नौ दिन नौ रूपों का श्रंगार
बाबा महाकाल का नौ दिन होने वाले श्रंगार में मुकुट, मुंडमाल और छत्र आदि आभूषण से श्रृंगार होगा। पहले दिन महाकाल का चंदन से श्रृंगार होगा। बाबा को नया सोला और दुपट्टे पहनाया जाएगा | दूसरे दिन महाकाल का शेषनाग श्रंगार किया जाएगा। तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार होगा। वही चौथे दिन महाकाल का छवीना श्रंगार किया जाएगा। पांचवें दिन बाबा होलकर रूप में दिखाई देंगे। छठे दिन मनमहेश रूप में श्रंगारकिया जाएगा। सातवां दिन महाकाल उमा-महेश के रुप दिखाई देंगे।
आठवां दिन महाकाल शिवतांडव स्वरूप में दर्शन देंगे और महाशिवरात्रि पर सप्तधान रूपमें श्रंगार कर महाकाल के शीश पर सवा मन फल और फूल से बना सेहरा सजाया जाएगा।
हल्दी चढ़ाने के साथ उत्सव शुरु
मंदिर में शिवरात्रि उत्सव की शुरुआत शिवपंचमी के पूजन के साथ होती है। यह पूजन कोटितीर्ध कुंड के समीप श्रीकोटेश्वर महादेव मंदिर में होता है। श्रीकोटेश्वर महादेव का सुबह आठ बजे अभिषेककर हल्दी चढ़ाई जाएगी। हल्दी रस्म एक घंटे तक चलेगी उसके बाद ही गर्भगृह में भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना की जाती है। बाबा महकाल की पंचामृत से अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ ही 11 ब्राद्मणों एकादश-एकादशिनी रुंद्र पाठ किया जाएगा।
आरती और पूजन का समय बदला
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में सालभर सुबह 10:30 बजे भोग आरती होती है वही शाम 5 बजे बाबा महाकाल की संध्या आरती की जाती है। शिवरात्रि उत्सव में भगवान महाकालेश्वर पूजन-आरती का समय बदल जाता है। उत्सव के दिनों में दोपहर 1 बजे के बाद भोग आरती होती है और संध्या पूजन दोपहर तीन बजे हो जाती है। इसके बाद बाबा का श्रृंगार किया जाता है।
दर्शन के लिए अग्रिम बुकिंग
शिवरात्रि पर बाबा महाकाल के दर्शन के लिये देश विदेश से भक्त उज्जैन पहुंचते हैं। इसके लिये मंदिर प्रबंधन समिति विशेष इंतजाम करती है। शिवरात्रि उत्सव पर भक्तों को सुगमता से दर्शन हो सकें इसके लिये एडवांस बुकिंग कराई जाती है। इसके साथ ही मंदिर समिति ने स्पॉट बुकिंग की सुविधा भी शुरु की है। जिससे अग्रिम बुकिंग नहीं करा पाने वाले श्रद्धालु भी बाबा के दर्शन कर सकें।