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इंडियन एअर फोर्स डे आज: आजादी से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था

locationउज्जैनPublished: Oct 08, 2019 11:55:22 am

Submitted by:

Lalit Saxena

Ujjain News: दुश्मन को हवा में ही उड़ाने के लिए पायलट काफी नहीं, पूरी टीम की भूमिका जरूरी

Indian Air Force Day, Pilot is not enough, role of whole team is necessary

Ujjain News: दुश्मन को हवा में ही उड़ाने के लिए पायलट काफी नहीं, पूरी टीम की भूमिका जरूरी

उज्जैन. इंदौर रोड स्थित शा. इंजीनियरिंग कॉलेज परिसर में रखा मिग-23 विमान शान बढ़ा रहा है। यह विमान 2003 में सेवानिवृत्त अधिकारी प्रवीण गर्ग के प्रयासों से यहां लाया गया था। इस विमान का जेट इंजन आज भी यहां पढऩे वालों के रिसर्च में काम आता है, वहीं बाहर रखा मिग-23 का ढांचा शहरवासियों के आकर्षण का केंद्र है।

1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी
भारतीय वायुसेना दिवस हर साल 8 अक्टूबर को मनाया जाता है। 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी, इसीलिए हर साल इस दिन यह दिवस मनाया जाता है। आजादी से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना के पहले दस्ते का गठन हुआ, जिसमें 6 आरएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई सिपाहियों को शामिल किया गया था। भारतीय वायुसेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आजादी के बाद इसमें से रॉयल शब्द हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया। भारतीय वायु सेना दिवस के मौके पर पत्रिका ने उन अफसरों से चर्चा जो मिसाइल प्रणाली पर कार्य कर चुके हैं।

फोर्स को मिला फ्रीडम
भारतीय वायुसेना के भूतपूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट डॉ. अप्रतुल चन्द्र शुक्ला, जो कि वर्तमान में शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज में मैकेनिकल-इंजीनियरिंग विभाग में बतौर प्रोफेसर सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि जमीन से आसमान में मार करने और दुश्मन के विमान को हवा में नष्ट करने वाली मिसाइल प्रणाली पर 6 साल काम किया है। दुश्मन के विमान को हवा में ही नष्ट करने के लिए सिर्फ पायलट ही काफी नहीं होता, बल्कि पूरा टीम की अहम भूमिका रहती है। हाल ही में जो पाकिस्तान में घुसकर सबक सिखाया गया है, वह बड़ी बात है। उससे फोर्स को संबल मिला। इस घटना के बाद एक प्रकार से देश की रक्षा के लिए फोर्स को फ्रीडम मिला है और सैनिकों का आत्मबल भी बढ़ा है।

हर दम रहना पड़ता है अलर्ट
ग्रुप कैप्टन मनोज गर्ग (सेवानिवृत्त) भारतीय वायु सेना में 25 वर्ष तक रहे। साथ ही सर्विसिंग, मरम्मत, मिग-23 के ओवरआल, मिग -27 और मिग-29 फाइटर एयर क्राफ्ट में शामिल रहे। गर्ग का कहना है प्रत्येक मिशन जैसे बालाकोट हमले में टीम के काम की आवश्यकता होती है।जब प्रत्येक व्यक्ति कुशलतापूर्वक और सही ढंग से कार्य करता है, तो मिशन पूरा हो जाता है। एक लड़ाकू पायलट के लिए जीवन और मृत्यु का मामला है। इसलिए सभी जमीनी अधिकारियों को अत्यंत सावधानी के साथ मिशन की आवश्यकताओं में भाग लेना अत्यंत आवश्यक है। भारतीय नागरिकों को संदेश देते हुए कैप्टन गर्ग ने कहा जल सेना, थल सेना और वायुसेना के लिए सहयोग राशि समय-समय पर दान करना चाहिए।

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