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शाजापुर में मासूम ऐसे खतरा उठाकर जा रहे स्कूल

locationउज्जैनPublished: Oct 21, 2019 12:12:30 am

Submitted by:

rajesh jarwal

18 अक्टूबर को रिछोदा में हुआ था हादसा, कुएं में गिर गई 21 बच्चों से भरी वैनजिम्मेदारों ने कभी ध्यान नहीं दिया

Innocent schools in Shajapur are taking such risks

18 अक्टूबर को रिछोदा में हुआ था हादसा, कुएं में गिर गई 21 बच्चों से भरी वैनजिम्मेदारों ने कभी ध्यान नहीं दिया

शाजापुर. किसी भी स्कूल के संचालन के पहले स्कूल के आसपास बच्चों की सुरक्षा देखी जाती है, लेकिन स्कूलों को मान्यता देते वक्त शिक्षा विभाग के अधिकारी मोटी रकम लेकर आंख मूंद लेते हैं, जिससे स्कूलों के आसपास मंडरा रहे खतरे में मासूमों की जिंदगी हर समय दांव पर लगी रहती है। रिछोदा में महज १० फीट की दूरी पर खुला कुआं बच्चों की मौत का कारण बन गया। इसके बाद प्रशासन जागा और स्कूलों के आसपास सुरक्षा देखने लगा। जिले में अब भी अनेक स्कूल ऐसे जहां बच्चों को हर समय खतरे से होकर गुजरना पड़ता है। जिला मुख्यालय पर ही रेलवे पटरी सीमा से महज ३० फीट की दूरी पर स्कूल संचालित हो रहा है। इस स्कूल को हायर सेकंडरी तक मान्यता भी दी गई है। हर दिन स्कूली बच्चों को पटरी से रेलों से बीच होकर गुजरना पड़ता है। हर समय खतरा मंडरा रहता है, लेकिन जिम्मेदार सिर्फ हादसों का इंतजार कर रहे हैं।
आदर्श कॉलोनी, रेलवे फाटक के पास, रेल की पटरी के सामने ही सरस्वती ज्ञान मंदिर हाई स्कूल संचालित होता है। स्कूल को १०वीं तक मान्यता मिली हुई है, जिसमें ३०० बच्चे पढ़ते हैं। यहां स्कूल का संचालन वर्ष २०१० से हो रहा है। स्कूल के सामने रेलवे पटरी होने से बच्चों को इसी पटरी से होकर स्कूल आना-जाना पड़ता है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा के लिए वहां कोई मौजूद नहीं रहता है। पत्रिका ने मौके पर जाकर देखा तो बच्चे पटरियों से बचते-बचाते गुजर रहे थे। कुछ छोटे थे, जिन्हें परिजन पटरी पार करा रहे थे, क्योंकि स्कूल पटरी के पास है।
गुजरती है रेल
स्कूल के सामने से निकली रेलवे लाइन से हर दिन दर्जनभर से अधिक रेल निकलती है। खास बात यह है कि स्कूल के समय दोपहर ११.३० से १२.१५ के बीच ही पटरी से कोटा-इंदौर इंटरसिटी और बीना-नागदा पैसेंजर प्रतिदिन गुजरती है। साथ ही साप्ताहित रेल और मालगाड़ी की भी आवाजाही रहती है।
ऐसे में बच्चों को अनेक बार पटरी पार करने में खतरा बना रहता है। स्कूल के सामने ही मालगाड़ी का टे्रक है। जहां मालगाड़ी खड़ी होती है। यहां सीमेंट, खाद सहित अन्य सामग्री उतारी जाती है, जिससे ट्रकों की कतार भी लगी रही है। ऐसे में स्कूल के सामने जगह ही नहीं बचती है।
बच्चों के लिए स्कूल में सुरक्षा की जाती है। स्कूल के बाद की जिम्मेदारी परिजनों की है। पटरी से निकलते वक्त भी स्कूल स्टाफ नजर रखता है। यहां अभी तक कोई हादसा नहीं हुआ।
-एलपी यादव, स्कूल संचालक
इस तरह की लापरवाही सामने आती है तो उसका निरीक्षण कराकर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
-उपेंद्र उदय भिड़े, जिला शिक्षा अधिकारी
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