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अगले सिंहस्थ में कैसा होगा रामघाट, क्या इतिहास खुद को दोहराएगा

locationउज्जैनPublished: Jan 25, 2022 11:05:11 pm

Submitted by:

sachin trivedi

पुनरुद्धार, समरूप होंगे मंदिर – स्मार्ट सिटी अंतर्गत १५.६७ करोड़ रुपए से होंगे विभिन्न कार्य, खूबसूरती के साथ बढ़ेबी जरनसुविधा

How will Ramghat be in the next Simhastha, will history repeat itself

पुनरुद्धार, समरूप होंगे मंदिर – स्मार्ट सिटी अंतर्गत १५.६७ करोड़ रुपए से होंगे विभिन्न कार्य, खूबसूरती के साथ बढ़ेबी जरनसुविधा

उज्जैन. रामघाट की तस्वीर बदलने वाली है। निकट भविष्य में रामघाट उस स्वरूप से मिलता-जुलता नजर आएगा जैसा वह प्राचीन समय में था। घाट पर पहले जैसे ही काले पत्थर होंगे तो मंदिर भी एक रूप में नजर आएंगे। इसके लिए प्राचीन झलक के साथ रामघाट का पुनरुद्धार किया जाएगा जिसमें यहां के प्राचीन महत्व, खूबसूरती और जन सुविधा को विशेष तरजीह दी जा रही है। एेसा होता है तो अगले सिंहस्थ में रामघाट के बदले स्वरूप से एेसा आभास हो सकता है मानो वर्षों पुराने सिंहस्थ का कोई स्नान हो रहा हो।

बदलते समय के साथ रामघाट भी अपने मूल स्वरूप से अलग हो गया है। कहीं घाट पर अलग-अलग प्रकार के पत्थर लग गए हैं तो वहीं मंदिरों के रंग भी आपस में भिन्न है। बीते दशकों में घाट पर जो नए निर्माण हुए वह इसकी प्राचीनता से मेल ही नहीं खाते हैं। इस तरह घाट का अपना प्राचीन मूल स्वरूप ही बदल गया है। इसलिए पुरानी धरोहर के संरक्षण व संवर्धन के कार्य में अब रामघाट को उसके मूल स्वरूप में लौटाया जाएगा। प्रयास होगा कि पूरा घाट एक स्वरूप में नजर आए। निर्माण के दौरान जहां जैसा रंग था, वैसा ही वह दोबारा नजर आए। इसके लिए स्मार्ट सिटी के मृदा फेज-२ (सिटीज) प्रोजेक्ट में रामघाट के संवर्धन और विकास कार्य को भी शामिल किया गया है। इसके अंतर्गत रामघाट को उसके मूल स्वरूप में लाया जाएगा। इस पर करीब १५ करोड़ ६७ लाख रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसमें इतिहासविद, पुरातत्व विशेषज्ञ आदि विषय विशेषों की मदद ली जाएगी। इसके साथ ही कुछ जनसुविधाएं भी बढ़ाई जाएंगी। स्मार्ट सिटी कंपनी ने इसके लिए टेंडर जारी कर दिया गया है जो इस महीने के अंत में खोला जाएगा। निर्माण एजेंसी तय होती है तो डेढ़ वर्ष में रामघाट का पुनरुद्धार कार्य पूरा करने की योजना है।

कहीं एरन तो कहीं ईंट-सीमेंट से निर्माण

वर्तमान में घाट पर कई मंदिर एेसे हैं जिनकी दीवारें एरन पत्थर तो शीखर ईंट-सीमेंट से बने हैं। दीवार, मंदिर आदि पर कहीं चुना तो कहीं पेंट किया हुआ है। घाट पर भी अलग-अलग पत्थर लगे हुए हैं। एेसे कई नए निर्माण हो गए हैं जो पुराने निर्माण के स्वरूप से मेल ही नहीं खाते हैं। इस विविधता के कारण रामघाट का पौराणिक स्वरूप गुम हो गया है। स्मार्ट सिटी अंतर्गत इन्हीं खामियों को दूर कर रामघाट को पुराने व एकरूप में लाया जाएगा।

एेसे लाएंगे मूल स्वरूप में

रामघाट पर कहीं चुना तो कहीं कलर की अलग-अलग परतें चढ़ी हुई है जिससे उसका वास्तविक स्वरूप ही दब गया है। राणोजी की छतरी पर गेरुआ रंग किया हुआ है जबकि पूर्व में यह एेसी ही थी, एेसा स्पष्ट नहीं है। प्रोजेक्ट अंतर्गत रामघाट पर जितने भी फसाड (निर्माण का बाहरी भाग) मंदिर, रिटेनिंग वॉल आदि हैं, उन्हें एक स्वरूप में लाया जाएगा। दीवार, मंदिर, राणोजी की छतरी आदि के वर्तमान रंग हटाए जाएंगे। इसके बाद पुराने स्वरूप में लौटाने की कार्रवाई होगी। उदाहरण के लिए जहां सेंट स्टोन मिलेगी वहां लाल, जहां बसाल्ट होगी वहां काला रंग उभारा जाएगा। घाट पर नए व पुराने निर्मार्णों के कारण जो अंतर नजर आता है, उसे भी दूर किया जाएगा।

जनता को मिलेंगी सुविधाएं

रामघाट पर जनसुविधा की काफी कमी है। र्तमान में यहां पेयजल के लिए इक्का-दुक्का प्याऊ ही हैं। इसके अलावा चैंजिंग रूम, शौचालय आदि की भी कमी है। प्रोजेक्ट अंतर्गत पांच प्लाजा प्लाजा विकसित किए जाएंगे। इससे चैंजिग रूम, शौचालय, निर्माल्य सामग्री प्रबंधन जैसी जनसुविधा बढ़ाई जाएंगी। सुविधाघर इस प्रकार बनाने की योजना है जिन्हें बारिश के मौसम में अन्यत्र शिफ्ट किया जा सके ताकि बाढ़ में यह खराब न हो। साथ ही घाट व आसपास के क्षेत्र का आकर्षण बढ़ाया जाएगा। यहां फसाड लाइटिंग आदि कार्य किए जाएंगे।

वैंडर मैनेजमेंट, वाहन भी प्रतिबंधित

वर्तमान में घाट पर बेतरतीब दुकान-ठेले लगते हैं। इससे घाट की व्यवस्था व खूबसूरती दोनो ही प्रभावित होती हैं। प्रोजेक्ट अंतर्गत वैंडर मैनेजमेंट प्लान तैयार किया जाएगा। इसमें सभी दुकानदारों को एक समान चलित दुकानें देने की योजना है। रामघाट पर वाहनों की आवाजाही पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगी। इस सबंध में क्षेत्रीय लोगों से भी चर्चा की गई है। नदी के दोनो और घाट के बाहरी क्षेत्र में पार्र्किंग सुविधा विकसित की जाएगी।

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