scriptउज्जैन महापौर का सपना देख रहे थे नेता, लगा झटका | Leaders were dreaming of Ujjain Mayor, shock | Patrika News

उज्जैन महापौर का सपना देख रहे थे नेता, लगा झटका

locationउज्जैनPublished: Sep 25, 2019 10:07:26 pm

Submitted by:

aashish saxena

कैबिनेट के फैसले से गड़बड़ाए कई नेताओं के समीकरण, अप्रत्यक्ष प्रणाली से होगा चुनाव, जनता द्वारा चुने गए पार्षद चुनेंगे शहर का पहला नागरिक

patrika

madhya pradesh,Ujjain,hindi news,Nagar Nigam,ujjain news,mayor election,

उज्जैन. अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चयन के कैबिनेट फैसले ने शहर में इस पद को पाने का सपना देख रहे कई नेताओं की तैयारी धराशायी कर दी है। इस फैसले से राजनीतिक समीकरण तो गड़बड़ाया ही है, चुनाव में दिग्गजों के उतरने की संभावना भी बढ़ गई है। महापौर सीट आरक्षित रहने पर, उन वार्डों में चुनावी घमासान और भी बढ़ जाएगा जहां के पार्षद महापौर चयन की जरूरी शर्तों को पूरा करने वाले होंगे।

मप्र सरकार की कैबिनेट ने महापौर का चयन अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने का निर्णय लिया है। मसलन अब महापौर को जनता नहीं बल्कि जनता के द्वारा चुने हुए पार्षद चुनेंगे। महापौर की दावेदारी भी पार्षदों के बीच में से ही होगी। एेसे में महापौर बनने के लिए पहले पार्षद चुनाव जीतना जरूरी होगा। शहर में करीब 20 वर्ष बाद एक बार फिर पार्षदों द्वारा महापौर को चुना जाएगा। कैबिनेट के इस निर्णय से उन नेताओं को बड़ा झटका लगा है, जो महापौर चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे। कई नेता तो एेसे हैं जो 8-10 साल से इसकी तैयारी में लगे हैं। महापौर चयन की अप्रत्यक्ष प्रणाली होने के बाद अब एेसे नेताओं को पहले वार्ड का चुनाव जीतना होगा और इसके बाद महापौर पद के लिए दावेदारी जताना पड़ेगी। आरक्षित वार्डों में उतरेंगे दिग्गजअभी तक महापौर का चयन द्वारा किए जाने के कारण राजनीतिक दल महापौर प्रत्याशी को लेकर विशेष फोकस करते थे। अपना महापौर बनाने के लिए दलों द्वारा ताकत भी झोंकी जाती थी। अब पार्षद में से महापौर बनना है, एेसे में महापौर की चाह रखने वाले कई दिग्गज पार्षद चुनाव में उतरेंगे। उज्जैन में महापौर की सीट अनुसूचित जाति वर्ग आरक्षित है। आगामी चुनाव में महापौर सीट आरक्षित रहने पर आरक्षित वार्डों में दमदार प्रत्याशी मैदान में उतरेंगे। दोनों ही प्रमुख दल आरक्षित वार्डों में जीत के प्रबल दावेदारों को उतारने का प्रयास करेगी ताकि महापौर चुनाव में उन्हें इसका लाभ मिल सके। एेसी स्थिति में नए चेहरों का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

पांच साल में बदले थे तीन महापौर

वर्ष 1995 के नगर निगम चुनाव में भी अप्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर के चुनाव हुए थे। तब यह सीट सबसे पहले पार्षदों ने कांगेस की इंदिरा त्रिवेदी को महापौर चुना था लेकिन कुछ महीने बाद ही उन्हें हटाकर दोबारा चुनाव किए गए। गुटबाजी के चलते दूसरी बार में भाजपा की अंजू भार्गव को महापौर चुना गया। भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते कुछ वर्षों में उन्हें भी हटा दिया गया और फिर शीला क्षत्रीय को महापौर बनाया गया। इस तरह पांच वर्ष में तीन महापौर बने। इसके बाद वर्ष 2000 के निकाय चुनाव में प्रत्यक्ष प्रणाली से महापौर चुनाव हुए और जनता ने भाजपा के मदनलाल ललावत को महापौर चुना। इसके बाद से अब तक प्रत्यक्ष प्रणाली से ही चुनाव हुए। वर्ष 1995 के पूर्व 17 साल तक निगम के चुनाव नहीं हुए थे और पूरी तरह अधिकारी का ही नियंत्रण रहता था।

अभी उज्जैन में कितनी सीट

कुल वार्ड- 54

अनारक्षित- 28

ओबीसी-14

अजा- 11

एसटी-1

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो