दोपहर 3 बजे शुरू हुई रथ यात्रा
खाती समाज की ओर से दोपहर करीब 3 बजे भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आरंभ हुई। यह परंपरा 114 वर्ष से लगातार जारी है। जगदीश मंदिर कार्तिक चौक पर भगवान की आरती पूजन संपन्न की। इसके बाद रथ में भगवान जगदीश, बलभद्रजी और बहन सुभद्रा को विराजमान किया और भक्तों ने अपने हाथों से रथ को खींचा। समाज के राहुल पटेल ने बताया कि गाजे-बाजे और भगवान जगन्नाथ के जयघोष के साथ रथ यात्रा जगदीश मंदिर कार्तिक चौक से प्रारंभ होकर दानीगेट, ढाबा रोड, मिर्जा नईमबेग मार्ग, तेलीवाड़ा चौराहा, कंठाल, सराफा, छत्रीचौक गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए रात 9 बजे के करीब पुन: मंदिर पहुंची। समाज की रथयात्रा में केवल उज्जैन ही नहीं, बल्कि इंदौर, देवास, शाजापुर, सीहोर, देपालपुर के श्रद्धालु शामिल होते हैं।
इस्कॉन की 12वीं जगन्नाथ यात्रा
इस्कॉन मंदिर की ओर से 12वीं जगन्नाथ रथयात्रा निकाली गई। दोपहर 2 बजे धार्मिक अनुष्ठान के बाद रथ की पूजा की गई। स्वर्ण झाड़ू से रथ के मार्ग को बुहारा गया। रस्सियों से भगवान के रथ को खींचकर आगे बढ़ाया गया। इस्कॉन की रथयात्रा में भक्तजन हरे रामा-हरे कृष्णा की धुन पर रास्तेभर नाचते-गाते हुए चले। यह यात्रा कंठाल, नईसड़क, फव्वारा चौक, दौलतगंज, मालीपुरा, देवास गेट, चामुंडा माता मंदिर से ओवरब्रिज होते हुए टॉवर, तीन बत्ती चौराहा, देवास रोड होते हुए इस्कॉन मंदिर के पीछे बनाए गए गुंडिचा पहुंची। रथयात्रा में हाथी, तुरही वादन, बैलगाडिय़ों में भगवान की झांकी, कीर्तन मंडली शामिल थी। इस्कॉन के पीआरओ पंडित राघवदास ने बताया कि मार्ग में 125 स्थानों पर संगठनों द्वारा रथयात्रा का स्वागत किया गया। इस्कॉन मंदिर के पीछे गोशाला में गुंडिचा का निर्माण किया गया है। रथयात्रा के बाद यहां भगवान सात दिन रुकेंगे। यहां प्रतिदिन रमाकांत प्रभु की कथा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे।