कालिदास समारोह धीरे-धीरे अपनी प्रतिष्ठा खो रहा
शहर का गौरव अभा स्तर का कालिदास समारोह धीरे-धीरे अपनी प्रतिष्ठा खो रहा है। कला रसिक दर्शकों के अलावा इस आयोजन से शहरवासी दूरी बनाने लगे हैं। होने वाली बैठकों में इस दक्ष प्रश्न पर कई बार मंथन हो चुका है, लेकिन स्थिति जस की तस है। देव प्रबोधिनी एकादशी से आरंभ होने वाले इस भव्य आयोजन की तैयारियां हर बार की तरह इस बार भी विलंब से शुरू हो रही हैं। फिलहाल स्थानीय समिति का ही गठन किया जा सका है, इसके बाद ये समिति सदस्य मिलकर नृत्य, नाट्य व चित्रकारों के अलावा अन्य कलाकारों का चयन करेंगे। महज डेढ़ महीना ही शेष रह गया है, लेकिन अब तक समारोह के आयोजन को लेकर व्यापक तैयारियां कहीं नजर नहीं आ रहीं।
स्थानीय समिति में बदल गए चेहरे
सरकार बदलते ही कालिदास समारोह की स्थानीय समिति में भी चेहरे बदल गए। इस बार जो सूची जारी की गई है, उसमें कांग्रेसी नेताओं के नाम अधिक नजर आ रहे हैं। वहीं भाजपाई नेता गिने-चुने रखे गए हैं। इसमें भी कई वरिष्ठों के नामों पर विचार तक नहीं किया गया है।
ब्यूरो और संपादक का फर्क नहीं जानती अकादमी
इस बार जो स्थानीय समिति की सूची जारी की गई है, उसमें राष्ट्रीय अखबारों, इलेक्ट्रॉनिक चैनलों को स्थानीय और बाहरी के तौर पर रखते हुए ब्यूरो तथा संपादक का फर्क नासमझी के रूप में नजर आ रहा है। कई प्रमुख व प्रतिष्ठित अखबारों, चैनलों के स्थानीय संपादकों को ब्यूरो चीफ के नाम से उल्लेखित किया गया है।