यहां की मटरफली पहुंची रही मुंबई, दिल्ली जैसे बड़े शहरों में
खाचरौद की हरी मटर अपनी मिठास के कारण देश के कोने-कोने में है प्रसिद्ध

खाचरौद. संपूर्ण मालवा क्षेत्र में खाचरौद तहसील हरी सब्जियों के उत्पादन में सबसे अग्रणी स्थान रखती हैं। यहां पैदा हुई हरी सब्जियां दूर-दूर के शहरों में जाती हैं। हरी सब्जियों में हरी मटर की पैदावार बहुतायात में किसानों द्वारा की जाती हैं और खाचरौद की हरी मटर अपनी मिठास के कारण देश के कोने-कोने में प्रसिद्ध हैं। यहीं कारण है कि यहां हर वर्ष मटर की खेती का रकबा बढ़ता जाता हैं। तहसील का कोई गांव ऐसा नहीं हैं, जहां हरी मटर की खेती नहीं की जाती हो। इन दिनों तहसील मुख्यालय के चारों ओर के 25-30 किमी के क्षेत्र में हरी मटर की बहार आई हुई हैं। खाचरौद से प्रतिदिन हरी मटर ट्रकों एवं ट्रेनों में लोड होकर मुंबई, दिल्ली, बड़ौदा, सूरत, उदयपुर, कोटा, भरतपुर, चित्तौड़, रामगंजमंडी, अहमदाबाद आदि बड़े शहरों के साथ ही कई शहरों में जा रही हैं, जो वहां की मंडियों में नीलाम होकर अन्य छोटे शहरों में जाती हैं।
किसानों की मेहनत का फल
प्रतिवर्ष इस फसल के व्यापार में किसानों को पैसा नकद मिलता था, परंतु इस वर्ष मोदी सरकार द्वारा की गई नोटबंदी के कारण किसानों को मटर का पैसा नकद न मिलते हुए चेकों के माध्यम से मिल रहा हैं। ज्ञात रहे कि तहसील का किसान नगद रुपए की आस में रात-दिन मेहनत कर सोयाबीन फसल की कटाई के बाद मटर की बुआई कर प्रतिदिन समय पर पानी से सिंचाई करता हैं। क्षेत्र का किसान प्रात: 5 बजे से रात 1 बजे तक इस कार्य में लगा रहता हैं। कई ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए रात्रि में बिजली उपलब्ध होती हैं तो कई क्षेत्रों में दिन में व सुबह। वहीं पौधों में फली आने के बाद किसान सुबह 8 बजे से शाम 5 बजे तक मजदूरों से फलियां टुड़वाते हैं। फिर उन्हें बोरों में भरकर ट्रैक्टर, पिकअप, मोटर साइकिल, लोडिंग जीपों, साइकिल से थोक मंडी व रेलवे स्टेशनों पर ले जाते हैं। थोक सब्जी मंडी में स्थानीय आढ़तियें मटरफली नीलामी में खरीद अन्य बड़े शहरों के आढ़तियों को ट्रकों के माध्यम से भेजते हैं। वहीं कई किसान रेल द्वारा बड़े शहरों के आढ़तियों को सीधे मटर भेजते हैं।
100 ट्रक रोजाना लोड होते है : स्थानीय मंडी मे हरी मटरफली की बंपर आवक होने से रोजाना यहां से लगभग 100 ट्रक माल लोड हो रहा हैं। यह माल महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, उत्तरप्रदेश, दिल्ली सहित अन्य प्रदेशों में जा रहा हैं। एक ट्रक में औसतन 6 टन माल लोड हो रहा है।
सीजन में भाव आसमान पर
हरी मटर के सीजन की शुरुआत में खाचरौद की फुटकर मंडी में मटर 120 रुपए किलो थी। वर्तमान में भरपूर आवक के चलते हरी मटर का भाव घटकर 15-20 रुपए किलो रह गया हैं। आने वाले समय में भाव में और गिरावट आने की संभावना हैं। मटर की बंपर आवक के चलते किसानों को उनकी उपज का उचित दाम नहीं मिल पा रहा हैं। किसानों ने बताया कि मटर की तुड़ाई में लगभग 3 रुपए प्रतिकिलो का खर्चा बैठ रहा हैं एवं खेत से मंडी तक लाने में 1 रुपए प्रतिकिलो के मान से खर्च हो रहा हैं। इस तरह मटर की तुड़ाई एवं उसे मंडी तक लाने का खर्चा ही 4 रुपए प्रति किलो के लगभग बैठ रहा हैं एवं मंडी में मटर 9-15 रुपए प्रति किलो के मान से नीलाम हो रही हैं।
देर रात तक किसानों का जमावड़ा
इस वर्ष भरपूर वर्षा के चलते क्षेत्र के किसानों द्वारा हर बार से दोगुनी मटर की बुवाई की थी, जिसके चलते क्षेत्र में हरी मटर की बंपर पैदावार होने से स्थानीय मटर मंडी में जबरदस्त आवक हो रही हैं। इस कारण मंडी में देर रात तक किसानों का जमावड़ा रहता हैं व चारों ओर हरी मटर के बोरे ही बोरे दिखाई देते हैं।
मजदूरों को मिलती है मजदूरी
मटर की बंपर पैदावार होने से क्षेत्र के हजारों मजदूरों को रोजगार मिलता हैं। ये मजदूर 150-180 रुपए प्रतिदिन में किसानों के खेत में पौधों से मटरफली तोड़ते हैं, जिसमें एक मजदूर एक दिन में 50 से 60 किलो मटर तोड़ता हैं। इस कारण वर्तमान में बाजार में मजदूरों का टोटा दिखाई पड़ता हैं।
900 से 1400 रुपए क्विंटल का भाव
वर्तमान मे थोक मंडी में मटरफली का भाव 900 से 1400 रुपए क्विंटल का चल रहा है। 10 दिन पहले यह भाव 1500 से 2000 रुपए तक का था। मटरफली की बंपर आवक को देखते हुए भाव में और कमी आने की संभावना है।
रतलाम से नगर में आ रहे किसान मटर बेचने
संपूर्ण मालवा क्षेत्र में खाचरौद की मटर मंडी की प्रसिद्धि के चलते नगर में रतलाम सहित आसपास के बड़े शहरों से किसान अपनी मटरफली को बेचने के लिए नगर में आ रहे हैं। रतलाम क्षेत्र के किसानों से हमारे संवाददाता ने चर्चा की तो किसानों का कहना हैं कि खाचरौद में रतलाम क्षेत्र से ज्यादा मटरफली के भाव मिल रहे हैं, इस कारण खाचरौद में मटर बेचने में फायदा मिल रहा हैं।
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