आड़ में एेसे भुगतान कर दिए जाते थे, लेकिन धारा ५२ में कार्यपरिषद की जगह शासन का संचालक मंडल होता है। वर्तमान में वह भी गठित नहीं हुआ है। सभी अधिकार कुलपति के पास है। इसके बावजूद कर्मचारियों के दबाव में भुगतान किया जा रहा है।
ऑनलाइन जमा होते है परीक्षा फॉर्म
विक्रम विवि में परीक्षा फॉर्म जांचने की अब कोई आवश्यकता नहीं है। विवि में परीक्षा फॉर्म ऑनलाइन जमा होते है। विवि प्रशासन परीक्षा की लिंक ओपन करता है। इसके बाद महाविद्यालय और अध्ययनशाला परीक्षा फॉर्म अप्रूव होता है। तभी ऑनलाइन जमा हो सकता है। इसके बावजूद परीक्षा फॉर्म जांचने के नाम पर पैसे का भुगतान किया जा रहा है।
गलत परीक्षा होने पर जिम्मेदार नहीं
माधव महाविद्यालय की एक छात्र ने स्नातक परीक्षा पास किए बिना एमए की परीक्षा दे डाली। इस मामले पर विवि ने कॉलेज पर पल्ला झाड़ा, लेकिन परीक्षा फॉर्म जांचने वाले को जिम्मेदार नहीं माना। यह एकमात्र मामला नहीं है। विवि में हर सत्र में दर्जनों मामले एेसे आते हैं, जिसमें परीक्षा फॉर्म में गलती समाने आती है, लेकिन इसके बावजूद परीक्षा फॉर्म का भुगतान किया जाता रहा है।
& परीक्षा फॉर्म भुगतान की व्यवस्था पूर्व के सत्रों से चली आ रही है। इसी के अनुरूप भुगतान होता है।
-डीके बग्गा, कुलसचिव, विवि
Home / Ujjain / यहां परीक्षा फॉर्म जांचने के नाम ये हो रही गड़बड़ी