scriptडोल ग्यारस की झांकियों में नजर आई केरल की त्रासदी | Kerala's tragedy seen in the glow of Dole Gyaras | Patrika News

डोल ग्यारस की झांकियों में नजर आई केरल की त्रासदी

locationउज्जैनPublished: Sep 20, 2018 09:57:48 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

चल समारोह के साथ चांदी के डोल, अखाड़े, डांडा पार्टी, बैंड शामिल

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उज्जैन. डोल ग्यारस पर गुरुवार को शहर में बैरवा समाज का फूलडोल चल समारोह निकाला गया। इसमें रोशनी से झिलमिलाती धार्मिक, राष्ट्रीय प्रसंगों पर झांकियों के साथ चांदी के डोल में बाल-गोपाल श्रीकृष्ण विराजमान थे। झांकियों के कारवां में केरल की बाढ़ त्रासदी की झलक भी जनता को नजर आई।

किशनपुरा से प्रारंभ हुआ चल समारोह
किशनपुरा से प्रारंभ हुए बैरवा समाज के फूलडोल चलसमारोह में चांदी के डोल में कृष्ण निकले, तो करतब दिखाते अखाड़े के कलाकार, बैंड डीजे व ढोल के साथ डंडा पार्टी शामिल थी। इसके साथ ही नारायणपुरा पंचायत, विष्णुपुरा पंचायत ने देवताओं द्वारा राजा मोरध्वज की परीक्षा लेने की झांकी बनाई थी। किशनपुरा, देसाई नगर, आंबापुरा, प्रकाशनगर, पंचमपुरा, शांतिनगर आदि पंचायतों की धार्मिक एवं राष्ट्रीय विषयों की झांकियां चल समारोह में आकर्षण का केंद्र रहीं।

झांकी को दिया पुरस्कार
फूलडोल चल समारोह में अखाड़ों के खलिफाओं एवं फूलडोल चल समारोह का स्वागत राम भक्त मंडल द्वारा अशोक नगर फ्रीगंज में किया गया। झांकी में प्रथम पुरस्कार किशनपुरा पंचायत की झांकी को दिया गया। इसमें केरल बाढ़ पीडि़तों को सेना द्वारा राहत कार्य करते हुए दिखाया गया। अखाड़ों में प्रथम पुरस्कार विश्वमंगल अखाड़ा किशनपुरा को प्रदान किया गया। मंडल के धर्मेन्द्र गोईया के अनुसार झांकी में प्रथम पुरस्कार किशनपुरा पंचायत की झांकी को दिया गया। इसके निर्माता सुरेश गोठवाल हैं। द्वितीय पुरस्कार आम्बापुरा की झांकी को दिया गया। इसमें भीमराव अंबेडकर और संविधान संरक्षण हेतु प्रेरित करने की झांकी दिखाई गई। तीसरा पुरस्कार देसाई नगर की झांकी को दिया गया। इसमें भगवान विष्णु के 10वें कल्कि अवतार का दृश्य दर्शाया गया। अखाड़े के खलिफाओं एवं झांकी निर्माताओं का साफा बांधकर किया गया।

सोलह सागर पहुंचे बाल गोपाल
डोल ग्यारस पर बैरवा समाज के अलावा अन्य मंदिरों, संगठनों की ओर से झिलमिलाती झांकियों के साथ फूलडोल चल समारोह निकाला गया। बैरवा समाज की विभिन्न इकाइयों के डोल अलग-अलग क्षेत्रों से प्रारंभ हुए। डोल में सवार होकर बाल गोपाल नगर के विभिन्न मार्गों से होकर सोलह सागर पहुंचे। चल समारोह में विभिन्न मोहल्लों व पंचायतों की राष्ट्रीय व धार्मिक विषयों पर आधारित रोशनी से झिलमिल झांकियां निकली। विभिन्न संगठनों द्वारा मंचों से समाजजनों, अखाड़ों के खलिफाओं और झांकी निर्माताओं का सम्मान किया गया।

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