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मानसून की गणना से व्यापार में मिलाजुला असर, पारंपरिक खेती को फायदा

locationउज्जैनPublished: Jul 14, 2022 11:48:54 am

Submitted by:

atul porwal

– मानसूनी गणना से ज्योतिष शास्त्री पंडित डब्बावाला ने पत्रिका से चर्चा में बताया भविष्य का अनुमान
 

Mixed effect in business due to the calculation of monsoon, traditional farming benefits Ujjain MP

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पत्रिका विशेष

अतुल पोरवाल

उज्जैन.
सूर्य की कर्क संक्रांति व सिंह संक्रांति श्रेष्ठ वर्षा का कारक बनेगी। वर्षा ऋतु का चक्र 16 जुलाई से 17 अगस्त के बीच विशेष प्रभाव दर्शाएगा। वर्षा का प्रतिशत 80 प्रतिशत श्रेष्ठ व 20 प्रतिशत खंड वृष्टि के अनुपात पर रहेगा। उज्जैन के प्रसिद्ध ज्योतिष शास्त्री पं. अमर डब्बावाला का भविष्यानुमान है कि यह मानसून पारंपरिक कृषि के लिए अनुकूल रहेगी। पत्रिका से चर्चा में पं. डब्बावाला ने बताया कि कुछ स्थानों पर जायद की फसलें प्रभावित होंगी। मानसून की गणना से व्यापार मिले-जुले प्रभाव को दर्शाएगा।
भारतीय ज्योतिष शास्त्र में जलवायु के संदर्भ का चिंतन करने के लिए मैदानी ज्योतिष का एक विशेष भाग कार्य करता है। क्योंकि मौसम तथा जलवायु से संबंधित सिद्धांत शैली का अलग प्रभाव होता है। इसके संबंध में मैदिनी को विशेष रूप से मान्यता दी गई है। मैदिनी का गणित सामुद्रिक ज्योतिष शास्त्र के साथ-साथ वायु नाड़ी तंत्र पर भी कार्य करता है। विशेष रुप से छह ऋतुओं का वर्ष समय सीमा का आधार पर अपने चक्र तैयार करते हैं। इसी तरह से वर्षा ऋतु का चक्र भी सूर्य सिद्धांत से जुड़ा हुआ है। क्योंकि सूर्य सिद्धांत इसलिए भी आवश्यक है कि सूर्य की संक्रांति से संबंधित गणना ही वर्षा का आधार बनती है। उसका मुख्य कारण यह है कि जब सूर्य जल चक्र राशि कर्क में होते हैं तब विशेष रूप से वर्षा का योग बनता है। साथ ही सूर्य की संक्रांति में 3 राशियां वर्षा के लिए विशेष मानी गई है। इनमें मिथुन, कर्क, सिंह इन तीन राशियों पर सूर्य का गोचर होने से वर्षा ऋतु का चक्र पृथ्वी को जल पूरित करता है।
16 जुलाई से 17 अगस्त सूर्य की कर्क संक्रांति
पंचांग की गणना के अनुसार सूर्य का कर्क राशि में प्रवेश 16 जुलाई को होगा, जिसका परिभ्रमण 17 अगस्त तक होने से इस दौरान संपूर्ण भारत में वर्षा की श्रेष्ठ स्थिति दिखाई देगी। हालांकि कुछ स्थानों पर खंड वृष्टि का भी योग बनेगा।
80-20 के अनुपात पर रहेगा मानसून का प्रभाव
ग्रह गोचर की गणना तथा नाड़ी सिद्धांत के आधार पर देखें तो इस बार मानसून में वर्षा का प्रतिशत 80 प्रतिशत श्रेष्ठ व 20 प्रतिशत कमजोर रहेगा। यह गणित खंड वृष्टि तथा बारिश की खेंच दोनों को मिला कर के किया जा रहा है।
पारंपरिक जैविक कृषि लाभान्वित होगी
ग्रहों की दृष्टि संबंध तथा गोचर से संबंधित राशियों पर परिभ्रमण की स्थिति पारंपरिक खेती को उन्नत करेगी। साथ ही जैविक क्रिया से संबंधित कृषि का बाजार आकार बढ़ाएगा। हालांकि इस दौरान इनऑर्गेनिक एग्रीकल्चर का स्टैंड थोड़ा कमजोर होगा।
परंपरागत व्यवसाय में पहले से सुधारेगी स्थिति
समय-समय पर ग्रहों का राशि परिवर्तन तथा दृष्टि संबंध परंपरागत व्यापार अथवा व्यवसाय पर विशेष प्रभाव डालेगा। हालांकि इस दौरान शुभ ग्रहों का दृष्टि संबंध आर्थिक दृष्टिकोण से व्यापारियों के लिए अनुकूल रहेगा।

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