दाम बढऩे से डेढ़ प्रतिशत लिया जाने वाला मंडी शुल्क की राशि बढ़ी
उज्जैन•Nov 19, 2019 / 12:45 am•
Mukesh Malavat
दाम बढऩे से डेढ़ प्रतिशत लिया जाने वाला मंडी शुल्क की राशि बढ़ी
शाजापुर. फसलों की पैदावार में कमी आने के कारण मंडी में विक्रय के लिए आ रही उपज के दाम बढ़ गए हैं। दाम बढ़े हुए होने से प्रति फसल के मान से वसूले जाने वाले मंडी शुल्क से मंडी की कमाई बढ़ गई है। मंडी प्रबंधन के आंकड़ों से ये बात स्पष्ट हो रही है कि फसल में कमी आने के बाद भी शुल्क में कमी की बजाय वृद्धि हुई है। इससे मंडी में राजस्व की पर्याप्त पूर्ति हो रही है। शहर में कृषि उपज मंडी और थोक फल-सब्जी मंडी में किसान पूरे वर्ष अपनी उपज को विक्रय करने के लिए पहुंचते है। बारिश के समय आवक कमजोर जरूर हो जाती है, लेकिन सालभर किसानों की उपज मंडी में पहुंचती है। इस बार हुई अतिवृष्टि से अनाज मंडी और फल-सब्जी मंडी में आवक गत वर्ष की अपेक्षा कम है। ऐसे में संभावना थी कि आवक कम होने से मंडी शुल्क भी कम प्राप्त होगा, लेकिन जब मंडी प्रबंधन ने आंकड़ों का मिलान किया तो पता लगा कि मंडी शुल्क गत वर्ष से भी ज्यादा हो गया है। इसका मुख्य कारण किसानों की उपज के अच्छे दाम होना सामने आया है। मंडी प्रबंधन द्वारा उपज के मान से डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क लिया जाता है। ऐसे में दाम बढऩे के कारण डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क की राशि भी बढ़ गई है। इसके चलते मंडी प्रबंधन को गत वर्ष की अपेक्षा आधी आवक होने के बाद भी गत वर्ष से ज्यादा आमदनी हो चुकी है। मंडी में अभी-भी आवक कम है, लेकिन दाम अच्छे होने से मंडी शुल्क पर्याप्त प्राप्त हो रहा है।
उपज में 48 प्रतिशत की कमी, कमाई में एक प्रतिशत की वृद्धि
कृषि उपज मंडी में सोयाबीन, गेहूं, चना, मसूर, सरसों सहित अन्य अनाज, दलहन व तिलहन की खरीदी होती है। वहीं टंकी चौराहा स्थित थोक फल-सब्जी मंडी में आलू, प्याज व लहसुन की मुख्य रूप से खरीदी की जाती है। मंडी प्रबंधन से प्राप्त आंकड़ों की बात करें तो गत वर्ष अनाज और फल-सब्जी मंडी मिलकर अक्टूबर माह में 1 लाख 58 जार 653 क्विंटल आवक हुई थी। जबकि इस बार करीब 48 प्रतिशत की कमी के कारण ये आंकड़ा केवल 82 हजार 345 क्विंटल तक ही पहुंचा है। हालांकि मंडी शुल्क से होने वाली आय में इस वर्ष करीब एक प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अक्टूबर-2018 में आवक से मिलने वाले डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क से कुल 39 लाख 45 हजार 160 रुपए की आय हुई थी। वहीं अक्टूबर-2019 में आवक से मिलने वाले डेढ़ प्रतिशत मंडी शुल्क से मंडी प्रबंधन को कुल 39 लाख 79 हजार 769 रुपए की आय हुई है। इस तरह आवक कमजोर रहने के बाद भी मंडी की आय बढ़ गई है।
इस तरह आया उछाल
मंडी में बिकने वाली उपज के दाम में गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष खासा उछाल आया है। गत वर्ष सोयाबीन के अधिकतम दाम 3191 रुपए प्रति क्विंटल रहे थे, जबकि इस वर्ष सोमवार को 4111 रुपए प्रति क्विंटल तक रहे। इसी तरह गेहूं के दाम 2200 रुपए से बढ़कर 2265 रुपए, चने के दाम 5000 से बढ़कर 5500 रुपए, प्याज के दाम 2000 रुपए से बढ़कर 5000 रुपए, लहसुन के दाम 1800 से बढ़कर 20 हजार रुपए प्रति क्विंटल तक हो गए हैं। ऐसे में फसलों के दाम बढऩे के कारण मंडी शुल्क में भी बढ़ोतरी हो गई।
अब भी मंडी से गायब है रौनक
प्रतिवर्ष कृषि उपज मंडी और थोक फल-सब्जी मंडी में बारिश के बाद आवक बढ़ जाती है। इस समय तक दोनों मंडी में मिलाकर करीब 8 -10 हजार क्विंटल तक की आवक रहती है, लेकिन इस बार इससे आधी भी आवक नहीं हो रही है। सोमवार को ही कृषि उपज मंडी में कुल 3 हजार 363 क्विंटल की आवक रही। व्यापारियों के अनुसार फसलों को हुए नुकसान के कारण आवक कम हो गई है। इसके चलते अभी-भी मंडी में रौनक नजर नहीं आ रही है। कुछेक किसान उपज बेचने के लिए पहुंच रहे हैं।
इस वर्ष अनाज मंडी और फल एवं थोक सब्जी मंडी में गत वर्ष की अपेक्षा आवक कम हो रही है। हालांकि दाम में उछाल रहने से मंडी शुल्क में वृद्धि हुई है।
डीसी राजपूत, सचिव, कृषि उपज मंडी-शाजापुर