उज्जैनPublished: Apr 09, 2020 12:51:34 am
Mukesh Malavat
बड़ा सवाल प्रशासन की जांच में सच्चाई या संक्रमित युवक का पिता झूठ बोल रहा
बड़ा सवाल प्रशासन की जांच में सच्चाई या संक्रमित युवक का पिता झूठ बोल रहा
नागदा. कोरोना पॉजिटिव युवक के नागदा पहुंचने के बीच नई कहानी सामने आई है। पिता ने उसके नागदा पहुंचने को लेकर सोशल मीडिया पर जो वीडियो अपलोड किया है और प्रशासन जो खुलासा कर रही है दोनों के बीच काफी अंतर है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि प्रशासन की जांच में सच्चाई है या संक्रमित युवक का पिता झूठ बोल रहा है।
बता दे कि कोरोना पॉजिटिव युवक के पिता ने बुधवार को सोशल मीडिया पर वीडियो अपलोड कर खुलासा किया है कि 1 अप्रैल को उसके दोनों बेटे इंदौर से उन्हेल तक ट्रक में बैठकर आए और फिर वहां से नागदा के लिए कोई वाहन नहीं मिला तो पैदल ही घर पहुंचे थे। पिता का यह भी दावा है कि 4 अप्रैल को ही उसके छोटे बेटे को सांस मे तकलीफ की शिकायत हुई थी। उसके बाद उसे खुद नागदा के सरकारी अस्पताल लेकर गया। जहां से उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज के बाद वह पूरी तरह से ठीक भी हो गया है, लेकिन मंगलवार को उसकी कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टरों ने उसे उज्जैन के आर्डी-गार्डी अस्पताल में भेज दिया है। उसके बाद से परिवार के किसी भी सदस्य को उससे मिलने नहीं दिया जा रहा है। हालांकि डॉक्टरों ने बताया कि वह पूरी तरह से ठीक है और जल्द ही अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। बता दे कि युवक की रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद से ही पूरे परिवार को प्रशासन ने जिला अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया है, जहां उनकी कोरोना की जांच के लिए सभी के नमूने लेकर भोपाल भेजे गए हंै। स्वास्थ्य विभाग एवं प्रशासन को अब इन सभी की जांच रिपोर्ट का इंतजार है।
स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही आई सामने
वीडियो में युवक के पिता ने कहा कि इंदौर से आने के बाद उसके बड़े बेटे ने तो सरकारी अस्पताल पहुंच कर न केवल जांच करवाई थी, बल्कि वहां मौजूद डॉक्टर को अपने टे्रवल्र्स की पूरी हिस्ट्री भी बताई थी। युवक के पिता ने अपने वीडियो में यह भी कहा कि उसके कोरोना पॉजिटिव बेटे को भी जांच कराने के लिए अस्पताल जाने का बोला था पर वह लापरवाही कर गया। अगर युवक के पिता की बात सही है तो यहां स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जांच करने वाले डॉक्टर को इस बात की जानकारी युवक के बड़े भाई ने दी थी कि वह अपने छोटे भाई के साथ इंदौर से आए है तो फिर स्वास्थ्य विभाग ने उसके छोटे भाई का स्वास्थ्य परीक्षण क्यों नहीं किया। अगर वह अस्पताल आने में कतरा रहा था तो विभाग को उसके घर पर जाकर जांच करनी चाहिए थी, लेकिन विभाग 1 या 2 अप्रैल को ही युवक की जांच कर लेती तो 4 अप्रैल को उसकी तबीयत बिगडऩे के पहले ही उसे आइसोलेशन किया जा सकता था। लेकिन ऐसा नही किया गया जिसके कारण वह दो दिनों तक घरवालों और लोगों से मिलता रहा और जो शहर अभी तक कोरोना वायरस के संक्रमण से अछूता था। स्वास्थ्य विभाग की छोटी-सी चूक के कारण कई लोगों की जान खतरे में पड़ गई।
बड़े भाई पर खतरे का अंदेशा
युवक के पिता की माने तो इंदौर में कोरोना पॉजिटिव बेटा अपने बड़े भाई के साथ घर पहुंचा था। यानि सबसे ज्यादा संक्रमित होने का खतरा उसके बड़े बेटे पर है। वहीं पिता ने अपने वीडियो में इस बात का भी दावा किया है कि इंदौर से आने के बाद वह घर में ही था। न तो किसी के घर गया है और ना ही वह किसी से मिला है। मीडिया में चल रही खबरे गलत है कि वह अपने दोस्तों से मिला और बाजार सामान लेने गया था।
पुलिस प्रशासन ने वीडियो के दावे को बताया झूठा
थाना प्रभारी श्यामचंद्र शर्मा ने वीडियो मे संक्रमित युवक के पिता के दावे को झूठा बताते हुए कहा है कि पुलिस ने उस ट्रक को ढूंढ निकाला है, जिसमें बैठ कर युवक इंदौर से उज्जैन पहुंचा था। ट्रकके चालक और क्लीनर की भी पहचान कर उनका स्वास्थ्य परीक्षण करवाया गया है। दोनों ने अपने बयान में पुलिस को बताया है कि युवक को वह पूर्व से जानते थे इसलिए उन्होंने उसे इंदौर से बैठा कर उज्जैन छोड़ दिया था। युवक के साथ कोई भी दूसरा व्यक्ति या भाई नहींथा, लेकिन इंदौर से उज्जैन लेकर आए ड्राइवर रणजीत ने पत्रिका को चर्चा में बताया कि वह अपने बड़े भाई के साथ आया था।