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पढ़ाई के अपने तरीके इजाद कर शत-प्रतिशत पाया रिजल्ट

locationउज्जैनPublished: Jul 28, 2019 09:46:18 pm

Submitted by:

Shailesh Vyas

७ शासकीय स्कूलों ने एेसा काम किया जो अन्य विद्यालयों के लिए मिसाल बन गयाबोर्ड परीक्षा कक्षा 10 वीं और 12 वीं में जिले के सात स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षकों ने अपने-अपने स्कूलों में कुछ ऐसे तरीके इजाद किए जिससे स्कूल के सभी विद्यार्थी पास हो सके। कक्षा 10 वीं में पांच और कक्षा 12 वीं में दो स्कूलों का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा।

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उज्जैन. बोर्ड परीक्षा कक्षा 10 वीं और 12 वीं में जिले के सात स्कूलों के प्राचार्यों और शिक्षकों ने अपने-अपने स्कूलों में कुछ ऐसे तरीके इजाद किए जिससे स्कूल के सभी विद्यार्थी पास हो सके। कक्षा 10 वीं में पांच और कक्षा 12 वीं में दो स्कूलों का रिजल्ट 100 प्रतिशत रहा। बच्चों को पढ़ाने और शासन के निर्देश के अनुसार स्कूलों का संचालन, पठन-पाठन होता है। इन सब के बीच कुछ शिक्षक एेसे भी होते हैं,जो बच्चों की पढ़ाई और भविष्य के लिए अपने तौर-तरीके को अपनाने में गुरेज नहीं करते हैं। जिले के सात स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के साथ कार्ययोजना के लिए एेसे तरीके इजाद किए कि परिणाम शत-प्रतिशत रहा। इन तरीके को अब मॉडल के तौर पर अपनाने की सलाह दी जा रहीं है। इन स्कूलों के किसी ने विद्यार्थियों को हर दिन अभ्यास और प्रश्नों के जवाब याद कराने की आदतें डाली तो किसी ने उनके पालकों तक नियमित संपर्क रखा। तब जाकर रिजल्ट शत- प्रतिशत आया।
शिक्षकों को कार्ययोजना बनाकर दी
शासकीय हाईस्कूल इंदिरा नगर, ढांचा भवन में लगातार पांचवें साल 10वीं में 100 प्रतिशत रिजल्ट रहा। इस वर्ष कक्षा 10वीं में स्कूल के सभी 18 विद्यार्थी पास हुए, जिनमें से 16 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में और दो विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में पास हुए। खास बात यह है कि स्कूल में प्राचार्य के साथ बाकी सभी अतिथि शिक्षकों ने विद्यार्थियों को पढ़ाया। प्राचार्य ने सत्र शुरू होने के साथ ही जुलाई- अगस्त से ही शिक्षकों को कार्ययोजना बनाकर दी। इसमें प्रत्येक एक यूनिट पूरी करने के बाद प्रतिदिन तीन-तीन प्रश्नों के जवाब विद्यार्थियों को याद करके आने का लक्ष्य दिया गया। यूनिट पूरी करते ही विद्यार्थी का अभ्यास भी होता गया। कमजोर विद्यार्थियों को उत्कृष्ट विद्यार्थियों के साथ कक्षा में बैठाने की व्यवस्था की गई।
होमवर्क की जगह स्कूल में ही कराया अभ्यास
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवगंज में कक्षा 10 वीं में सभी 15 विद्यार्थी पास हुए। इसमें से 9 प्रथम श्रेणी में और 6 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। रिजल्ट बेहतर बनाने के लिए उन्होंने होमवर्क देने की बजाय स्कूल में ही अभ्यास पूरा करने का तरीका अपनाया। यह तरीका कारगर भी सिद्ध हुआ। इसके अलावा सितंबर के महीने से ही स्कूल में अतिरिक्त कक्षाओं की शुरुआत कर दी गई। इसमें प्रतिदिन करीब एक घंटे विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की निगरानी में विद्यार्थियों को बेहतर बनाने के लिए कार्य किया गया। परीक्षा शुरू होने के दो महीने पहले से रविवार के दिन भी अतिरिक्त कक्षाएं संचालित कीं।
बोर्ड परीक्षा का कराया ट्रायल
शासकीय हाई स्कूल नौगांवा में कक्षा 10 वीं में सभी 29 विद्यार्थी पास हुए। इनमें से 14 प्रथम श्रेणी में और 15 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। पूरे साल विद्यार्थियों की अतिरिक्त कक्षाएं चलाई। पालकों से भी लगातार मॉनीटरिंग रखी। तकरीबन हर दिन पालकों को फोन लगाकर जाना कि विद्यार्थी घर पर कितनी देर पढ़ रहा है, कब उठ रहा है आदि। बोर्ड की तरह ही स्कूल में ही परीक्षा की शुरुआत की गई। जनवरी-फरवरी में ही सात बार स्कूल में ऐसी परीक्षाएं रखीं।
स्मार्टफोन पर होमवर्क की जानकारी
शासकीय मॉडल स्कूल घट्टिया में कक्षा 10 वीं के सभी 59 विद्यार्थी पास हुए। इनमें 49 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में पास हुए। अन्य 10 द्वितीय श्रेणी में पास हुए। विद्यार्थियों को साल की शुरुआत से शिक्षक सभी बच्चों से पालकों की भूमिका में रहते हुए इमोशनल रूप से जुड़े। अतिरिक्त कक्षाओं के अलावा स्कूल में विद्यार्थियों के बीच ही समूह चर्चा के अभ्यास शुरू किए। विद्यार्थियों को मोबाइल चलाने के दौरान भी पढ़ाई की आदत से जोड़ा ताकि वे मोबाइल पर पाठ्यक्रम से संबंधित जानकारियां ले सके। विद्यार्थियों से अगले दिन कक्षाओं में मोबाइल चलाने से प्राप्त शिक्षा की जानकारी भी ली जाती रहीं।
स्कूल में पढ़ाया कोचिंग की तरह
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लेकोड़ा में कक्षा 12 वीं के सभी 10 विद्यार्थी पास हुए। इसमें से 6 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में और 4 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में पास हुए। शिक्षा सत्र की शुरुआत होने के साथ ही विद्यार्थियों को कोचिंग स्टाइल में पढ़ाई करवाई गई। ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोडऩे के लिए सुबह-शाम दो घंटे उनके पालकों को भी साथ बैठाकर अध्ययन की शुरुआत की गई।पालकों को भी समय- समय पर प्रेरित करने के लिए शिक्षकों ने उनकी काउंसलिंग की।
घर पर पढऩे का टाइम टेबल
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय चामलेश्वर में कक्षा 12 वीं के सभी 20 विद्यार्थी पास हुए। इसमें से 11 प्रथम श्रेणी में और 9 विद्यार्थी द्वितीय श्रेणी में पास हुए। स्कूल में दो शिक्षक और 11 अतिथि शिक्षकों ने अध्यापन करवाया। रिजल्ट को बेहतर बनाने के लिए प्रत्येक विद्यार्थी का घर में भी टाइम टेबल तैयार करवाया गया। विद्यार्थी घर पर कितना समय पढ़ाई के लिए देता है, इसको ध्यान में रखकर यह चार्ट बनवाया गया। उनके घरों में यह समय सारणी लगवाई गई और समय-समय पर शिक्षकों द्वारा पालकों से रिपोर्ट लेते रहे।
इनका कहना
बोर्ड परीक्षा में शानदार परिणाम देने वाले स्कूलों को राज्य स्तर पर तो प्रशंसा मिली है। इनके प्राचार्य और शिक्षकों ने नियमित शिक्षण कार्य के साथ बच्चों के लिए जो तरीके और कदम उठाएं वह सराहनीय है। अन्य सभी प्राचार्यों और शिक्षा को इन तरीके को अपनाने के साथ अपने स्वयं के नए तरीके इजाद करने की सलाह शिक्षा विभाग द्वारा दी गई है।
-अभय तोमर सहायक संचालक स्कूली शिक्षा उज्जैन.

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