श्रमिक नेता ने माइक से दी गाली तो भडक़े ठेका मजदूर, जमकर चले हथियार
उज्जैनPublished: Oct 11, 2019 12:38:51 am
पांच सालाना समझौता… ग्रेसिम उद्योग गेट पर जमकर हुआ हंगामा, करीब आधा दर्जन श्रमिकों को आई चोट
पांच सालाना समझौता… ग्रेसिम उद्योग गेट पर जमकर हुआ हंगामा, करीब आधा दर्जन श्रमिकों को आई चोट
नागदा. ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन और मजदूरों के बीच वेतनवृद्धि सहित अन्य हित लाभ के लिए किए गए बहुप्रतीक्षित पांच सालाना समझौता को सुनाने को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन के नेताओं ने गुरुवार शाम 5 बजे उद्योग के पावर हाउस गेट पर मीटिंग का आयोजन किया था। करीब-करीब सभी श्रमिक नेता समझौते पर बोल चुके थे। अंत में भारतीय मजदूर संघ के प्रधानमंत्री जोधसिंह राठौर समझौता पढकऱ सुना ही रहे थे, वहां मौजूद कुछ ठेका श्रमिकों ने हंगामा शुरू कर दिया, जिस पर श्रमिक नेता जोधसिंह राठौर भडक़ गए और उन्होंने माइक से ही हंगामा कर रहे ठेका श्रमिकों को गाली-गलौज करते हुए समर्थकों से मारने का आदेश दे दिया। फिर क्या था दोनों और से श्रमिक आमने-सामने हो गऐ और देखते ही देखते आपस में मारपीट शुरू हो गई। दोनों ओर से श्रमिकों ने ट्रेड यूनियन के झंडे में लगे डंडे निकाल लिए और आपस में भिड़ गए। हंगामा बढ़ते देख मौके पर मौजूद ट्रेड यूनियन के नेता वहां से भाग निकले। घटना के विरोध में ठेका श्रमिक बिरलाग्राम थाने पहुंचे। खबर लिखे जाने तक ठेका श्रमिकों ने थाना घेर रखा था।
वहीं ठेका श्रमिकों के समर्थन में कांग्रेस के नेता और श्रमिक नेता भवानीसिंह शेखावत ने भी थाने पहुंच कर मोर्चा संभाल लिया। पुलिस ने ठेका श्रमिक नेता रतनसिंह की शिकायत पर आठ नामजद लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया है। आरोपियों में श्रमिक नेता जोधसिंह राठौर का भी नाम है। दूसरी और हिंमाशु पिता जितेंद्र दुबे की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ पुलिस ने प्रकरण दर्ज किया हैं। बता दे कि हर पांच साल में वेतन वृद्धि सहित श्रमिकों के अन्य हित लाभों के लिए टे्रड यूनियन और प्रबंधन के बीच समझौता किया जाता है। पिछला समझौता 31 दिसंबर 2018 को समाप्त हो गया था। नये समझौते को लेकर श्रमायुक्त इंदौर के समक्ष ट्रेड यूनियन नेताओं एवं प्रबंधन के बीच करीब 10 माह तक बैठकों का दौर चलता रहा। तब कही जाकर गुरुवार को नया समझौता हो सका। इसी समझौते की जानकारी देने के लिए गेट मीटिंग बुलाई गई थी और हंगामा हो गया।
पुलिस की लापरवाही आई सामने : पूरे मामले में बिरलाग्राम पुलिस की लापरवाही सामने आई है। सुबह से ही इस बात की आशंका जताई जा रही थी कि समझौता सुनाने के दौरान ठेका श्रमिक हंगामा कर सकते है। बावजूद इसके पुलिस लापरवाह बनी रही। कोई भी वरिष्ठ पुलिस का अधिकारी या पुलिस फोर्स को गेट मीटिंग स्थल पर तैनात नहीं किया गया। खास बात यह है कि गेट मीटिंग स्थल से बिरलाग्राम थाने की दूरी महज 200 मीटर से भी कम होने के बावजूद पुलिस वहां तब तक नहीं पहुंची, जब तक हंगामा मारपीट में तब्दील नहीं हो गया। दोनों तरफ से श्रमिक और नेताओं के समर्थक आमने-सामने हो गए, तब कहीं जाकर पुलिस ने मोर्चा संभाला और लोगों के हाथ से डंडे छीने।
इन पर प्रकरण दर्ज : दोनों पक्षों ने पुलिस में एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। ठेका श्रमिक नेता रतनसिंह की शिकायत पर पुलिस ने जोधसिंह राठौर, हिंमाशु राणावत, जयवर्धनसिंह राठौर, हिंमाशु पिता जितेंद्र दुबे, कीर्ति सिंह नरूका, संजयसिंह चौहान, उमेश साहनी के खिलाफ धारा 323, 294,147 के तहत प्रकरण दर्ज किया है। दूसरे पक्ष के हिंमाशु दुबे की शिकायत पर तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ मारपीट एवं गाली-गलौच की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है।
इनकों आई चोट : मिली जानकारी के अनुसार मारपीट के दौरान जफर शाह, गणपत, छेदीलाल,ओमप्रकाश को चोट आई है। दूसरे पक्ष के हिंमाशु दुबे घायल होने की सूचना है। हालांकि पुलिस ने हिमांशु दुबे एवं जफर शाह का मेडिकल करवाने की बात कही है।
ठेका श्रमिक बोले- मंजूर नहीं है समझौता
संयुक्त ट्रेड यूनियन और प्रबंधन के बीच हुआ समझौते से ठेका श्रमिक खुश नहीं है। ठेका श्रमिक के नेता अशोक मीणा, रतनसिंह, कमलेश, जुझारसिंह, गौतम आदि ने बताया जो समझौता किया हैं, उसमें ठेका श्रमिकों के लिए दीपावली पर मिठाई का डिब्बा और हाथ घड़ी के अलावा कुछ नहीं है। उनकी मांग थी कि समझौते में कुशल, अकुशल एवं अद्र्ध कुशल सभी ठेका श्रमिकों के मूल वेतन में कम से कम डेढ़ सौ रुपए प्रतिदिन के हिसाब से बढ़ोतरी होनी चाहिए थी। लेकिन समझौता सभी हितलाभों को जोडकऱ मात्र 100 रुपए प्रतिदिन की बढ़ोत्तरी की घोषणा की गई है, जो ठेका श्रमिकों के साथ विश्वास घात है।
थाने में भी हुई मारपीट की घटना
बिरलाग्राम थाना घेराव के दौरान जब ठेका श्रमिक दोषियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने की मांग कर रहे थे। उसी दौरान एक ट्रेड यूनियन नेता का रिश्तेदार दयालसिंह ने हंगामा कर रहे ठेका श्रमिकों को गोली मारने की धमकी दे डाली, जिससे थाने में मौजूद ठेका श्रमिक भडक़ गए और धमकी देने वाले युवक की पिटाई कर दी। वह तो गनीमत रही कि पुलिस ने युवक को अपनी सुरक्षा में लेकर भीड़ से छुड़ा लिया नहीं तो अनहोनी हो सकती थी। बाद में धमकी देने वाले युवक को पुलिस ने अपनी अभिरक्षा में लेकर थाने में बैठा कर बाहर से चैनल बंद कर ली।
विवाद से हमारा नहीं है कोई लेना देना : उद्योग प्रबंधन
ग्रेसिम जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास का मामले में कहना है कि यह विवाद ट्रेड यूनियन नेताओं और ठेका श्रमिकों के बीच का हैं। प्रबंधन का विवाद से कोई लेना-देना नहीं हैं। समझौते में ट्रेड यूनियन ने जो भी मांगें रखी थी ज्यादातर मांगें प्रबंधन द्वारा मान ली गई है।