यहां पढ़ने वाले बच्चे स्कूल में चार कशाय (गतियां), पांच पाप से निजात पाने की तरकीब सीख रहे हैं। वहीं अपने घर पर कलमे की अहमियत से भी वाकीफ हो रहे हैं। पत्रिका ने जब इस स्कूल की जमीनी हकीकत समझी तो यहां बच्चे बगैर किसी भेदभाव के नैतिक शिक्षा में जैन संप्रदाय की दो महत्वपूर्ण पुस्तकें पढ़ रहे हैं। इन पुस्तकों को ना तो स्कूल प्रबंधन ने कभी धर्म की पुस्तकें कहा और ना ही बच्चों ने इन्हें माना। बल्कि इनमें अंकित सामग्री से अपने जीवन में नैतिक शिक्षा का प्रवाह बनाने का प्रयास कर रहे हैं और कई बच्चे इसमें सफल भी रहे। खास बात यह भी है। उज्जैन के श्रीपाल मार्ग, नखेरवाड़ी में संचालित इस स्कूल में इमेशा ही मुस्लिम समुदाय के बच्चों क्री संख्या 90 प्रतिशत से अधिक रही है। स्कूल प्राचार्य सागर जैन के अनुसार वर्तमान में इस स्कूल में अध्ययनरत बच्चों की संख्या 453 है, जनमें 417 मुस्लिम समुदाय के हैं।
यहां अध्ययन कर यहीं नौकरी
पत्रिका को मौके पर आईपी व कम्यूटर शिक्षक के रूप में मुगीसुल ईस्लाम चौधरी मिले, जिन्होंने इसी विद्यालय से शिक्षा हासिल की है। शिक्षक का कहना है कि इस विद्यालय में कभी किसी के साथ दुभावनाएं नजर नहीं आई।
जैन ट्रस्ट करता है संचालन
स्कूल के डायरेक्टर सुनिल जैन डोसी व सचिव अजय पांड्या ने बताया कि इस स्कूल का संचालन जैन समाज की एक संस्था करती है, जिसमें 70 ट्रस्टी हैं। यहां पढने वाले बच्चों के परिवार की क्षमता फीस जमा करने की नहीं हो तो संस्था उसके अध्ययन का खर्च उठाती है। दिगंबर जैन स्कूल के पाठ्यक्रम में नैतिक शिक्षावली भाग-2 तथा चरित्र निर्माण भाग-3 भी शामिल हैं। इन पुस्तकों से छात्रों को नैतिक शिक्षा दी जाती है।
ये हैं चार कशाय (गतिविधियां)
1. देव गति 2 मदुष्य गति 3. त्रियंच गति 4. नरक
ये हैं पांच पाप
1. हिंसा 2. झूठ 3. चोरी 4. कुशील 5. परिग्रह