scriptकालों के काल…महाकाल की नगरी में सोमवती पर्व का स्नान क्यों है खास… | Importance of Somavati Amavasya in the city of Mahakal | Patrika News

कालों के काल…महाकाल की नगरी में सोमवती पर्व का स्नान क्यों है खास…

locationउज्जैनPublished: May 25, 2019 08:58:32 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

तंत्र-मंत्र की सिद्धि से परिपूर्ण इस पवित्र भूमि में वैसे तो हर त्योहार और पर्व का खास महत्व है, लेकिन शनि और सोमवती अमावस्या के दिन यहां आस्था का मेला लगता है।

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उज्जैन. भगवान महाकालेश्वर की नगरी सभी तीर्थों में तिलभर बड़ी है। यहां चौंसठ योगीनी, 56 भैरव, स्वयं कालों के काल महाकाल और शक्तिपीठ के रूप में मां हरसिद्धि, मां अवंतिका देवी और गढ़कालिका का दरबार लगा है। तंत्र-मंत्र की सिद्धि से परिपूर्ण इस पवित्र भूमि में वैसे तो हर त्योहार और पर्व का खास महत्व है, लेकिन शनि और सोमवती अमावस्या के दिन यहां आस्था का मेला लगता है। पतित पावनी मां शिप्रा और त्रिवेणी संगम पर तीन नदियों के जल में स्नान का महत्व और बढ़ जाता है। हर बार की तरह इस बार भी ग्रामीण और शहरी श्रद्धालुओं की भीड़ रामघाट तथा सोमकुं पर उमड़ेगी। इसे देखते हुए प्रशासन ने व्यवस्थाएं जुटाई हैं, वहीं सुरक्षा व्यवस्था भी चाक-चौबंद रहेगी।

शनि देव प्राकट्य दिवस के साथ 3 जून को आ रही सोमवती
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तीन जून को सर्वार्थसिद्धि योग में आ रही है। सोमवार को होने से सोमवती अमावस्या पर्व होगा। इस दिन पंचांग गणना के अनुसार शनिदेव प्राकट्य का भी संयोग है।

अमावस्या पर सर्वार्थ सिद्धि योग
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या सर्वार्थसिद्धि योग में आ रही है। इस दिन शिप्रा के रामघाट और सोमतीर्थ स्थित सोमकुंड में स्नान, सोमेश्वर महादेव का दर्शन-पूजन होगा। नक्षत्र योग के अनुसार अमावस्या स्नान, दान और पितृकर्मों के लिए श्रेष्ठ है। ज्येष्ठ मास की अमावस्या सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र, सुकर्मा योग, नागकरण और वृषभ राशि के चंद्रमा की साक्षी में आ रही है। सोमवार के दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग सर्वार्थसिद्धि योग का निर्माण कर रहा है। यह योग पितृकर्म व धार्मिक कार्यों में विशेष फल प्रदान करने वाला माना गया है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार
ज्येष्ठ मास की अमावस्या को भावुका अमावस्या भी कहा जाता है। ज्येष्ठ मास 12 महीनों में बड़ा माना गया है। इस माह की अमावस्या भी वर्षभर की 12 अमावस्याओं में बड़ी है। इस दिन 24 घंटे सर्वार्थसिद्धि योग का होना विशेष माना गया है। धर्मशास्त्रीय अवधारणा में वृषभ राशि के चंद्रमा में अमावस्या शुभ मानी जाती है।

शनिदेव का प्राकट्य दिवस भी है इसी दिन
ज्योतिर्विद पं. आनंदशंकर व्यास ने बताया पंचांग गणना धर्म-ग्रंथों के अनुसार शनि देव के प्राकट्य दिवस को लेकर विभिन्न मान्यताएं हैं। इनमें भगवान शनिदेव के प्राकट्य की मान्यता प्रमुख रूप से ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर मानी गई है। शनिदेव की प्रसन्नता के लिए तेलाभिषेक करना चाहिए। शनिस्त्रोत, शनिअष्टक, शनिस्तवराज, शनिकवच का पाठ करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।

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