scriptपिचकारियों पर सजे डोरेमान और छोटा भीम | Holi festival looks set, herbal color shops adorned | Patrika News

पिचकारियों पर सजे डोरेमान और छोटा भीम

locationउज्जैनPublished: Mar 02, 2020 09:49:00 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: रंगों के पर्व की रंगत आने लगी नजर, हर्बल रंग-गुलाल की दुकानें सजीं

Holi festival

Ujjain News: रंगों के पर्व की रंगत आने लगी नजर, हर्बल रंग-गुलाल की दुकानें सजीं

उज्जैन. रंगों का पर्व होली 9 मार्च को उल्लास के साथ मनाया जाएगा। इसके लिए बाजार में रंग-बिरंगी पिचकारियों और रंग-गुलाल की दुकानें सज गई हैं। पिचकारियों में बच्चों के लिए अनेक वैरायटियां हैं, वहीं बड़ों के लिए हर्बल रंग और गुलाल दुकानों पर मौजूद हैं। इस बार भी बंदूक वाली पिचकारी की डिमांड सबसे ज्यादा है।

अनेक वैरायटियां मौजूद
दौलतगंज स्थित बादशाह कटलरी के संचालक मोहम्मद हुसैन ने बताया बच्चों के लिए खास तौर पर टैंक गन, डोरेमान, पिचकू पिचकारी, छोटा भीम और मोटू-पतलू की अनेक वैरायटियां मौजूद हैं, वहीं सबसे ज्यादा डिमांड बंदूक वाली पिचकारी की होती है, इसलिए अधिक मात्रा में इस बार भी बाजार में दुकानों पर यह मौजूद है। हालांकि अभी त्योहारी ग्राहकी जोर नहीं पकड़ पाई है, लेकिन बाजार सजने लगे हैं। बाजारों में हर्बल व सुगंधित गुलाल भी आ गया है। व्यापारियों का कहना है कि ऐसे रंग और गुलाल को नुकसान नहीं पहुंचता है।

हर्बल रंग और गुलाल की डिमांड अधिक
व्यापारी विजय कुमार, सत्यनायण, विनोदकुमार गुप्ता ने बताया हर्बल रंग और गुलाल कुछ वर्षों से ज्यादा पसंद किया जा रहा है। इस बार भी आरारोट का सुगंधित हर्बल गोल्डन व हर्बल सिल्क गुलाल बाजार में उपलब्ध है, जो शरीर को नुकसान नहीं पहुंचाता है। रुह गुलाबी 5 से 50, हर्बल गुलाल 10 से 100 व पिचकारियां 50 से 500 रुपए तक उपलब्ध हैं।

इस बार मंगलमय होगा होलाष्टक
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डिब्बावाला के अनुसार इस बार वर्षों बाद मंगलमय होलाष्टक के विशेष योग बन रहे हैं। ३ मार्च से होलाष्टक आरंभ होगा और ९ मार्च को होली रहेगी। तीन सर्वार्थ सिद्धि व तीन रवि योग के साथ शुक्र-शनि पुष्य का भी संयोग बनने जा रहा है। होलाष्टक के आठ दिन साधना व सिद्ध के लिए विशेष माने जाते हैं। उत्तरवाहिनी क्षिप्रा का प्रभाव होने से होलाष्टक में शुभ कार्य करने व साधना का आठ गुना शुभ फल प्राप्त होता है।

मान्यता व परंपरानुसार होता है दहन
अलग-अलग स्थानों की मान्यता व कुछ जगहों पर परंपरा के अनुसार होलिका का दहन होता है। कुछ स्थानों पर प्रदोष काल के बाद, तो कई जगह मध्य रात्रि व ब्रह्म मुहूर्त में दहन के आयोजन होते हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो