सिंहस्थ पहले महाकाल मंदिर के पीछे निगम ने ८० लाख रुपए की लागत से फूड कोर्ट तैयार किया था। मंशा थी कि श्रद्धालुओं के लिए इसमें सर्वसुविधायुक्त रेस्टोरेंट व खान-पान सेवाएं मिलेगी, लेकिन दो साल में निगम संचालन ठेकादेने में नाकाम रहा। महंगी अमानत राशि, अधिक लीज दर व हवाई हक जैसी जटिलताओं के कारण ये वीरान ही पड़ा है। अब निगम ने शर्ते सरल करते हुए नई निविदा जारी की है।
६ हजार वर्ग फीट जगह, भिक्षुकों का डेरा
६ हजार वर्ग फीट में बनें इस फूड कोर्ट को ठेके पर देकर संचालित करने की प्लानिंग बनीं थी। तीन बार टेंडर हुए लेकिन जटिल शर्तों के कारण किसी ने इसे लेने में रुचि नहीं दिखाई। खाली पड़ा होने से यहां भिक्षुक व असामाजिक तत्वों का डेरा रहता है। अनदेखी में निर्माण भी पुराना सा हो गया है।
पहले क्या और अब क्या बदलाव
पहले : ३.२० करोड़ न्यूनतम अमानत राशि। निविदा में प्रस्तुत दर की ७.५ प्रतिशत वार्षिक लीज।
अब : ३.३२ करोड़ न्यूनतम अमानत राशि। नियत दर पर ०.५ प्रतिशत वार्षिक लीज।
पहले : जो किराया २२ से २४ लाख रुपए साल पर पहुंचता।
अब : वह अब १.५ से २ लाख रुपए साल पर आ जाएगा।
पहले : वार्षिक आधार पर किराया व अनुबंध करने की शर्त थीं।
अब : इसे बदलकर अब ३० साल की लीज में तब्दील किया। यानी व्यक्ति इतने साल तो उपयोग कर सकेगा।
पहल : कोर्ट के ऊपर किसी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं थी।
अब : अब निगम से सक्षम अनुमति लेकर लीज गृहिता व्यवसायिक निर्माण कर सकेगा।
नए लीज रेंट प्रावधान व अन्य शर्तों का सरलीकरण कर पुन: निविदा जारी कर दी है। उच्चतम अमानत दर प्रस्तुत करने वाले योग्य आवेदक को फूड कोर्ट लीज पर देंगे।
सुबोध जैन, सहायक आयुक्त, ननि