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संगीत के लिए 12 साल का राग, नहीं मिल रहे सुर

locationउज्जैनPublished: Jul 22, 2019 01:42:37 am

Submitted by:

anil mukati

उद्यन मार्ग पर 12 साल पहले मिली थी भूमि, टुकड़े-टुकड़े अन्य विभाग को देते चले गए, बची हुई जमीन भी हाथ से जल्द ही निकल जाएगी हाथ से

patrika

Ujjain,Music College,

उज्जैन. शासकीय संगीत महाविद्यालय का प्रबंधन नए भवन के लिए 16साल से संघर्ष कर रहा है। 12 वर्ष पहले उद्यन मार्ग पर कॉलेज को इसके लिए भूमि मिली थी लेकिन वह भूमि प्रशासनिक उलझनों में अटक गई। इसके बाद प्रशासन ने कॉलेज की उक्त भूमि को अन्य विभाग को देने का निर्णय लिया गया। हालांकि इसी बीच कॉलेज को भवन निर्माण के लिए बजट भी आवंटन हुआ, जो जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण वापस करना पड़ा। अब हालात यह है कि संगीत महाविद्यालय आज भी किराए के जर्जर भवन में चल रहा है। यानी 12 साल कॉलेज को जमीन मिलने और छीन लिए जाने राग अलापा जा रहा है। इस मामले में कॉलेज और प्रशासन के सुर आज तक नहीं मिल पाए।
तिकोना टुकड़ा बचा वह भी छीनने की तैयारी
उद्यन मार्ग पर कॉलेज को नए भवन के लिए पर्याप्त भूमि मिली थी इस पर कॉलेज का भवन निर्माण शुरू होता इससे पहले ही उक्त भूमि में से कुछ भूमि पशु चिकित्सालय को दे दी गई। अब कॉलेज भवन के लिए जमीन का एक तिकोना टुकड़ा बचा। इस पर कॉलेज बनाना संभवन नहीं था क्योंकि यह भूमि कॉलेज निर्माण के मानकों के अनुरूप नहीं थी। इसके बाद कॉलेज के लिए नई भूमि की तलाश शुरू की गई। इसी बीच विगत माह प्रशासन ने उक्त भूमि भी अन्य विभाग को देने का निर्णय लिया है। ऐसे में संगीत कॉलेज के पास बचा हुआ तिकोना टुकड़ा भी जल्द ही छिन जाएगा।
अकादमी के पास भी नहीं आ सका
कालिदास अकादमी के पास हॉस्टल और एनएससी का ऑफिस है। जिला प्रशासन ने उक्त भूमि को कॉलेज के लिए चिन्हित किया। यह प्रस्ताव भी चर्चा में आया। इसके बाद संगीत जोन बनाने की चर्चा शुरू हो गई, लेकिन यह भूमि भी कॉलेज को नहीं मिल पाई है। यह प्रस्ताव भी फाइलों से बाहर नहीं आया है। मापदंड के अनुरूप शहर में भूमि कॉलेज निर्माण के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंड तय हैं। इसी के साथ संगीत महाविद्यालय में ऑडिटोरियम आवश्यक है। साथ ही कॉलेज में कम उम्र के बच्चे व महिला विद्यार्थी ज्यादा होते हैं, इसलिए शहर से ज्यादा दूर जाने पर प्रवेश प्रभावित होने की आशंका है। साथ ही इन विद्यार्थियों को यातायात की समस्या भी होगी। इसी के चलते शहरी क्षेत्र में भूमि की तलाश की जा रही है।
मरम्मत भी नहीं आ रही काम
कॉलेज की स्थिति को सुधारने के लिए हर सत्र में मरम्मत करवाई जाती थी। यह मरम्मत भी अब कॉलेज के काम नहीं आ रही है। इसके पीछे कारण भवन का काफी पुराना होना है। इसी के साथ वाद्य यंत्रों के संधारण में भी काफी मेहनत करनी पड़ रही है। स्थानीय स्तर पर कॉलेज में कोई अधिकारी भी नहीं रहता है। इस कारण भी अन्य समस्या आती है। यह कॉलेज संस्कृति विभाग के अधीन संचालित है।

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