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महाकाल के गर्भगृह तक पहुंच रही बाल्टी, पंचामृत अभिषेक में नियमों का मखौल

locationउज्जैनPublished: Jan 07, 2020 12:23:29 am

Submitted by:

anil mukati

पुजारी-पुरोहित और वीआइपी कर रहे नियमों की अनदेखी, तय मात्रा से अधिक चढ़ा रहे जल-दूध

महाकाल के गर्भगृह तक पहुंच रही बाल्टी, पंचामृत अभिषेक में नियमों का मखौल

पुजारी-पुरोहित और वीआइपी कर रहे नियमों की अनदेखी, तय मात्रा से अधिक चढ़ा रहे जल-दूध

उज्जैन. राजाधिराज भगवान महाकाल के दरबार में शिवलिंग क्षरण का ध्यान न रखते हुए बेखौफ होकर बाल्टी में दूध और पंचामृत भर-भरकर भगवान का अभिषेक किया जा रहा है। पुजारी-पुरोहित से लेकर वीआइपी भक्तों द्वारा ऐसा प्रतिदिन किया जा रहा है। रविवार-सोमवार को भी वीआइपी दर्शन के दौरान श्रद्धालु गर्भगृह में लोटे की जगह छोटी बाल्टी से पंचामृत चढ़ाते नजर आए, जबकि प्रशासक ने छोटी और बड़ी बाल्टी दोनों को ही गर्भगृह की दहलीज तक ले जाने पर प्रतिबंध लगा रखा है।
भगवान महाकाल के शिवलिंग का क्षरण रोकने के लिए पिछले दिनों जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया और आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की केंद्रीय टीमों ने आकर दो बार परीक्षण किया था। उन्होंने 13 बिंदुओं पर अपनी जांच रिपोर्ट भी सौंपी थी। मंदिर प्रशासन ने उस दौरान दूध, जल और पंचामृत की मात्रा तय करने का हलफनामा भी दिया था। तय मात्रा के अनुसार आधा लीटर दूध और जल तथा सवा लीटर पंचामृत चढ़ाने को कहा था, लेकिन इन टीमों का परीक्षण किए काफी समय बीत चुका है और अब शिवलिंग क्षरण की ओर किसी का ध्यान नहीं है। यहां तक कि पुजारी-पुरोहित, जो कि परंपरा का पालन करवाते हैं, वे भी इन नियमों को तोड़ते हुए तय मात्रा से अधिक दूध-जल और पंचामृत से बाबा का अभिषेक करवा रहे हैं।
सिर्फ लोटे में ले जा सकते हैं दूध-जल
मंदिर प्रशासन ने पुजारी-पुरोहितों को निर्देश दिए थे कि वे सिर्फ आधा लीटर वाला लोटा ले जाकर भगवान का अभिषेक करवाएं, लेकिन हो इसके विपरीत ही रहा है। मंदिर के पुजारी विशेषकर रसूखदार पुजारी-पुरोहित इनका पालन बिल्कुल नहीं कर रहे। वे श्रद्धालुओं की अधिक संख्या का हवाला देकर 10 लीटर वाली बाल्टी अपने सहयोगियों से भगवान महाकाल के गर्भगृह की दहलीज तक मंगवा रहे हैं। साथ ही 5 लीटर की छोटी बाल्टी का भी उपयोग किया जा रहा है। श्रद्धालु बड़ी मात्रा में जल-दूध और पंचामृत भगवान को चढ़ा रहे हैं।
इनका कहना है
गर्भगृह में बाल्टी ले जाना प्रतिबंधित है, लेकिन लोटे से जल-दूध चढ़ाने में कोई रोक नहीं है। यदि एक साथ दस लोग गर्भगृह में हैं, तो ऐसे में सवा लीटर पंचामृत और आधा लीटर जल से भरी बाल्टी पुजारी-पुरोहित का प्रतिनिधि लेकर गर्भगृह के बाहर खड़ा होता है, न कि अंदर जाता है। बाबा महाकाल पर तो लोटे से ही दूध अर्पित किया जाता है, जो कि निर्धारित मात्रा में ही चढ़ाया जाता है।
– आशीष पुजारी, महाकाल मंदिर समिति सदस्य।
यहां दो टीमों ने जो पंचामृत पूजन और जल-दूध अर्पण के लिए पैमाना निर्धारित किया है, उसी अनुसार व्यवस्था चल रही है, यदि किसी ने इसका उल्लंघन किया है, तो सीसीटीवी के फुटेज देख उस पर कार्रवाई की जाएगी।
– एसएस रावत, प्रशासक महाकाल मंदिर प्रबंध समिति।
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