सभी प्रवेश द्वार पर लगा दिए थे ताले
होली पर महाकाल मंदिर परिसर में परंपरा अनुसार होली का दहन, भजन के साथ फूलों और प्राकृतिक रंगों की होली का आयोजन किया गया था। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौजूदगी से परिसर खचाखच भरा गया था। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा प्रवेश के सभी द्वार पर ताले लगा दिए गए। मंदिर परिसर में जितने श्रद्धालु थे, उससे अधिक मंदिर के बाहर से मंदिर में प्रवेश के लिए प्रयासरत थे। इसके चलते अनेक श्रद्धालु प्रवेश के लिए मंदिर के पीछे निर्गम द्वार पर भी जमा हो गए।
न पुलिस बल और न गार्ड
श्रद्धालुओं के बाहर जाने का मार्ग होने से द्वार का कुछ हिस्सा खुला रखा गया था। यही से मंदिर में प्रवेश के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु जमा थे। इस जगह पर्याप्त संख्या में न पुलिस बल और न गार्ड थे। कुछ लोगों ने बलपूर्वक प्रवेश की कोशिश की तो द्वार पर मौजूद दो पुलिसकर्मी और निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड ने गेट को पकड़कर बंद करने का प्रयास किया। पुलिसकर्मी और निजी सुरक्षा गार्ड श्रद्धालुओं की भीड़ का दबाव संभालने में असफल रहे और श्रद्धालुओं ने बलपूर्वक गेट को धकेल कर मंदिर के निर्गम मार्ग से प्रवेश कर लिया। पुलिसकर्मी और गार्ड देखते ही रह गए।
कुछ दर्शनार्थी बाहर निकल रहे थे
निर्गम द्वार से जिस वक्त श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में प्रवेश किया, उस समय मंदिर से दर्शन कर श्रद्धालु बाहर भी निकल रहे थे। एेसे में भीड़ का आमना-सामना होने से भगदड़ की स्थिति बन गई। इस बीच बाहर खडे़ सशस्त्र बल ने लाठी फटकारी तो गेट से भीड़ का दबाव कम हुआ और गेट को बंद किया गया। गेट बंद नहीं होता तो निर्गम रैंप पर भगदड़ की अशंका थी।
कोई भी जिम्मेदार मौजूद नहीं
कुछ वर्षों से हर तीज-त्योहार पर महाकाल मंदिर में श्रद्धालुओं का सैलाब सा उमड़ पड़ता है। होली पर एेसी स्थिति का आकलन नहीं किया गया। वहीं मंदिर में जिम्मेदार अधिकारी मौजूद नहीं थे। चंद पुलिस जवानों के भरोसे व्यवस्थाओं को छोड़ दिया गया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार मंदिर परिसर में तैनात निजी सुरक्षा एजेंसी के गार्ड भजनों में मगन होकर श्रद्धालुओं के साथ थिरकने में मशगूल थे। मंदिर के बाहर सशस्त्र बल लाठी फटकार के दबाव कम नहीं करता तो कुछ भी हो सकता था। मंदिर के सेवकों और कुछ श्रद्धालुओं ने इसे दबी जुबान मंदिर प्रबंध समिति की लापरवाही मानते हुए कहा कि महाकाल को शुक्र है कि गंभीर घटना नहीं हुई।