सीएसपी मलकीत सिंह ने बताया कि मुखबिर से गंभीर नदी के बैक वाटर पर स्थित डैम जो कि नलवा गांव के समीप पड़ता है, पर अवैध उत्खनन की सूचना मिली थी। सूचना के बाद भैरवगढ़ थाना पुलिस सहित मौके पर पहुंचे तो वहां से ३ वाटर बोट, २०० फीट पाइप, ११ पानी में तैरने के ड्रम, हजारों क्यूबिक रेत आदि जब्त किए गए हैं। पुलिस के पहुंचने के पहले अवैध उत्खनन करने वाले गिरोह के सदस्य वहां से भाग निकले थे। खनिज विभाग को सूचना दे दी गई है। आगे कार्रवाई खनिज विभाग द्वारा की जाएगी। क्षेत्रीय ग्रामीणों ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कई बार गुप्त नाम से खनिज और संबंधित थाना पुलिस में शिकायत भी की गई है, लेकिन रेत सरगनाओं के तार सत्ताधारी दल के रसूखदार नेताओं से जुड़े होने की वजह से आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
४.५ लाख में तैयार होती है वाटर बोट
अवैध उत्खनन में जिस वाटर बोट का उपयोग किया जा रहा था। वह महज ४.५ लाख रूपए में बनकर तैयार होती है। जिसके चलते अधिकांश रसूखदार नेताओं ने इस वाटर बोट के जरिए अवैध उत्खनन करना आरंभ कर दिया। एक वाटर बोट से करीब पौने घंटे में धूली हुई रेत निकाली जाती है। रोजाना एक वाटर बोट से २० डंफर रेत निकाली जाती है।
सेटिंग पर किया गंभीर को खाली
पूरे रैकेट में क्षेत्रीय सरपंच, संबंधित थाना पुलिस और खनिज विभाग की मिलीभगत की बात सामने आ रही है। बारिश के चार महीनों को छोड़कर आठ महीने यहां से रेत निकाली गई। जानकारों की माने तो यदि एक वर्ष और ये अवैध उत्खनन चलता रहता तो डेम और इसके आसपास की सारी रेत खत्म हो जाती।
बोट में ट्रक का इंजिन, पूरा कामकाज स्थाई
सीएसपी मलकीत सिंह ने बताया कि बोट में ट्रक का इंजिन लगाकर उत्खनन किया जा रहा था। इंगोरिया, महाकाल और भैरवगढ़ थाना क्षेत्र में तीन स्थानों पर अवैध उत्खनन की जानकारी मिली है। अवैध उत्खनन के लिए गांव में पक्का रास्ता, डेम में पानी के ड्रम पर आठ र्इंच के पाईप लाइन के लिए स्थाई जोड़ इस पाईप के जरिए बोट से रेत किनारे तक पहुंचाई जाती थी। जहां से रेत में पानी को छन्ने के जरिए अलग करके डंफर मेंं लोड कर दिया जाता है। इतने स्थाई काम के बावजूद खनिज विभाग को जानकारी नहीं होना आश्चर्य कर देने वाली बात है। खनिज अधिकारियों को सूचना देकर बुलवा लिया गया है। आगे की कार्रवाई उन्हीं के द्वारा की जाएगी।