अभी तक क्यों सिमटी रही धर्म निरपेक्षता
राहुल गांधी के बयान पर सांसद डॉ. चिंतामणि मालवीय ने फेसबुक पर फिर तीखी टिप्पणी कर दी। उन्होंने अपनी पोस्ट में उल्लेख किया है कि कहीं ये धर्म निरपेक्षता वैसी ही तो नहीं है, जैसा कि सुनते आए हैं कि एक वेश्या ही सबसे ज्यादा धर्म निरपेक्ष होती है। चलो ये भी अच्छा हुआ कि तुम्हारी थोथी ही सही, धर्म निरपेक्षता के छींटे ही सही, मन्दिरों तक तो पहुंचे। अन्यथा अभी तक तो जालीदार टोपी धारण करके रोजा इफ्तारी ओर दरगाहों पर चादर चढ़ाने के उपक्रम तक ही धर्म निरपेक्षता सिमटी हुई थी। कुछ पुरानी यादें भी राहुल से जुड़ी हुई हैं। हां, राहुल कभी आपने ही तो कहा था कि लोग मन्दिरों में लड़कियां छेडऩे जाते हैं।
कभी भी माफी मांगने की जेहमत नहीं उठाई
अब बताइए कि जब आप मन्दिर- मन्दिर भटक रहे हैं तो आप पहले वाले बयान पर ही कायम हैं या उसका खंडन करते हैं? बस, इसलिए पूछा कि आपने उस ओछी सोच के लिए कभी भी माफी मांगने की जेहमत नहीं उठाई। अब यही सत्य सामने आता है कि आपकी मानसिकता केवल गुजरात चुनाव के कारण बदली है। आजकल आप गौशाला भी जा रहे हैं। जाना भी चाहिए। बहुत अच्छी बात है, लेकिन फिर उन कांग्रेसियों पर आप खामोश क्यों हैं, जिन्होंने केरल में एक मासूम बछड़े को बीच चौराहे पर काटकर उसके गौमांस की पार्टी की थी। मतलब केरल में गाय आपके लिए भोजन है पर गुजरात आने पर वही गाय आपके लिए पूजनीय हो गई। वोट की खातिर? आप खुलकर बताईए कि आपका कौन सा रूप सही है? वो केरल वाला या ये गुजरात वाला ढोंगी अवतार।
विकास को गाली देते-देते जिहाद पागल हो गया
राहुल जी! कहीं ऐसा तो नहीं कि विकास को गाली देते-देते जिहाद पागल हो गया है? कहीं जालीदार टोपी में आपका कॅरियर खत्म तो नहीं हो गया? रामसेतु को काल्पनिक कहने वालों, हिन्दुओं को भगवा आतंकवादी कहने वालों, तुम्हारे पापों को, तुम्हारे पाखंड को जनता भली-भांति जानती है। फिर चुनाव होते ही तुम नानी के घर चले जाओगे या किसी गोपनीय यात्रा पर विदेश।
आपको अपने दादाजी की याद क्यों नहीं आती?
अरे हां ! ! ! नानी की बात से याद आया। आपको अपने दादाजी की याद क्यों नहीं आती? आप भाषणों में दादी-दादी करते हो, नेहरू-गांधी करते हो, उनकी समाधियों पर जाते हो पर कभी दादा की मजार पर नहीं जाते। भला उनसे क्या दुश्मनी हो गई? आप अक्षरधाम मंदिर गए। बहुत अच्छी बात है। जाना चाहिए, पर अक्षरधाम से याद आया कि वहां पर हमले में शामिल अब्दुल राशिद का आपकी पार्टी ने बचाव क्यों किया था? देश पर हमले करने वाले आतंकवादियों को आपके खासमखास अहमद पटेल नौकरी देते हैं और आप मौन धारण किए हुए हो?
सच क्या है श्रीमान?
इसके पीछे का सच क्या है श्रीमान? आपकी कांग्रेस सरकार और आप टीपू सुल्तान की जयंती मनाने की बात पर अड़े हो, तो इतिहासकारों से पूछ लो कि उस गद्दार टीपू जिहादी ने हजारों मंदिर तोड़े थे। राहुल जी!!! मुख़ौटे बदलते-बदलते आप अपने ही बनाए जाल में फंस चुके हो। इस देश का बच्चा-बच्चा जान चुका है आपकी साजिशों को। कभी जात-पांत के नाम पर, तो कभी धर्म के नाम पर आप केवल अपने राजनैतिक स्वार्थ के लिए ही राजनीति करते हो। लेकिन अब देश जाग चुका है। जाति के आधार पर देश तोडऩे की साजिश काम नहीं आएगी।
एक नेक सलाह :
रात-दिन मोदी जी को कौसने से बेहतर है आप उनसे राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना सीखिए। राहुल जी, अब ढोंग-ढकोसलों से काम नहीं चलनेवाला। कुछ ठोस कुछ बेहतर करके दिखाना होगा।