उज्जैनPublished: May 28, 2022 10:56:31 pm
जितेंद्र सिंह चौहान
निगमायुक्त पर स्मार्ट सिटी के टेंडर में जीआई शीट की बजाय महंगी पॉलीकॉर्बोनेट शीट लगनवाने में 40 लाख खुद तथा 60 लाख ठेकेदार को देने की शिकायत, लोकायुक्त ने 1 जून को भोपाल किया तलब
निगमायुक्त पर स्मार्ट सिटी के टेंडर में जीआई शीट की बजाय महंगी पॉलीकॉर्बोनेट शीट लगनवाने में 40 लाख खुद तथा 60 लाख ठेकेदार को देने की शिकायत, लोकायुक्त ने 1 जून को भोपाल किया तलब
उज्जैन। स्मार्ट सिटी कंपनी के एक्जुक्यूटीव डायरेक्टर व निगमायुक्त अशुंल गुप्ता पर महाकाल क्षेत्र में बनाए जा रहे स्मार्ट पार्किंग के ओपन सरफेश शेड बनाने के टेंडर में आयटम्स बदलावकर एक करोड़ रुपए का फायदा ठेकेदार को पहुंचाने की शिकायत लोकायुक्त भोपाल से हुई है। आरोप है कि एक्जुक्यूटीव डायरेक्टर रहते गुप्ता ने जीआई शीट की बजाय महंगी पॉलीकॉर्बोनेट शीट लगवाई। इसके लिए टेंडर में यूएडीडी एसओआर (५७२रुपए प्रति वर्ग मीटर)से आयटम खरीदना था लेकिन पॉलीकार्बोनेट शीट खरीदने के लिए महंगे पीडब्यूडी एसओआर (३१०५ रुपए प्रति वर्ग मीटर)का उपयोग किया गया। वहीं जीआई शीट लगाने में २२ लाख ७४ हजार ४९० रुपए व्यय होना था लेकिन पॉलीकार्बोनेट शीट लगाने से यह राशि बढक़र १ करोड़ २० लाख ३४ हजार ९८० रुपए पहुंच गई। लोकायुक्त में शिकायत करने वाले विधायक महेश परमार ने आरोप लगाया कि निगमायुक्त गुप्ता ने ठेकेदार एमपी बावरिया को लाभ पहुंचाने के लिए आयटम बदलवाया। उन्होंने एक करोड़ रुपए में ४० लाख रुपए स्वयं रखे और ६० लाख ठेकेदार को दिए। मामले में लोकायुक्त भोपाल ने निगमायुक्त गुप्ता को नोटिस भेजते हुए टेंडर से संबंधित सभी दस्तावेज लेकर १ जुलाई को भोपाल बुलाया है। निगमायुक्त अंशुल गुप्ता से इस संबंध में पत्रिका ने जब फोन पर संपर्क किया तो उन्होंने रीसिव नहीं किया।
ठेकेदार ने १७.६७ फीसदी कम पर लिया टेंडर
स्मार्ट सिटी द्वारा महाकाल मंदिर क्षेत्र में स्मार्ट पार्किंग बनाई जा रही है। यहां पर छतों पर सोलर लाइट लगना है। इसके लिए ३.६२ करोड़ की लागत से एमपी बाबरिया को ठेका दिया है। ठेकेदार ने १७.६७ फीसदी यूएडीडी एसओआर से कम पर ठेका लिया है। विधायक परमार ने आरोप लगाया कि अंशुल गुप्ता ने षडय़ंत्र पूर्वक जीआई शीट के आयटम को ही पीडब्ल्यूडी एसओआर पर लिया गया। यदि ऐसा नहीं होता तो ठेकेदार बावरिया को टेंडर नहीं मिल पाता। ठेकेदार को फायदा दिलाने के लिए जीआइ शीट के आयटम को परिवर्तित कर पॉलीकार्बोनेट शीट लगाने के आदेश दिए गए। इसमें निगमायुक्त गुप्ता द्वारा अपने पद का दुरुपायोग कर ठेकेदार को एक करोड़ रुपए का फायद पहुंचाया गया।
ऐसे लगे हैं गड़बड़ी के आरोप
– ठेकेदार को टेंडर के अनुसार जीआइ शीट लगानी थी जिस पर कुल व्यय २२ लाख ७४ हजार ४९० रुपए व्यय होना था।
– ठेकदार ने जीआइ शीट की बजाय पॉलीकार्बोनेट की शीट लगाई गई। इसका पीडब्ल्यूडी एसओआर ३१०५ रुपए था। ऐसे में लागत १ करोड़ २० लाख ३४ हजार ९८० रुपए खर्च हुए।
– ठेकेदार ने पॉलीकार्बोनेट शीट ३१०५ रुपए वर्ग फीट की दर से लगाई है। जबकि इसकी बाजार कीमत ८०८ रुपए प्रति वर्ग मीटर है। यानी ठेकेदार को ९१ लाख ६२ हजार ८६४ रुपए का फायदा पहुंचाया गया।
लोकायुक्त ने निगायुक्त से मांगी यह जानकारी
– निविदा क्रमांक यूएससीएल/७५, दिनांक ६ फरवरी २०२१ में संपादित कार्य अनुबंध , स्वीकृत प्राक्कलन, तकनीकी स्वीकृति, डिजाइन एवं ड्राइंग, कार्यादेश, कार्य के भुगतान, अब तक की गई समस्त कार्य की नस्ती व नोटशीट तथा माप पुस्तिका।
– उपयोग की गई पॉली कार्बोनेट शीट का सेंपल। इसमें शीट का मेक, साइज व स्पेसिफिकेशन अंकित हो।
– पॉलीकार्बोनेट शीट की निर्माता कंपनी को ब्रोशर, ठेकेदार द्वारा क्रय की गई शीट के चालान की प्रति एवं देयक व उपयोग किए गए यूएडीडी एसओआर की प्रति।