व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है चेहरे की दमक, शहर में बढ़ा त्वचा की देखभाल का चलन
उज्जैन. कॉर्पोरेट जगत और बढ़ते ग्लैमर में व्यक्तित्व को प्रभावी बनाने के लिए पहली जरूरत बेहतर आउटलुक की है। आकर्षक डे्रसअप के साथ ही चेहरे की दमक सामने वाले पर फस्र्ट इम्पे्रशन की रूपरेखा तय करती है। यही कारण है कि अब सामान्य मेकअप किसी को खूबसूरत दिखाने के लिए पर्याप्त नहीं है, त्वचा की नियमित देखरेख भी जरूरी है। यही कारण है कि लोगों में, विशेषकर युवाओं में त्वचा व शरीर की देखरेख का चलन बढ़ा है। मंगलवार 15 अक्टूबर को नेशनल एस्थेटिशियन डे है। यह दिन एस्थेटिशियन प्रोफेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तो मनाया ही जाता है आमजन में अपनी त्वचा व शरीर की देखरेख करने और पर्सनॉलिटी गु्रमिंग पर ध्यान देने की जागृति बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। कुछ वर्षों में शहर में भी इस प्रोफेशन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। दो-तीन साल में ही आधा दर्जन से अधिक स्पॉ सेंटर खुले हैं वहीं पारंपरिक रूप से चलने वाले ब्यूटीपालर्स में भी बदलाव हुआ है। ब्यूटीशियन ने ग्रुमिंग व स्कीन केयरिंग के नए-नए कोर्स कर स्वयं को अपडेट किया है। इसके कारण जहां शहरवासियों को सौंदर्यीकरण के लिए नई सुविधाएं मिली है वहीं लोगों के चेहरे की ख्ूाबसूरती भी बढ़ी है। हर कोई सुंदर दिखना चाहता है एस्थेटिशियन सोनिया सहगल बताती है, सुंदर दिखना आज के दौर की चाह नहीं है। यह वर्षों से चली आ रही है लेकिन जब से ग्लोबलाइजेशन बढ़ा, लोगों की पहुंच बढ़ी तब से इन क्षेत्र में डिमांड के साथ ही साधन-सुविधा भी बढ़े हैं। उनके अनुसार अब कस्टमर पूर्व की तरह सामान्य मेकअप की मांग नहीं करता बल्कि वह फंग्शन, डे्रस आदि के आधार पर मेकअप करवाते हैं। हमें भी टोटलिटी में कार्य करना होता है। हर त्वचा की अपनी विशेषता होती है, उसे समझकर उसे ट्रीट किया जाता है। तेजी से बढ़ा चलन वेलनेस इंडस्ट्री में तेजी से बढ़ोतरी हुई है और कई लोग इसे बतौर कॅरियर चुन रहे हैं। यही कारण है कि इस इंडस्ट्री में पहचान बनाने के लिए बतौर स्किन केयर स्पेशलिस्ट यानी एस्थेटिशियन तैयार हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार बीते सालों में स्पा, सैलोंस की ग्रोथ रेट करीब 35 फीसदी तक रही है। उज्जैन में ही आधा दर्जन से अधिक स्पा सेंटर खुले हैं वहीं छोटे-बड़े ४०० से अधिक ब्यूटी पार्लर चल रहे हैं। क्या होते हैं एस्थेटिशियन ऐसे प्रोफेशनल्स जो कस्टमर्स की जरूरत के हिसाब से स्किन केयर ट्रीटमेंट करते हैं, उन्हें एस्थेटिशियन कहा जाता है। ये लोग डर्मेटोलॉजिस्ट के सहयोग से या स्वतंत्र रूप से नाखून से लेकर बालों तक को ट्रीट करने में दक्षता रखते हैं। सर्जिकल ऑपरेशंस, रेडिएशन के बाद मरीजों को किस तरह के स्कीन ट्रीटमेंट की जरूरत होती है, उनके लिए कौन-सा ब्यूटी केयर प्रोडक्ट अच्छा रहेगा, यह सुझाव भी एस्थेटिशियन ही देते हैं। यानी किसी भी शख्स के पर्सनल अपीयरेंस की ग्रुमिंग की जिम्मेदारी इनकी ही होती है। यह लोगों को यंग दिखने में मदद करते हैं।
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