खास बात यह कि खान के काले पानी रोकने के लिए मिट्टी का डैम या अन्य इंतजाम अब तक नहीं किए जा सके हैं। ऐसे में क्षिप्रा नदी न केवल त्रिवेणी बल्की रामघाट तक मैली हो रही है।
क्षिप्रा नदी में पिछले दिनों नर्मदा का स्वच्छ जल छोड़ा गया था। इससे पूरी नदी में स्वच्छ पानी जमा है। अब यही पानी में खान नदी का गंदा पानी मिल रहा है। त्रिवेणी संगम पर खान के काले पानी को क्षिप्रा में मिलते हुए देखा जा सकता है।

जब शनिश्चिरी अमावस्या पर हजारों श्रद्धालु यहां स्नान के लिए जुटेंगे तो उन्हे खान का प्रदूषित पानी मिलेगा। इसी में श्रद्धालु डूबकी लगाएंगे। यही स्थिति क्षिप्रा नदी में गउघाट, नृसिंह घाट व रामघाट पर भी देखने को मिलेगी। दरअसल 30 अप्रेेल को पंचक्रोशी परिक्रमा पूरी होने के बाद हजारों यात्री क्षिप्रा तट पर रुकेंगे। ऐसे में इन्हें भी क्षिप्रा के गंदे पानी में स्नान करना पड़ेगा। अब तक खान का गंदा पानी को क्षिप्रा में मिलने से रोकने के लिए मिट्टी का बांध बनाया जाता था।
इस बार इसका निर्माण नहीं किया गया। लिहाजा अब खान का गंदा पानी तेजी से क्षिप्रा में मिल रहा है। वहीं पानी को रोकने के लिए अन्य उपाय भी नहीं किए गए। आने वाले समय में क्षिप्रा ओर प्रदूषित होगी।

क्षिप्रा में बीओडी का स्तर 40 मिली ग्राम
केंद्रीय और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की हाल ही में जारी रिपोर्ट में क्षिप्रा नदी की हालत चिंताजनक बताई है। त्रिवेणी संगम से लेकर सिद्धवट तक क्षिप्रा नदी में बीओडी (बॉयलोजिकल ऑक्सीजन डिमांड ) का स्तर 40 मिलीग्राम प्रति लीटर पाया गया है। जो कि नदी को सबसे प्रदूषित स्थिति को बता रहा है।