महाकाल की इस सवारी में सबसे आगे अश्वारोही दल, पुलिस बैंड, नगर सैनिक और सशस्त्र बल की टुकड़ी मार्च पास्ट करते हुए चल रही है। सवारी शिप्रा के तट पर पहुंची और यहां के जल से भगवान का अभिषेक कर सवारी गोपाल मंदिर के लिए रवाना हो गई।
महाकालेश्वर मंदिर परिसर से शाम करीब 4 बजे महाकाल की सवारी शाही ठाठ-बाट के साथ नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। पालकी में सवार महाकाल के लिए लाल कारपेट बिछाया गया है। सवारी महाकाल मंदिर से प्रारंभ होकर महाकाल घाटी, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से होकर मोक्षदायिनी शिप्रा के रामघाट पहुंची। यहां भगवान का शिप्रा जल से अभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। पूजन के पश्चात सवारी रामानुजकोट, गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए दोबारा महाकाल मंदिर पहुंचेगी।
सवारी में महाकाल पालकी में विराजमान है. वे अपने भक्तों को मन महेश के रूप में दर्शन दे रहे हैं। भक्त दो साल बाद सवारी में शामिल हो रहे हैं. महाकाल की शाही सवारी में भक्तों की जबर्दस्त भीड़ मौजूद है। 5 किमी लंबे सवारी मार्ग पर करीब 3 घंटे तक भक्ति का उल्लास छाया रहेगा। बड़ी संख्या में भक्त रास्तों में खड़े होकर भगवान महाकाल की सवारी का इंतजार कर रहे हैं।
इससे पहले रात 2:30 बजे से ही महाकाल मंदिर के पट खुल गए थे. श्रावण मास के पहले सोमवार को महाकालेश्वर मंदिर में बाबा के भक्तों का तांता लग गया। तड़के 3 बजे भगवान महाकालेश्वर का जलाभिषेक कर दही, दूध, पंचामृत से अभिषेक किया गया। भस्म रमाई गई और इसके बाद भांग और सूखे मेवे से श्रृंगार कर आरती हुई।