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सबसे पहले महाकाल खेलेंगे होली, सारा मंदिर होगा तरबतर

locationउज्जैनPublished: Mar 18, 2019 08:20:21 pm

Submitted by:

Lalit Saxena

भगवान महाकाल अपने भक्तों के साथ सबसे पहले रंग-गुलाल से होली खेलेंगे। 20 मार्च को संध्या आरती के दौरान महाकाल मंदिर प्रांगण में सर्वप्रथम होली जलाई जाएगी।

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उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल अपने भक्तों के साथ सबसे पहले रंग-गुलाल से होली खेलेंगे। 20 मार्च को संध्या आरती के दौरान महाकाल मंदिर प्रांगण में सर्वप्रथम होली जलाई जाएगी। यहां की परंपरा रही है कि होली हो या अन्य कोई त्योहार…सबसे पहले महाकाल के आंगन से ही इसकी शुरुआत होती है।

शाम के समय होगा होलिका दहन
शाम के समय लकड़ी-कंडों से होलीका का दहन किया जाएगा, संध्या आरती के समय रंग-गुलाल उड़ेगा, इसी तरह सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान भी बाबा को शृंगारित कर सबसे पहले होली खेलने की शुरुआत की जाएगी। उपस्थित भक्तों पर रंग-गुलाल छिड़का जाएगा। भगवान महाकाल अपने भक्तों के साथ सबसे पहले रंग-गुलाल से होली खेलेंगे। 20 मार्च को संध्या आरती के दौरान महाकाल मंदिर प्रांगण में सर्वप्रथम होली जलाई जाएगी।

 

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भस्म आरती में होगा अनूठा नजारा
सुबह 4 बजे होने वाली भस्म आरती में होली के दिन अनूठा नजारा रहता है। बाबा महाकाल को रंग-गुलाल अर्पण किया जाता है। इसके बाद नंदी हॉल, पीछे बने बैरिकेड्स में बैठे भक्तों पर पिचकारियों से रंग गुलाल उड़ाया जाता है।

एक क्विंटल गुलाब के फूल और गुलाल

आशीष पुजारी ने बताया राजाधिराज भगवान महाकाल के आंगन में प्राकृतिक होली के रंग बिखरेंगे। हर्बल गुलाल के साथ गुलाब के फूलों की पंखुरियां अर्पित की जाएगी। इसके बाद आरती में मौजूद भक्त फूलों से होली खेलेंगे। मंदिर की परंपरा अनुसार धुलेंडी पर अबीर गुलाल से होली खेली जाती है। इस बार अबीर गुलाल के साथ फूलों का उपयोग होगा।

रंगपंचमी पर मंदिर में ही बनता है प्राकृतिक रंग
धुलेंडी के बाद रंगपंचमी पर गीले रंगों से होली खेलने का महत्व है। मंदिर की परंपरा अनुसार 25 मार्च को रंगपंचमी पर भगवान महाकाल टेसू के फूलों से बने रंग से होली खेलेंगे। जंगलों से करीब 2 क्विंटल टेसू के लाकर मंदिर परिसर में ही प्राकृतिक रंग तैयार किए जाते हैं। यह आयोजन मंदिर के पुजारी दिलीप गुरु हर साल करते हैं।

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