कई वर्षों से निभा रहे परंपरा
नवरात्रि की अष्टमी कई वर्षों से यह परंपरा निभाई जाती है। गुदरी चौराहा स्थित चौबीस खंभा देवी मंदिर में विशेष पूजन अर्चन किया गया। कलेक्टर ने पूजा की शुरुआत कर महालाया व महामाया को मदिरा अर्पित की। कलेक्टर नगर पूजा के लिए मदिरा से भरा कलश लेकर कुछ दूर तक चले और फिर राजस्व अधिकारी को कलश सौंप दिया।
राजस्व अमला लेकर चला पूजन-सामग्री
ढोल व ताशे के साथ लाल ध्वज पताकों के साथ राजस्व अमला पूजन सामग्री, कलश में भरी शराब की धार टपकाते नगर पूजन के लिए रवाना हुआ। २७ किमी लम्बे नगर पूजन मार्ग पर 40 माता, भैरव और हनुमान मंदिर में पूजा के बाद रात लगभग ८ बजे मंगलनाथ रोड स्थित हांडीफोड़ भैरव मंदिर पर पूजा का समापन किया गया। मार्ग में आने वाले मंदिरों में पूजन के अलावा माता, भैरव मंदिरों में मदिरा चढ़ाई गई।
नगर के सभी देवी मंदिरों में हुई पूजा
यात्रा में नगर के सभी देवी के मंदिरों में पूजन किया गया। भ्रमण का समापन अंकपात मार्ग स्थित हांडी फोड़ भैरव पर हांडी फोड़कर किया गया। सम्राट विक्रमादित्य की इस परंपरा का आज भी शहर में निर्वहन किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है।
इन मंदिरों में हुआ पूजन
चौबीस खंभा मंदिर पर पूजन और महाआरती के बाद प्रशासनिक अधिकारियों का दल अर्ध कालभैरव, चौंसठ योगिनी, लालबाई-फूलबाई, नगरकोट की रानी, नाकेवाली माता, भूखीमाता मंदिर, आशावीर बेताल मंदिर, सत्ताबापजी की खाई का पूजन करते हुए अन्य सभी देवी-देवताओं का पूजन करते हुए गढ़कालिका माता मंदिर पहुंचा। यहां मां का पूजन करने के बाद अंकपात स्थित हांडी फोड़ भैरव पर यात्रा का समापन हुआ।