scriptबाबा महाकाल दर्शन- महामंडलेश्वर और दृष्टिबाधितों को मंदिर में प्रवेश से रोका | Lack of discrimination or responsibility in Baba Mahakal's philosophy | Patrika News

बाबा महाकाल दर्शन- महामंडलेश्वर और दृष्टिबाधितों को मंदिर में प्रवेश से रोका

locationउज्जैनPublished: Apr 24, 2022 07:22:59 am

बाबा महाकाल के दर्शन में भेदभाव या जिम्मेदारी का अभाव, कलेक्टर का आदेश हवा में उड़ा रहे हैं कर्मचारी

Mahamandaleshwar and the visually impaired stopped to impaired Baba Mahakal Darshan

Mahamandaleshwar and the visually impaired stopped to impaired Baba Mahakal Darshan

उज्जैन। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक व विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल के दरबार में श्रद्धालुओं से भेदभाव किया जा रहा है। जबकि साधु-संतों और दृष्टिबाधितों के लिए कलेक्टर ने साफ तौर पर आदेश दे रखा है कि उन्हें नंदी हॉल और पूजा-आरती का समय छोडक़र गर्भगृह में प्रवेश दिया जाए, बावजूद इसके अधिकारी-कर्मचारी आदेश को हवा में उड़ा रहे हैं।

कुछ ऐसा ही घटनाक्रम शनिवार को हुआ। जहां बडऩगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी महेशानंद गिरी महाराज, उत्तराखंड शनिवार को बाबा महाकाल के दर्शन करने आए थे। यहां मौजूद कर्मचारियों ने उन्हें गर्भगृह में प्रवेश से रोक दिया। उन्होंने इस घटना पर मंदिर प्रशासन पर जताई नाराजगी है। वे मंगलवार, 26 अप्रैल तक बडऩगर रोड स्थित निरंजनी अखाड़े में ही ठहरेंगे।

वहीं एक दूसरे मामले में दृष्टिबाधित गीतेश गहलोत और अर्जुन चौधरी अपनी-अपनी दृष्टिबाधित पत्नी और छोटी सी दुधमुंही बच्ची के साथ तडक़े 4 बजे महाकाल भस्म आरती का लाभ लेने पहुंचे थे। जानकारी के अभाव में उनके पास परमिशन नहीं थी।

जिसके लिए दोनों ने गेट पर खड़े मंदिर कर्मचारियों से अंदर जाने की प्रार्थना तक की, जिसके उत्तर में कर्मचारियों ने बिना अपने उच्च अधिकारियों से पूछे, उन्हें प्रवेश देने से मना कर दिया। पुन: आग्रह करने पर उन्हें तल्ख लहजे में कहा कि ‘मना करने के बाद भी आपको समझ में नहीं आ रहा है। चलिए रास्ते से हट जाइए और 6 बजे के बाद आना।’ ऐसे में दृष्टिबाधितों ने बात को आगे ना बढ़ाते हुए वहां से हट जाना ही उचित समझा।

संगीतकार हैं दोनों
दरअसल अर्जुन चौधरी एक लेखक, गीतकार, संगीतकार एवं कुुशल गायक हैं। और बाल्यकाल से ही भारतीय संगीत के लगभग सभी वाद्य यंत्र बजा लेते हैं। वहीं गीतेश ढोलक और तबला बजाते हैं। ऐसे ही उनके 10-15 नेत्रहीन मित्रों का एक ग्रुप भी है, जो स्टेज कार्यक्रम भी करता हैं।

खास बात ये है कि वे दोनों ही कलाकार सामान्य और सरल व्यक्तित्व के हैं। वहीं लोगों का मानना है कि यदि वे विश्व विख्यात गायक स्व. रविंद्र जैन की तरह होते तो संभवत: वे भस्म आरती का न सिर्फ लाभ ले रहे होते, बल्कि कर्मचारी व अधिकारी प्रोटोकॉल में जुटे होते।
मंदिर में दिव्यांगों की है अलग व्यवस्था
ऐसा नहीं है कि मंदिर में दिव्यांगों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। मंदिर के अंदर दिव्यांगों के लिए पर्याप्त व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई है। भस्म आरती के लिए जो नियमावली मंदिर प्रशासन द्वारा बनाई गई है उसमें उन्हें ससम्मान प्रवेश दिया जाकर दर्शन कराए जाने की बात कही गई है। परंतु मंदिर कर्मचारी में इतनी मानवता भी नहीं रही कि इनको बैठने की व्यवस्था भी करा सके।
दर्शन करने के बाद जहां से श्रद्धालु बाहर आते हैं, महाराज जी वहां से प्रवेश करना चाहते थे। इसलिए कर्मचारियों ने उन्हें वहां से अंदर नहीं जाने दिया। भस्म आरती की व्यवस्था फिलहाल गेहलोत जी संभाल रहे हैं, इस संबंध में मुझे जानकारी नहीं।
– मूलचंद जूनवाल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी

ट्रेंडिंग वीडियो