बड़ी बहन सच्ची दोस्त
यह कहानी है ऋषिनगर निवासी रश्मि और रंजीता की। उनके पिता का देहांत 1999 में ही हो गया था। मां और भाई ने इन्हें कभी उनकी कमी का अहसास नहीं होने दिया। वहीं बड़ी बहन भी सच्ची दोस्त बनकर उन्हें हर मुश्किल में साथ देती रही हैं। रश्मि बड़ी और रंजीता छोटी हैं। वर्तमान में दोनों ही शिक्षिकाएं हैं। अब जब वे दूसरों को शिक्षित करने का कार्य कर रही हैं, तो ऐसे में बच्चों के बीच उनका सारा दिन तो व्यतीत हो जाता है, लेकिन शाम को जब दोनों साथ होती हैं, तो बचपन की वही शरारतें फिर से शुरू कर देती हैं।
कोई भी दो बहनें एक जैसी नहीं होतीं
इनका मानना है कि कोई भी दो बहनें एक जैसी नहीं होतीं, लेकिन प्रेम और अपनापन जहां हो, वहां झगड़ों को भी दूर किया जा सकता है। भोजन, साफ-सफाई और घर के अन्य कामों में हम बहनें निजी तौर पर ईष्र्या न करते हुए एक-दूसरे पर भरोसा करते हैं। एक-दूसरे की भावनाओं को समझती हैं। समय आने पर दीदी मुझे महत्वपूर्ण सुझाव भी देती हैं। हां, लेकिन जब मैं उनकी छुटकी बनकर परेशान करती हूं, तो उन्हें भी वे दिन याद आते हैं, जब हम छोटे थे। हम बहनों का ये अद्वितीय बंधन जीवन में उमंग सा भर जाता है। बहनों का यह विशेष दिन उन पलों को गले लगाता है, जो खुद हंसते-हंसाते और गुदगुदाते रहते हैं।