scriptकलेक्टर करें प्रयास, तो देवी-देवता होंगे प्रसन्न, तब ही मिटेगा कोरोना संकट | If the collector tries, the deities will be happy, corona crisis | Patrika News

कलेक्टर करें प्रयास, तो देवी-देवता होंगे प्रसन्न, तब ही मिटेगा कोरोना संकट

locationउज्जैनPublished: May 17, 2020 09:04:31 am

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: यह नगर पूजा का समय नहीं, लेकिन यदि संकट चारों तरफ से घिरा हो, तो काल को टालने का कार्य कभी भी किया जा सकता है।

If the collector tries, the deities will be happy, corona crisis

Ujjain News: यह नगर पूजा का समय नहीं, लेकिन यदि संकट चारों तरफ से घिरा हो, तो काल को टालने का कार्य कभी भी किया जा सकता है।

उज्जैन. कोरोना संकट में हमारा शहर ऐसा फंसा है कि यहां हर दिन संक्रमितों के साथ-साथ मरने वालों की संख्या बढ़ रही है। बाबा महाकाल की नगरी में मौत का तांडव क्यों नहीं रुक रहा। इसके लिए यहां की नगर सरकार अर्थात कलेक्टर को शासकीय पूजा के रूप में नगर के देवी-देवताओं की उसी तरह पूजा करना चाहिए, जिस प्रकार नवरात्रि की अष्टमी पर की जाती है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार यह नगर पूजा का समय नहीं, लेकिन यदि संकट चारों तरफ से घिरा हो, तो काल को टालने का कार्य कभी भी किया जा सकता है।

नगर पूजा की परंपरा

नगर पूजा की परंपरा नवरात्रि पर्व में प्रतिवर्ष निभाई जाती है, लेकिन इस बार कोरोना ने उसे तोड़ दिया, हो सकता है देवी-देवता इस पूजा के अभाव में रुष्ट हो गए हों और संकट का दौर खत्म ही नहीं हो रहा। इसलिए अब समय है कि दवा के साथ यदि दुआ भी हो जाए, तो क्या नुकसान है। यह बात वाल्मीकि धाम के बालयोगी संत उमेशनाथ महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि नगर पूजा सिर्फ कलेक्टर या सरकार द्वारा ही होना है, यदि कोई और उसे कर सकता, तो हमारा आश्रम ही सबसे पहले यह कार्य कर देता। लेकिन कुछ पूजा विधि की भी अपनी मर्यादाएं होती हैं, जिन्हें उसी प्रकार से निर्वाहन किया जाना चाहिए।

इन्होंने भी कहा नगर पूजा होना ही चाहिए…
1. ज्योतिषाचार्य पं. श्यामनारायण व्यास ने कहा नगर पूजा की परंपरा राजा विक्रमादित्य के समय से चली आ रही है। दोनों ही नवरात्रि में देवी-देवताओं को इसीलिए पूजा जाता था, ताकि नगरवासी सुरक्षित और स्वस्थ रह सकें। हम रूढ़ीवादी और अंधविश्वास जैसी बात नहीं कर रहे, लेकिन समय जैसा चल रहा है, उसमें देवताओं को पूजने में क्या बुराई।

2. संत सत्कार समिति के सचिव श्याम माहेश्वरी का कहना है कि जिला प्रशासन की ओर से हर बार ही नगर पूजा होती आई है, इस बार नहीं होने से उसका परिणाम भी सामने नजर आ रहा है। अब भी समय है, इसे कर लेना चाहिए।

3. समाजसेवी रामबाबू गोयल के अनुसार कलेक्टर साहब की व्यस्तता हम सब जानते हैं, कि वे सभी मंदिरों में नहीं जा सकते, लेकिन चौसठ योगिनी, भूखी माता या नगर कोट की रानी मंदिर चले जाएं, बाकी जगह कोटवार या अन्य को भेज दें, परंपरा तो निभा ही सकते हैं।

4. रामानुजकोट के महामंडलेश्वर स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज का कहना है कि देवता सिर्फ भावना के भूखे हैं। यह मंदिरों का शहर है, धर्म की राजधानी है, तीर्थों में तिल भर बड़ा होने का गौरव इस शहर को है, साक्षात बाबा महाकाल विराजमान हैं, तो फिर पूजा-परंपरा भी निभाते रहना चाहिए।

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