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दस दिन और बढ़ सकता है सस्ते कपड़ों का सबसे बड़ा मेला

locationउज्जैनPublished: Dec 02, 2022 11:38:00 am

Submitted by:

deepak deewan

मेले से इस बार 58 लाख रुपए का राजस्व प्राप्त, कार्तिक मेले की देरी से शुरुआत, दस दिन और बढ़ सकती है अवधि

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उज्जैन. शहर में लगे कार्तिक मेले को इलाके के सबसे बड़े मेले के रूप में जाना जाता है. यहां सस्ते कपड़ों के साथ हर प्रकार के सामान मिलते हैं. मेले में रोज बड़ी संख्या में लोग झूले, व्यंजन के साथ खरीदारी का आनंद लेने भी पहुंच रहे हैं। इधर ई-टेंडर की नई प्रक्रिया व अन्य कारणों के चलते इस बार कार्तिक मेला देरी से जम पाया है। ऐसे में अब इसकी अवधि बढ़ाने की कवायद है। संभावना है कि मेले को 10 दिन और बढ़ाया जा सकता है।

कार्तिक मेले की शुरुआत 7 नवंबर को हुई थी जिसका समापन 6 दिसंबर को होना है। मेले में शुरुआत के दिनों में व्यवस्था नहीं होने के कारण इसकी रंगत फिकी पड़ी हुई थी। शुभारंभ के 10-12 दिन में बाद स्थिति सुधरना शुरू हुई थी। ऐसे में अब जन सुविधा और व्यापारियों के हित के लिए समापन अवधि बढ़ाने की कवायद है। खासतौर पर वस्त्र विक्रेता इसके लिए प्रयास कर रहे हैं. गुरुवार को मेला ग्राउंड पर हुई समिति की बैठक में मेला अवधि बढ़ाने की मांग भी उठी। हालांकि अधिकारी-जनप्रतिनिधियों ने इस पर विचार करने की बात कही है।

ई-टेंडर से मिला बड़ा राजस्व
राजस्व समिति प्रभारी डॉ. योगेश्वरी राठौर ने कार्तिक मेला अंतर्गत राजस्व वसूली की समीक्षा की। इसमें बताया गया कि अब तक कार्तिक मेला में भूमि आवंटन से निगम को 58 लाख का राजस्व प्राप्त हुआ है। मेले में दुकान व भुमि आवंटन से अभी तक 54 लाख 87 हजार रुपए प्राप्त किए है। इसके अतिरिक्त 8 से 10 लाख रूपए की आय होना अनुमानित है। जो शीघ्र निगम को प्राप्त होगी। साथ ही दाण्डिक वसूली के रूप में निगम को 3 लाख 29 हजार 585 की ठेलेवाले व दुकानों से प्राप्त हुई है। वर्ष 2021 में 23 लाख 22 हजार 140 रुपए की आय प्राप्त हुई थी। बैठक में डॉ. राठौर ने बकाया वसूली जल्द करने के निर्देश दिए। समीक्षा में एमआईसी सदस्य शिवेंद्र तिवारी, सहायक आयुक्त नीता जैन, जोनल अधिकारी सुनील जैन, अन्यकर विभाग से जय सिंह राजपूत व अन्य सहायक राजस्व निरीक्षक मौजूद थे।

दुकानों के सामने ठेले-फेरी
कई व्यापारियों ने ऊंचे दाम देकर मेले में दुकाने ली हैं लेकिन उन्हें तुलनात्मक सुविधा नहीं मिल रही हैं। उनकी दुकानों के आगे ठेले वाले या जमीन पर दुकान लगाने वाले जम जाते हैं। इससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। बैठक में व्यापारियों की यह समस्या भी उठी। कर्मचारियों को अतिक्रमण हटाने व ऐसी ठेला दुकानें व्यस्थित लगवाने के निर्देश दिए।

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