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इन लोगों के कारण कहीं इस उद्योग पर न पड़ जाएं ताले

locationउज्जैनPublished: Oct 11, 2019 11:56:45 pm

Submitted by:

Ashish Sikarwar

प्रबंधन ठेका श्रमिकों के कार्य वर्गीकरण व अप्रैल की बजाए जनवरी से एरियर देने पर हुआ राजी, लेकिन ठेका श्रमिक मूल वेतन में वृद्धि की मांग पर अड़ा

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प्रबंधन ठेका श्रमिकों के कार्य वर्गीकरण व अप्रैल की बजाए जनवरी से एरियर देने पर हुआ राजी, लेकिन ठेका श्रमिक मूल वेतन में वृद्धि की मांग पर अड़ा

नागदा. ग्रेसिम के ठेका श्रमिक वेतनवृद्धि की मांग को लेकर शुक्रवार सुबह से हड़ताल पर चले गए। हड़ताल खत्म करने के लिए सहायक श्रमायुक्त मेघा भट्ट, अपर कलेक्टर डॉ. आरपी तिवारी की मध्यस्थता में ठेका श्रमिकों व उद्योग प्रबंधन के बीच 3 घंटे लंबी चर्चा चली। इस दौरान श्रमिकों की अगुवाई कर रहे नेताओं ने ट्रेड यूनियन के नेताओं एवं प्रबंधन के बीच हुए पांच वर्षीय समझौते के मानने से मना कर दिया और वेतनवृद्धि सहित चार सूत्रीय मांग-पत्र सौंपा। प्रबंधन ने कई दौर की बातचीत के बाद ठेका श्रमिकों को अप्रैल के स्थान पर जनवरी से एरियर देने एवं कार्य के आधार पर वर्गीकरण करने की मांग को मान लिया, लेकिन बैठक में मौजूद श्रमिक नेता मूल वेतन में वृद्धि की मांग पर अड़े रहे। नेताओं का कहना था उन्हें समझौते की सभी शर्तें मंजूर हैं, सिर्फ मूल वेतन में जो वृद्धि की गई है प्रबंधन उसमें और थोड़ी वृद्धि कर दें, लेकिन प्रबंधन की ओर से मानव संसाधन विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष वायएस रघुवंशी ने यह कहते हुए मांग को ठुकरा दिया कि ठेका श्रमिकों के वेतन में पूर्व समझौते के मुकाबले इस बार डेढ़ गुणा की वृद्धि की गई है। इससे ज्यादा वृद्धि संभव नहीं। प्रबंधन के इस जवाब के बाद बैठक समाप्त हो गई और सभी नेताओं ने बहार आकर हड़ताल जारी रखने का निर्णय सुना दिया।
श्रमिकों की ओर से अशोक मीणा, रतनसिंह, कमलेश, रमेश गौतम, जुझार सिंह, इमरान मंसूरी आदि ने बात को रखा। प्रबंधन की ओर से ग्रेसिम के कार्पोरेट आयआर हेड संजय धर, जनसंपर्क अधिकारी संजय व्यास एवं वित्तीय विभाग के महाप्रबंधक विनोद मिश्रा मौजूद थे। प्रशासन की ओर से एसडीएम एवं सहायक श्रमायुक्त के अलावा एएसपी अंतरसिंह कनेश, एसडीएम आरपी वर्मा, सीएसपी मनोज रत्नाकर शामिल थे।
समझौता सुनाने के दौरान भड़की थी अशांति
श्रमिकों के वेतनवृद्धि एवं अन्य हित लाभ के लिए संयुक्त ट्रेड यूनियन के नेताओं एवं ग्रेसिम के बीच पांच सालाना समझौता हुआ है। इसी को लेकर गुरुवार शाम 5 बजे उद्योग के पावर हाउस गेट पर मोर्चे ने मीटिंग बुलाई थी। श्रमिकों को समझौते की जानकारी दी जा रही थी। मीटिंग में स्थायी श्रमिक के अलावा बड़ी संख्या में ठेका श्रमिक भी मौजूद थे। यूनियन के नेता जब समझौता पड़कर सुना रहे थे तभी कुछ ठेका श्रमिकों ने समझौते के विरोध में हंगामा कर दिया। इससे भड़के बीएमएस नेता जोधसिंह राठौर ने हंगामा कर रहे श्रमिकों को अपशब्द बोले और समर्थकों से इन्हें मारने की बात कही दी। इसी के बाद गेट पर ठेका श्रमिक एवं ट्रेड यूनियन के लोग आमने-सामने हो गए एवं मारपीट शुरू कर दी। इसमें करीब आधा दर्जन लोगों को चोटें आई थीं। इसी विवाद के बाद ठेका श्रमिकों ने समझौते को मानने से मना कर दिया और हड़ताल पर चले गए।
श्रमिकों का रहा जमावड़ा
हंगामे के बाद से ही उद्योग के सभी गेटों पर ठेका श्रमिकों का जमावड़ा लगा हुआ है। शुक्रवार को भी दिनभर श्रमिकों की भीड़ गेट पर जमा रही। कोई भी ठेका श्रमिक कार्य पर नहीं गया। खास बात यह रही कि श्रमिकों की हड़ताल को कई स्थायी श्रमिकों का भी साथ मिला है। इसके अलावा महिला ठेका श्रमिक भी बड़ी संख्या में धरने पर बैठी रही। हड़ताल को देखते हुए पुलिस प्रशासन भी चौकन्ना नजर आया। विवाद के बाद से ही सभी गेटों पर भारी संख्या में जवान तैनात कर दिए गए। इसके अलावा शुक्रवार शाम को जिले से भी भारी पुलिस बल शहर पहुंचा।
जो श्रमिक उद्योग के अंदर उन्हें नहीं मिली छुट्टी
गुरुवार शाम हंगामा के पहले जो श्रमिक कार्य पर पहुंचे थे। उन्हें उद्योग प्रबंधन ने रोक लिया ताकी उद्योग चलता रहा। हालांकि लगातार काम करने से एक-दो श्रमिकों की तबीयत भी बिगड़ी। इन्हें जनसेवा में भेजा गया। इधर हड़ताल के कारण श्रमिकों के काम पर नहीं जाने से प्रबंधन को उद्योग चलाना मुश्किल हो रहा है। उद्योग तीन शिफ्ट में चलता है। ऐसी स्थिति में उद्योग गुरुवार दोपहर यानी 3 बजे वाली पाली में पहुंचे श्रमिकों के भरोसे ही चल रहा है।
करीब ढाई हजार ठेका मजदूर
ग्रेसिम में स्थायी मजदूरों से ज्यादा ठेका श्रमिक है। स्थायी श्रमिकों की संख्या 1700 है तो 2500 से ज्यादा ठेका श्रमिक कार्य करते हैं। ऐसे में प्रबंधन के लिए बिना ठेका श्रमिकों के ज्यादा दिन उद्योग को संचालित करना संभव नहीं है।
यह है प्रमुख मांगे
सहायक श्रमायुक्त मेघा भट्ट की मौजूदगी में ठेका श्रमिकों की ओर से जो मांग पत्र प्रबंधन को सौंपा गया है उनमें वेतनवृद्धि के अलावा समान कार्य समान वेतन, कार्य के मुताबिक वर्गीकरण एवं अप्रेल की बजाए जनवरी से एरियर देना है। प्रबंधन ने दो मांगें मान ली, लेकिन वेतनवृद्धि की मांग को नहीं माना।
श्रम कानूनों का नहीं होता है पालन
कई ठेका श्रमिकों एवं नेताओं ने सहायक श्रमायुक्त के समक्ष आरोप लगाया है कि उद्योग प्रबंधन श्रम कानूनों का पालन नहीं करते हुए ठेका श्रमिकों का शोषण कर रहा है। खास तौर पर प्रबंधन द्वारा ठेका मजदूरों से स्थायी श्रमिकों का कार्य लिया जा रहा है और वेतन के नाम पर मात्र 6 से 7 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। इसके अलावा प्रबंधन द्वारा ठेका श्रमिकों का वृगीकरण के आधार पर भी वेतन नहीं दिया जा रहा है। जिस पर सहायक श्रमायुक्त ने प्राथमिकता से उद्योग के ठेका श्रमिकों को कार्य के आधार पर कुशल, अद्र्धकुशल एवं अकुशल श्रेणी में बांटने के निर्देश प्रबंधन को दिए हैं।

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