शाम 4 बजे आरंभ हुई सवारी
महाकाल मंदिर में पूजन अर्चन के बाद अपराह्न 4 बजे सवारी आरंभ हुई। सशस्त्र बल की सलामी के बाद नगर भ्रमण पर निकले राजा महाकाल। शाही सवारी अन्य सवारी की तुलना में व्यापक होने के साथ इसका मार्ग भी अधिक लंबा था। शाही सवारी गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, हरसिद्धिपाल, रामघाट, गणगौर दरवाजा, जगदीश मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, कमरी मार्ग, टंकी चौराहा, तेलीवाड़ा, कंठाल, सतीमाता मंदिर, गोपाल मंदिर, गुदरी चौराहा होकर रात 10.३० बजे पुन: मंदिर परिसर पहुंचेगी।
यह रहा सवारी का क्रम
सवारी के आगे प्रचार वाहन, यातायात पुलिस, तोपची, भगवान महाकाल का नव निर्मित रजत ध्वज चल रहा था। इसके बाद घुड़सवार दल, विषेष सशस्त्र बल की टुकडी, स्काउट गाइड, कांग्रेस सेवादल, चयनित विभिन्न भजन मंडली, गणमान्य नागरिक, साधु-संत, पुलिस बैंड, नगर सेना सलामी गार्ड, महाकाल मंदिर के पुजारी-पुरोहित, महाकालेश्वर की पालकी तथा पालकी के साथ चलने वाले भगवान महाकाल के अलग-अलग प्रकार के मुखरविन्द तथा प्रत्येक मुखरविन्द के आगे एक बैण्ड, हाथी पर मनमहेश, एम्बुलेन्स, विद्युत विभाग का वाहन, फायर ब्रिगेड, पुलिस वाहन शामिल था।
किस समय कहा पहुंची बाबा की पालकी
मंदिर से विधिवत पूजन-अर्चन के बाद शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से सवारी प्रारंभ हुई। पालकी 4.20 बजे कोट मोहल्ला, 4.35 बजे गुदरी चौराहा, 4.45 बजे बक्षी बाजार चौराहा, 5 बजे हरसिद्धिपाल, 5.15 बजे रामघाट पहुंची, जहां पतित पावनी मां शिप्रा के जल से महाकाल का जलाभिषेक किया गया। सवारी पुन: आरंभ हुई और 6 बजे बंबई वाले की धर्मशाला, 6.30 बजे गणगौर दरवाजा, 6 .45 बजे जगदीश मंदिर, 7 बजे सत्यनारायण मंदिर, 7.30 बजे कमरी मार्ग, 7.45 बजे टंकी चौराहा, रात 8 बजे तेलीवाडा, 8 .30 बजे कंठाल, 8 .45 बजे सतीमाता मंदिर, 9 बजे गोपाल मंदिर 9.30 बजे गुदरी चौराहा, 9.45 बजे कोट मोहल्ला, रात 10.३० बजे पुन: मंदिर परिसर पहुंचेगी।
सवारी मार्ग में केले और प्रसाद बांटने पर रोक
इस बार शाही सवारी के दौरान सवारी मार्ग पर केले का प्रसाद वितरित नहीं हो सका। प्रशासन ने इसे प्रतिबंधित करने के आदेश दिए थे। आमजन को भी इसका वितरण नहीं करने का आह्वान किया गया था। प्रशासन ने इस प्रतिबंध के पीछे दुर्घटना की आशंका का हवाला दिया था।