scriptचिंतामण गणेश मंदिर : यहां किसान चढ़ाते हैं पहली फसल का कुछ हिस्सा | Lord Chintaman Ganesh temple takes place every year | Patrika News

चिंतामण गणेश मंदिर : यहां किसान चढ़ाते हैं पहली फसल का कुछ हिस्सा

locationउज्जैनPublished: Mar 26, 2019 09:23:51 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

भगवान चिंतामण गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष लगने वाली चैत्र मास की जत्रा आज से शुरू हो रही है। इस बार कुल चार जत्राएं होंगी।

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उज्जैन. भगवान चिंतामण गणेश मंदिर में प्रतिवर्ष लगने वाली चैत्र मास की जत्रा आज से शुरू हो रही है। इस बार कुल चार जत्राएं होंगी। हर बार होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन इस बार आचार संहिता के कारण नहीं हो पाएंगे, लेकिन अन्य धार्मिक आयोजन विधिवत होंगे।

प्रति बुधवार होगा आयोजन
चैत्र मास के दौरान प्रति बुधवार को चिंतामण गणेश मंदिर में जत्रा का आयोजन किया जाता है। आस्था के इस मेले में जत्रा का सिलसिला २७ मार्च से शुरू होगा। जत्रा में आसपास के गांवों के श्रद्धालुओं के साथ ही शहरवासी भी शामिल होते हैं और गणेशजी का आशीर्वाद लेते हैं।

मंदिर में आकर्षक सजावट
जत्रा के दौरान मंदिर की आकर्षक साज-सज्जा के साथ चिंतामण गणेश का विशेष शृंगार किया जाएगा। पुजारी गणेश गुरु ने बताया कि सुबह पांच बजे मंदिर के पट खुलेंगे और घी, सिन्दूर, वर्क से शृंगार करने के बाद गणेशजी की आरती की जाएगी। सुबह 9.30 बजे पुन: आरती होगी और भीड़ बढऩे पर गर्भगृह के बाहर से ही श्रद्धालुओं को भगवान चिंतामण गणेश के दर्शन की व्यवस्था रहेगी।

फसल पकने पर चढ़ाने की परंपरा
शंकर गुरु ने बताया कि चैत्र में गेहूं-चने की फसल पक जाती है। किसानों के यहां धान के भंडार भर जाते हैं। किसान नया धान बाजार में बेचने से पहले भगवान चिंतामण गणेश के दरबार में चढ़ाने आते हैं। यह परंपरा पुरानी है, कालांतर में इसने जत्रा का रूप ले लिया है। इसके अलावा अनेक श्रद्धालु मनोकामना के लिए भी जत्रा में शामिल होते हैं।

कब-कब लगेंगी जत्राएं
पहली जत्रा २७ मार्च के बाद दूसरी ०३ अप्रैल, तीसरी १० अप्रैल तथा चौथी १७ अप्रैल को रहेगी। गुरु ने बताया कि चैत्र मास भगवान गणपति की आराधना के लिए विशेष माना गया है। इस माह के प्रत्येक बुधवार को भक्त चिंतामण गणेश के दर्शनों के लिए मंदिर आते हैं। मंदिर के आसपास मेला भी लगता है। मालवी बोली में इसे जत्रा कहा जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चिंतामन गणेश मंदिर में चेती जत्रा लगने की परंपरा पुरानी है।

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