रुद्र सागर के किनारे करीब दो बीघा जमीन पर मृत्युंजय मठ का कब्जा था
महाकाल मंदिर के पीछे रुद्र सागर के किनारे करीब दो बीघा जमीन पर मृत्युंजय मठ का कब्जा था। महाकाल मंदिर के विकास कार्य के लिए प्रशासन द्वारा जमीन प्राप्त करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन जमीन को लेकर दो पक्षों में न्यायालयीन विवाद के साथ कानूनी अड़चनों से मसला लम्बे समय से अटका हुआ था। सोमवार को महाकालेश्वर मन्दिर शंख चौराहा हाथी द्वार के सामने मृत्युंजय मठ की जमीन के कुछ हिस्से को राजस्व विभाग ने आधिपत्य में ले लिया। मृत्युंजय मठ की जमीन लगभग 45 हजार वर्गफीट है।
जमीन पर न्यायालय में प्रकरण चल रहा है
जमीन की कीमत लगभग 50 करोड़ रुपए है। लगभग 15 हजार वर्गफीट की जमीन पर न्यायालय में प्रकरण चल रहा है। कोर्ट के निर्णय आने के शेष जमीन के संबंध में कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि महाकाल मन्दिर के समीप की जमीन के राजस्व रिकॉर्ड की पड़ताल में जानकारी सामने आई थी कि जमीन के बड़ा हिस्सा मृत्युंजय मठ के नाम नहीं है।
जमीन आधिपत्य की कार्रवाई
आवश्यक औपचारिकता के बाद जमीन आधिपत्य की कार्रवाई हुई है। मृत्युंजय मठ की वादग्रस्त जमीन को फिलहाल अधिपत्य में मुक्त रखा गया है। अधिपत्य में ली गई जमीन का उपयोग महाकालेश्वर मंदिर के श्रद्धालुओं और दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए किया जाएगा।
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